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स्ट्रॉबेरी की खेती कर कमा रही हैं लाखों, मंत्रवती आज ग्रामीण महिलाओं के लिए बन चुकी हैं प्रेरणा स्रोत

मंत्रवती को जब खेती की जानकारी मिली तो उन्होंने कृषि विभाग से 480 स्ट्रॉबेरी के पौधे लिए. अक्टूबर के उन्होंने अपने खेत में पौधे लगाए. जब देखभाल की तो स्ट्रॉबेरी पैदा होने लगीं. आज वे स्ट्रॉबेरी 800 रुपए प्रति किलो स्ट्रॉबेरी की बिक्री कर रही हैं और इससे लाखों रुपये कमा रही हैं.

मंत्रवती मंत्रवती
हाइलाइट्स
  • 480 पौधे स्ट्रॉबेरी लगाकर बदला अपना जीवन

  • कृषि विभाग की ट्रेनिंग, मीटिंग्स, और स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाओं को दे रही जानकारी

औरतें जब कुछ ठान लेती हैं तो उसे पाकर ही चैन की सांस लेती हैं. इटावा जनपद के जसवंतनगर तहसील के पास नगला भिखन गांव की रहने वाली मंत्रवती भी ऐसी ही हैं. 42 साल की मंत्रवती ने केवल आठवीं तक की पढ़ाई कर रखी है, लेकिन मन में जज्बा और कुछ कर गुजरने की तमन्ना ने घर के काम से बाहर निकल कर कुछ बड़ा करने की ठानी तो स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई. इसके बाद जब पति और बच्चों का सहयोग मिला तो स्वयं सहायता समूह का ग्राम संगठन बनाया और उसकी अध्यक्ष बन गईं. अब वे महिलाओं को चक्की मसाला घरेलू कुटीर उद्योग से संबंधित ट्रेनिंग भी देती हैं. अक्टूबर में मंत्रवती ने स्ट्रॉबेरी के 480 पौधे लगाए, आज वे इससे लाखों कमा रही हैं.  

800 रुपये प्रति किलो की हो रही है बिक्री 

दरअसल, मंत्रवती को जब खेती की जानकारी मिली तो उन्होंने कृषि विभाग की ओर से 480 पौधे लिए. इसके बाद उन्होंने अक्टूबर के महीने में अपने आधा बीघा खेत में क्यारी बनाकर 480 पौधे की रोपाई की. इन पौधों को नियम के अनुसार तैयार किया गया, पौधों के साइड में पॉलिथीन लगाई गई, जिसके बाद स्ट्रॉबेरी पैदा होने लगीं. आज स्ट्रॉबेरी के लगातार उत्पादन से करीब 800 रुपए प्रति किलो स्ट्रॉबेरी की बिक्री हो रही है. 

पति और बच्चों का मिलता है पूरा सपोर्ट 

मंत्रवती का कहना है कि उनके पति कायम सिंह किसान हैं. उन्हें खेती में उनके पति और बच्चों का पूरा सहयोग मिलता है. और यही कारण है कि आज वे स्ट्रॉबेरी की इतनी अच्छी तरह खेती कर पा रही हैं. बता दें, उनके क्षेत्र का वातावरण स्टॉबेरी के अनुकूल नहीं है. लेकिन कृषि पद्धति को ध्यान में रखते हुए पानी और खाद को समय पर डालने के कारण  ही 6 महीने तक लगातार अभी भी स्ट्रॉबेरी की पैदावार हो रही है. मंत्रवती कहती हैं, “जो महिलाएं घर में घर का कार्य करती हैं और घर के बाहर नहीं निकलती है तो वे उनको समूह से जोड़कर मसाला बनाना, चक्की चलाना, स्वरोजगार के लिए प्रेरणा देती है.

कौन हैं मंत्रवती की प्रेरणा?

मंत्रवती के मुताबिक, उन्हें डिस्टिक रिसोर्स पर्सन के पद पर कार्य कर रही निहारिका शुक्ला से प्रेरणा मिली थी. निहारिका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को समय-समय पर छोटे-छोटे कार्य करने की प्रेरणा देती रहती हैं और उन्होंने की लोगों को जोड़ने के लिए मंत्रवती को प्रेरित किया था. आज मंत्रबती अपने पैरों पर खड़ी होकर अपना सम्मान बढ़ा रही है. 

(अमित तिवारी की रिपोर्ट)