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National Pension Scheme: केंद्र सरकार NPS में कर सकती है बदलाव, रिटायरमेंट भुगतान के तौर पर अंतिम सैलरी का कम के कम 40 फीसदी देने के सिस्टम पर विचार

केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में एक बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. नए बदलाव में ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के तौर पर उनकी अंतिम सैलरी का कम से कम 40-45 फीसदी मिले. अभी नेशनल पेंशन स्कीम मार्केट-लिंक्ड है. जिसके तहत कर्मचारियों को औसतन 36 से 38 फीसदी के बीच रिटर्न मिलता है.

केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में बदलाव कर सकती है केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में बदलाव कर सकती है

केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम में इस साल के अंत से संशोधन कर सकती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के तौर पर उनकी अंतिम सैलरी का कम के कम 40-45 फीसदी मिले. इसकी सिफारिश हाई-लेवल पैनल ने की थी. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़ी 2 लोगों ने बताया कि फिलहाल इस मामले पर विचार किया जा रहा है.

क्या हो सकता है बदलाव-
नेशनल पेंशन स्कीम में सरकार कुछ बदलाव कर सकती है. संशोधित पेंशन योजना मार्केट रिटर्न से जुड़ी रहेगी. लेकिन सरकार कर्मचारी की आखिरी सैलरी का कम से कम 40 फीसदी देने के सिस्टम पर काम कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी का कहना है कि सरकार एक आधार राशि सुनिश्चित कर सकती है. इसका मतलब है कि अगर भुगतान आधार राशि से कम है तो सरकार को पेंशन में कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा. फिलहाल कर्मचारी औसतन 36 फीसदी से 38 फीसदी के बीच रिटर्न अर्जित करते हैं. 

एनपीएस पर क्यों है विवाद-
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के समय मिले वेतन का 50 फीसदी मासिक लाभ मिलता था. साल 2004 में शुरू की गई मौजूदा मार्केट-लिंक्ड पेंशन प्लान ऐसी कोई गारंटीड आधार रकम प्रदान नहीं करती है. नए पेंशन प्लान में एक और विवाद है. एनपीएस में कर्मचारी की सैलरी का 10 फीसदी योगदान होता है और सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है. जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता है. इसके अलावा एनपीएस पेंशनर्स को रिटायरमेंट के समय कोष का 60 फीसदी टैक्स फ्री और 40 फीसदी हिस्सा कर भुगतान के योग्य होता है.

एनपीएस में किसका कितना है योगदान-
राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत 87 लाख केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी योगदान देते हैं. जबकि सरकार 14 फीसदी का भुगतान करती है. अंतिम भुगतान उस फंड पर रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी ऋण निवेश किया जाता है.

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