साल 1860 वह दौर था जब भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था और अंग्रेज सरकार का हर फैसला भारतीयों की मर्जी के बिना ही उन पर थोप दिया जाता था. लेकिन आज ही के दिन 24 जुलाई 1860 में लिया गया फैसला आगे चलकर देश को चलाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बात कर रहे हैं इनकम टैक्स भरने के नियम की. जिसके तहत हर भारतीय नागरिक को अपनी आय का कुछ हिस्सा अंग्रेज सरकार को देना होता था और कोई इस नियम से अछूता नहीं था. आज इनकम टैक्स भारत की प्रगति और विकास का अहम हिस्सा है. जिस विकसित भारत की तरफ हम बढ़ रहे हैं उसमें नागरिकों से मिला इनकम टैक्स अहम भूमिका निभा रहा है. आज इनकम टैक्स डे भी है तो हम आपको बताते हैं कि आखिर ये क्यों और कैसे लागू किया गया था. इससे अंग्रेजों को क्या फायदा था और भारत को इसका लाभ कैसे मिला.
इनकम टैक्स क्या होता है ?
इनकम टैक्स सरकार द्वारा लागू किया गया ऐसा प्रावधान है जिसके तहत हर व्यक्ति को अपनी आय के अनुसार अपनी आय का कुछ हिस्सा निर्धारित समय पर सरकार को जमा करना होता है. आम लोगों द्वारा दिया गया यह टैक्स सरकार द्वारा भारत के नागरिकों के लिए आवश्यक सुविधा और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सरकार इस टैक्स को कई तरीकों जैसे सैलरी, आय ,निवेश , किराए पर दी हुई प्रॉपर्टी ,या व्यापार में हुए मुनाफे से वसूल सकती है, लेकिन खास बात यह है की भारत के सभी व्यक्ति समान टैक्स न भरकर अपनी आय के अनुसार देश के विकास में अपना योगदान देते हैं. सभी लोगों और व्यापारियों को अपनी साल में एक बार अपनी कुल आय को बताकर उसके हिसाब से टैक्स भरना अनिवार्य है. टैक्स जमा करने और नागरिकों को टैक्स भरने के संसाधनों और इससे जुड़े नियम के बारे में समझाने का जिम्मा भारतीय आयकर विभाग ( इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया) का है.
कैसे और कब लागू हुआ था टैक्स कानून ?
1860 में भारत अंग्रेजों की गुलाम था और भारतीयों के मन में एक ही इच्छा थी और वह थी भारत की आजादी. आजाद भारत के सपने को अपनी आंखों में लिए भारतीयों ने आजादी के लिए कई प्रयास किए. एक ऐसा ही प्रयास था 1857 का. अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई. यह लड़ाई भारत भले ही हार गया हो लेकिन उसने देशवासियों के सपने और भी बुलंद कर दिए थे. भारत की अंग्रेजों के खिलाफ रोकी गई इस लड़ाई में ब्रिटिश सरकार का कई गुना ज्यादा पैसा खर्च हो गया था. ब्रिटिश सरकार इस हौसले से सचेत हो चुकी थी और अपना सैन्य बल दोगुना करना चाहती थी. अपने सैन्य बल को बढ़ाने के लिए सरकार को ज्यादा पैसों की जरूरत थी और इसका आधार भारतीय जनता थी. इससे पहले भी ब्रिटिश सरकार भारतीयों से जमीनी टैक्स वसूलती थी लेकिन वो उनकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा था. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य बल बढ़ाने से पड़े आर्थिक भार से उभरने के लिए ब्रिटिश फाइनेंस मिनिस्टर सर जेम्स विल्सन ने आज ही के दिन 24 जुलाई 1860 में भारत के पहला इनकम टैक्स एक्ट का संशोधन किया.
इनकम टैक्स कानून लाने के कारण
1.1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुए सिपाही विद्रोह से सरकारी खजाने का एक बड़ा हिस्सा विद्रोह को रोकने में चला गया था जिस कारण ब्रिटिश सरकार आर्थिक तंगी के साथ कर्ज से गुजर रही थी.
2.ब्रिटिश सरकार विद्रोह के बाद फौज की कमान संभाल कर अपनी फौज बढ़ाना चाहती थी और उसके लिए औजार, इंफ्रास्ट्रकचर और तनख्वाह के लिए भारी मात्रा में पैसों की जरूरत थी.
3.इनकम टैक्स से पहले सरकार जमीनी टैक्स, या इनडाइरेक्ट टैक्स जैसे कस्टम और नमक पर लगाए हुए टैक्स पर निर्भर थी लेकिन बढ़ती आर्थिक मांग के लिए ये काफी नहीं था.
4. इनकम टैक्स लागू होने से आर्थिक भार बराबर में बट सकता था इससे पहले इनडाइरेक्ट टैक्स के तौर पर सभी पर इसका भार पड़ता था लेकिन इनकम टैक्स के जरिए ज्यादा कमाई वाले लोग ही मुख्य टारगेट थे.
इनकम टैक्स का प्रभाव
इनकम टैक्स लागू होने के बाद देश को फायदा और नुकसान दोनों हुआ. फायदा यह हुआ कि ब्रिटिश सरकार को कमाई का जरिया मिल गया. 1860 के इस फैसले ने भारत में इनकम टैक्स प्रणाली को स्थाई करने के साथ देश को टैक्स के जरिए से रूबरू करवाया. भविष्य में टैक्स को लेकर नए विकल्पों की पहचान का आधार भी यही एक्ट बना.
हालांकि टैक्स लागू करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा और लोगों का यह मानना था कि यह ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया गया एक नया भार है. वहीं दूसरी तरफ भारत की आबादी ज्यादा होने के कारण इनकम टैक्स को सुचारू रूप से लागू करना भी एक चुनौती थी. शुरुआत में यह टैक्स सिर्फ सीमित लोगों तक था और कृषि से जुड़े लोग इस टैक्स से वंचित थे.
आज की स्थिति
24 जुलाई ,1860 की तारीख और उस दिन इनकम टैक्स को लेकर हुआ फैसला भारतीय टैक्सेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस फैसले ने भारत को टैक्स से जुड़े कई अहम फैसले लेने में मदद की और भारत में सरकार के लिए पैसा जुटाने और नागरिकों के अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देने के लिए प्रेरित किया.