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4 एकड़ में लगाई 19 किस्म की फसलें, बनाते हैं वर्मीकंपोस्ट, नौकरी के साथ जैविक खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं ये तीन दोस्त

आज के जमाने में खेती में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए आपका पढ़ा-लिखा होना और सब तरफ से ज्ञान बटोरना बहुत जरुरी है. और जो लोग पारम्परिक ढर्रे से हटकर कुछ नया नहीं करना चाहते हैं उनके लिए खेती में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है. हालांकि अगर आप पारंपरिक गाय आधारित खेती करते हैं लेकिन नए और अभिनव तरीकों से तो आप खेती में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसा कि मध्य प्रदेश के सतना जिले में रहने वाले ये तीन दोस्त कर रहे हैं और वह ही अपनी नौकरी करते हुए. 

जैविक तरीकों से लगा रहे 19 किस्म की फसलें जैविक तरीकों से लगा रहे 19 किस्म की फसलें
हाइलाइट्स
  • तीन दोस्तों ने साथ मिलकर शुरू की जैविक खेती

  • नौकरी के साथ खेती करते हुए कमा रहे अच्छा मुनाफा

आज के जमाने में किसान परिवारों के बच्चे खेती छोड़कर बड़े-बड़े शहरों में दफ्तर की नौकरियां करना चाहते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग हैं जो नौकरी करते हुए भी खेती से जुड़ रहे हैं. क्योंकि अब वो जमाना बीत चुका है जब आप कहते थे कि अगर कोई नहीं पढ़ा तो उसे खेती करनी पड़ेगी. 

क्योंकि आज के जमाने में खेती में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए आपका पढ़ा-लिखा होना और सब तरफ से ज्ञान बटोरना बहुत जरुरी है. और जो लोग पारम्परिक ढर्रे से हटकर कुछ नया नहीं करना चाहते हैं उनके लिए खेती में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है. 

हालांकि अगर आप पारंपरिक गाय आधारित खेती करते हैं लेकिन नए और अभिनव तरीकों से तो आप खेती में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसा कि मध्य प्रदेश के सतना जिले में रहने वाले ये तीन दोस्त कर रहे हैं और वह ही अपनी नौकरी करते हुए. 

कोरोना काल में शुरू की जैविक खेती: 

संजय शर्मा, अभिनव तिवारी और हिमांशु चतुर्वेदी बचपन के दोस्त हैं. साथ पले-बढ़े, साथ पढ़े और फिर अलग-अलग सेक्टर में अपना करियर बनाया. और अब साथ मिलकर जैविक खेती कर रहे है. संजय शर्मा पश्चिम-मध्य रेलवे में ट्रेन मैनेजर हैं. तो अभिनव तिवारी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में बतौर एसडीओ पदस्थ हैं.  

हिमांशु चतुर्वेदी एक मल्टीनेशनल फार्मा कम्पनी में कार्यरत हैं. देखा जाए तो तीनों ही दोस्त अपनी ज़िन्दगी में अच्छे सेटल हैं. लेकिन फिर भी भागती-दौड़ती ज़िंदगी में तरह-तरह की बिमारियों से घिर जाना, पैसे होने बावजूद अच्छा स्वास्थ्य न होना जैसी बातें अक्सर उन्हें परेशान करती थीं. 

हिमांशु ने गुड न्यूज़ टुडे को बताया कि जब भी वे तीनों दोस्त मिलते तो यही सब बातें होती थीं कि कैसे शुद्ध अउ स्वच्छ भोजन से हम दूर हो गए हैं. पैसे देकर भी एक खुशहाल जीवन नहीं जी पा रहे हैं. इसलिए बातों-बातों में एक दिन उन्होंने खुद जैविक खेती से जुड़ने का फैसला किया. 

उन्होंने 4 जून 2020 को कामधेनु कृषक एवं लोक कल्याण समिति का गठन करके बिरसिंहपुर के नजदीक बमुरहा गांव में 4 एकड़ जमीन पर जैविक खेती शुरू की.  

गाय आधारित आधुनिक खेती

सबसे पहले इन तीनों दोस्तों ने खेती के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र मझगवां से सलाह-मशविरा लिया और फिर इंटरनेट की मदद से जैविक खेती की बारीकियां सीखीं. इसके बाद उन्होंने गाय आधारित खेती करने के लिए गाय और बैल खरीदे. 

गोबर और केंचुए की खाद के पोषण के साथ-साथ फसलों में लगने वाले कीड़ों के लिए भी जैविक कीट प्रतिरोधक बनाए. वे गोमूत्र और नीम से बीजामृत, जीवामृत, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, और नीमास्त्र जैसे कीट प्रतिरोधक बना रहे हैं. और अपने खेतों पर ही केचुओं से खाद तैयार कर रहे हैं. और अपने खेतों में इस्तेमाल करने के साथ-साथ आसपास के किसानों को बेच भी रहे हैं. 

उन्होंने अपनी जमीन को चार हिस्सों में बांटा है. एक हिस्से में उन्होंने गोशाला, सर्वेंट क्वार्टर, वर्मी कपोस्ट यूनिट बनाया है और अन्य 3 हिस्सों में विभिन्न किस्म की फसलों को बोया है.

लगा रहे हैं मिश्रित फसलें: 
 
संजय बताते हैं कि 4 एकड़ में वे हल्दी, प्याज-लहसुन, आलू, गाजर, धनिया, मेथी, अरहर, पपीता, सीताफल, एप्पल बेर, आम, गरम मसाले, कटहल, आंवला, अमरूद, अनार, और सहजन की फसल ले रहे हैं. मुख्य रूप से मसालों में अदरक और हल्दी लगा रखी है. फलों में पतीता, तरबूज, अनार और मौसंबी है. उन्होंने मीठी नीम, तेजपत्ता भी लगा रखा है. 

उनका कहना है कि खेती निश्चित तौर पर फायदे का काम है. पर सबसे बड़ी बात ये है कि आपको संयम रखना पड़ेगा और खुद पर विश्वास रखना होगा. खेती पूरी तरह से मौसम पर डिपेंड है. ज्यादातर किसान एक फसल लेते हैं. अगर कोई गेहूं लगा रहा है तो सालों तक वही कर रहा है.  

जबकि किसानों को मिक्स क्रॉपिंग करनी चाहिए. एक फसल के साथ तीन और फसल ली जाए तो आपकी लागत बहुत कम हो जाएगी. एक फसल से आपकी लागत निकल आएगी और बाकी की तीन फसल से आपको मुनाफा होगा. 

कमाई है लाखों में:

डेढ़ साल में ही इन तीनों ने जैविक खेती का अच्छा मॉडल बना लिया है. और अब खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक साल में करीब 1 लाख रुपए का केचुआ बेचा है. फसलों की बात करें तो 1 लाख 20 हजार में 90 क्विंटल आलू बेचा है.

36 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से 80 क्विंटल अदरक और लगभग 40 हजार रुपए की हरी सब्जियों को बेचकर मुनाफा कमाया है. उन्होंने अपने खेतों में 8 लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है. अंत में वे सिर्फ यही कहते हैं कि 
एक ही दिन में आपका खेत जैविक नहीं हो सकता है. इस काम में समय लगता है और लगभग तीन सालों में आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं. 

(सतना से योगितारा की रिपोर्ट)