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Nawgati App: अब फ्यूल भराने के लिए नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार, यह एप बताएगा किस पेट्रोल पंप पर है कम भीड़

तीन इंजीनियर्स ने मिलकर नोएडा में Nawgati नाम से एक खास प्लेटफॉर्म शुरू किया है जो यूजर्स को अपने आसपास के पेट्रोल पंप्स से जुड़ी जानकारी जैसे कितनी भीड़ है, फ्यूल मिलने में कितना टाइम लगेगा आदि. अब यूजर तय कर सकते हैं कि उन्हें किस पेट्रोल पंप से फ्यूल भरवाना है और इससे उनके समय की बचत होगी.

Nawgati App changing fueling experience Nawgati App changing fueling experience
हाइलाइट्स
  • ऐसे हुई Nawgati की शुरुआत 

  • ऐप पर लिस्ट हैं 80,000+ फ्यूल पंप

बड़े शहरों में सिर्फ सड़कों पर ही नहीं बल्कि मॉल, पार्किंग और तो और पेट्रोल पंपों पर भी जाम लगा होता है. लोगों के लिए अपनी गाड़ियों में फ्यूल भरवाना भी मुश्किल हो गया है. हालांकि, लोगों की यह परेशानी तीन इंजीनियर्स के लिए स्टार्टअप आइडिया बनकर सामने आई है.

कुछ समय पहले शुरू हुआ स्टार्टअप, नवगति इसी समस्या को हल करने के लिए काम कर रहा है. नवगति के को-फाउंडर और सीईओ वैभव कौशिक का कहना है कि यह फ्यूल एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म है. जिसका उद्देश्य फ्यूल रिफिल कराने में लगने वाले समय को कम करने में लोगों की मदद करना है. 

ऐसे हुई Nawgati की शुरुआत 
2019 में BITS पिलानी और VIT वेल्लोर के एलुमनी, कौशिक, आलाप नायर और आर्यन सिसोदिया ने इस स्टार्टअप को मिलकर शुरू किया है. नोएडा स्थित इस स्टार्टअप का लक्ष्य एक आम समस्या को हल करना है जिसका ज्यादातर लोग हर दिन सामना करते हैं - पीक आवर्स के दौरान पेट्रोल पंप पर लंबी कतार में इंतजार करना. उनका समाधान एक ऐप है जो रियल टाइम में भीड़ को मॉनिटर करती है, जिससे यूजर्स को पता चलता है कि उनके आस-पास किस पेट्रोल पंप या फ्यूल स्टेशन पर कम भीड़ है और वे वहां जा सकते हैं.  

फाउंडर्स में से एक, कौशिक का कहना है कि उन्हें अपने ट्रेवल के दौरान कैब ड्राइवरों से बात करते समय  एहसास हुआ कि ड्राइवर अक्सर पेट्रोल पंपों पर भीड़ से परेशान रहते हैं. यह बात उनके दिमाग में रह गईं, और उन्हें लगा कि इस बारे में उन्हें कुछ करना चाहिए. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ आइडिया पर काम किया और सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके समस्या का समाधान करने का फैसला किया.

इसके लिए उन्होंने Google Maps और MapMyIndia के वर्किंग शेड्यूल की स्टडी की. उन्होंने यह समझने की कोशिश की कि विज़िट एट्रिब्यूशन कैसे काम करता है, रूटिंग एल्गोरिदम कैसे काम करता है, और कंजेशन फ़्लो कैसे काम करता है. इसके बाद, नवगति को बिट्स पिलानी कैंपस में शामिल और स्थापित किया गया था. 

इस तरह किया काम 
शुरुआती फेज में नवगति को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के TIED 2.0 अनुदान से फंडिंग मिली, जहां प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (PoC) वाले स्टार्टअप को 7 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली. इस ग्रांट की मदद से कौशिक और उनकी टीम ने फ्यूल स्टेशनों पर एक खास हार्डवेयर इंस्टॉल किया. उन्होंने अपना खुद का कंप्यूटर विज़न एल्गोरिदम बनाया है और मौजूदा कैमरों का उपयोग करके, वे पूरे स्टेशन को मैप करते हैं, जिसमें करंट डिस्पेंसर और डिस्पेंसर आइलैंड की लोकेशन भी शामिल हैं.

नवगति टीम वीडियो के बजाय तस्वीरों का यूज करके पैटर्न की स्टडी करते हैं. कौशिक का कहना है कि अपनी तकनीक के लिए उन्होंने एक पेटेंट अप्लाई किया है. इस तकनीक से वे यह बता सकते है कि किस फ्यूल स्टेशन पर आपको फ्यूल भरवाने के लिए कितनी देर इंतजार करना होगा. 

Google सिर्फ विज़िट एट्रिब्यूशन कर सकता है. उसे नहीं पता कि कितने लोग पंप पर जा रहे हैं, खपत कैसी है, कौन सा डिस्पेंसर काम कर रहा है, और कौन सा काम नहीं कर रहा है. लेकिन नवगति की टीम के पास यह सब है क्योंकि उन्होंने अपना सॉल्यूशन सीधे सिस्टम में प्लग कर दिया है. उन्हें फ्यूल स्टेशनों से रियल टाइम डेटा मिलता है. यह स्टार्टअप कंजेशन डेटा एपीआई के माध्यम से रेवेन्यू कमाने की भी योजना बना रहा है. 

ऐप पर लिस्ट हैं 80,000+ फ्यूल पंप
नवगति कंपनी भारत की सबसे बड़ी फ्यूल डिस्कवरी ऐप पेश करती है, जिसे कोई भी यूज कर सकता है और ऐप्पल ऐप स्टोर और Google Play Store से डाउनलोड कर सकते हैं. वर्तमान में, ऐप पर 80,000 से ज्यादा फ्यूल पंप सूचीबद्ध हैं, और उनमें से 5,500 सीएनजी पंप हैं. 12 लाख से ज्यादा यूजर्स नवगति ऐप का यूज कर रहे हैं, जिसके 1.5 मिलियन डाउनलोड हैं, और लगभग 2.5 लाख मासिक एक्टिव यूजर्स हैं.

यह स्टार्टअप भारत में प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के साथ काम करता है, जिनमें इंडियन ऑयल, इंद्रप्रस्थ गैस, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और Jio/BP शामिल हैं. कंपनी ने सबसे पहले दिल्ली में इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट किया और बाद में, आईजीएल ने 20 और आउटलेट्स दिए. 

ऐप और उसके यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, कौशिक क्राउडसोर्सिंग पर निर्भर हैं. इसमें लोग किसी ऐसे स्टेशन का सुझाव दे सकते हैं जो ऐप पर लिस्टेड नहीं है.