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Bihart: बिहार की पारंपरिक क्राफ्ट्स को सहेज रही है यह उद्यमी, बनाती हैं क्वालिटी हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स

बिहार की सुमति जालान अपने स्टार्टअप, Bihart के जरिए यहां की पारंपरिक हस्तशिल्प और कलाओं को रिवाइव कर रही हैं. उनका क्लोदिंग ब्रांड आज देशभर में पहचान बना रहा है.

Bihart Team (Photot: Website) Bihart Team (Photot: Website)

यह कहानी है बिहार की एक बेटी की, जो अपनी पहल से राज्य की लुप्त होती शिल्पकलाओं को सहेज रही है. पटना की रहने वाली 42 वर्षीया सुमति जालान ने देशभर में बिहार की एक खूबसूरत छवि बनाई है. वह दुनिया को बता रही है कि कैसे फैशन को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. सुमति ने 2020 में उन्होंने "Bihart" नाम के एक कपड़ों का ब्रांड शुरू किया जिसके जरिए वह पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट्स को रिवाइव कर रही हैं. बिहार्ट बिहार की पारंपरिक बुनाई और कढ़ाई तकनीकों का उपयोग करके मॉडर्न फैशन आइटम जैसे कपड़े और दूसरे प्रोडक्ट्स बनाता है. 

दादी और मां से मिली प्रेरणा
सुमति बचपन से ही बिहार की कलाओं और हस्तशिल्पों से घिरी रही हैं. उनकी दादी एक कुशल सुजनी कारीगर थीं, और उन्होंने सुमति को कढ़ाई और दूसरी हस्तकलाओं की बारीकियां सिखाईं. सुमति की मां ने उन्हें सिखाया कि महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकती हैं और अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं. सुमति को कला और आत्मनिर्भरता की शिक्षा विरासत में मिली है और यह उनके काम को प्रेरित करती है.

अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना से पूरी करने के बाद, सुमति ने दिल्ली से बाकी पढ़ाई की. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और फिर फैशन डिजाइन में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. सुमति कहती हैं कि दिल्ली में लंबे समय तक रहने के कारण उनकी लाइफस्टाइल काफी अलग थी. उनकी अच्छी इंग्लिश और स्टाइलिश कपड़ों को देखकर लोग अक्सर कमेंट करते थे कि क्या आप सच में बिहारी हो? सुमति को यह बात तारीफ से ज्यादा कटाक्ष लगती थी और वह इस तस्वीर को बदलना चाहती थीं. 

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साल 2020 में शुरू की Bihart संस्था
अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए साल 2018 में सुमति बिहार वापस आई और यही रह कर काम करने का फैसला किया. साल 2020 में उन्होंने "बिहार्ट" नाम के संस्था की शुरुआत की. इस संस्था का लक्ष्य बिहार की पारंपरिक कला और हस्तशिल्प जैसी परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है. साल 202 में उन्होंने अपना पहला कलेक्शन लॉन्च किया, जिसमें "सुजनी कढ़ाई" और कोआर्डिनेशन वर्क जैसी तकनीकों का उपयोग करके तैयार किए गए कपड़े और दूसरे प्रोडक्ट्स शामिल थे. 

आज बिहार्ट एक सफल फैशन ब्रांड है जो बिहार की कला और संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित कर रहा है. यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने समुदायों में सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना चाहते हैं. आज बिहार्ट के स्टोर भारत के कई शहरों में हैं. इसका सबसे बड़ा स्टोर पटना में है - "बिहार्ट फ्लैगशिप स्टोर" और दूसरा "बिहार्ट मिनी स्टोर" है, जो मॉल ऑफ पटना में स्थित है. बिहार के साथ-साथ दिल्ली, राजस्थान, गोवा, बैंगलूरु, ऋषिकेश जैसी अन्य शहरों में भी बिहर्ट के स्टोर अब खुल गए हैं. और इस पहल से सुमति अब हर महीने 1.5 लाख रुपए से ज्यादा कमा रही हैं.

सुमति जालान कहती है कि दुनिया हमारे बिहार केवल दो सबसे शानदार शिल्पों को जानती है - मधुबनी पेंटिंग और भागलपुरी टसर रेशम की बुनाई. सुजानी, मंजूषा और सिक्की जैसे अन्य शिल्प और हमारी बुनाई जैसे 'एक्स्ट्रा बाना', 'फिशनेट' 'चिंगारी' और 'झरना' या तो लुप्त हो रहे हैं या जल्द ही लुप्त हो जाएंगे. इसलिए वह दिन-रात मेहनत कर रही हैं इन्हें सहेजने की. 

देशभर से मिलते हैं उन्हें ऑर्डर 
बिहार्ट ने दिल्ली, मुंबई, और पटना जैसे महानगरों से लेकर भारत के छोटे शहरों और गांवों में भी ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाई है, जहां पारंपरिक कला और हस्तशिल्पों में लोगों को गहरी रुचि है. भारत के साथ-साथ अमेरिका, यूरोप, और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों से भी लोग बिहार्ट से जुड़े हैं. 

बिहार्ट ने अंतर्राष्ट्रीय डिजाइनरों और कलाकारों के साथ सहयोग किया है, जिससे उन्हें नए लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है. साथ ही वे सोशल मीडिया का उपयोग अपनी कहानी साझा करने, अपने ग्राहकों के साथ जुड़ने, और दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करने के लिए करते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंचते हैं और अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुविधा भी देते हैं.  

आप यहाँ से विभिन्न तरह की चीजें खरीद सकते है जैसे - महिलाओं के लिए कुर्ते, सलवार, दुपट्टे, लहंगे और पुरुषों के लिए कुर्ते, पायजामा, और धोती आदि. साथ ही बच्चों के लिए कपड़े, स्कार्फ, बैग, बेड लिनेन चादरें, तकिए, और कंबल आदि भी खरीद सकते हैं. सुमति जालान आज के लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो अपनी कलाओं और संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाने का जज्बा रखते हैं.