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JRD Tata की मेंटरशिप में शुरू हुआ ट्रस्ट, आज लाखों युवाओं को बिजनेस शुरू करने के लिए देता है लोन और मेंटरशिप... जानिए क्या है BYST और कैसे करें अप्लाई

यह ट्रस्ट 1992 में शुरू हुआ. उस वक्त भारत न तो स्टार्टअप के बारे में कुछ जानता था न ही मेंटरशिप. लेेकिन इसके बावजूद लक्ष्मी वेंकटेशन ने 30 साल के सफर में लाखों जिन्दगियों को बदला है.

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हैदराबाद में मिठाई का बिजनेस करने वाली कीर्तना, चेन्नई से किचन एप्लायंस का बिजनेस चलाने वाली आशा और खेती से जुड़े इक्विपमेंट बनाने वाले महाराष्ट्र के योगेश गावंडे भले ही एक-दूसरे से कोसों दूर रहते हों, लेकिन तीनों को एक बात जोड़ती है. ये तीनों ही अपने जीवन में एक समय पर आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे थे लेकिन सही मदद मिलने पर इन्होंने एक सफल बिजनेस खड़ा कर लिया. और यह मदद दी भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (BYST) ने. 

90 के दशक में शुरू हुए बीवाईएसटी ने पिछले तीन दशक में कई जिन्दगियों को बदला है और कई लोगों को रोजगार के अवसर दिए हैं. जैसा कि इसके नाम से साफ है, यह ट्रस्ट भारतीय युवाओं की काबिलियत पर भरोसा करके उन्हें बिजनेस शुरू करने के लिए न सिर्फ आर्थिक मदद देता है, बल्कि जरूरी मेंटरशिप भी देता है. आज भले ही बीवाईएसटी इस पहल से लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत भी शून्य से ही हुई थी. 

इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स से मिला आइडिया 
जब साल 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन की बेटी लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन उनके साथ लंदन गई थीं तब वह नही जानती थीं कि यह सफर उनकी जिन्दगी बदलने वाला है. लक्ष्मी को यहीं पहली बार भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट शुरू करने का आइडिया मिला. वह भी इंग्लैंड के उस वक्त के राजकुमार प्रिंस चार्ल्स से. प्रिंस चार्ल्स खुद भी यूथ बिजनेस इंटरनेशनल नाम के ऐसे ही ट्रस्ट की अगुवाई कर रहे थे. लक्ष्मी को यहीं से प्रेरणा मिली. 

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लक्ष्मी बताती हैं, "जब मैं अपने पिता की स्टेट विज़िट के दौरान उनके साथ बकिंघम पैलेस में रह रही थी तब मुझे प्रिंस (चार्ल्स) के इस ट्रस्ट (Youth Business International) के बारे में पता चला. मैं काफी प्रभावित हुई. प्रिंस ने मुझे  इसके बारे में ज्यादा जानकारी दी. प्रिंस यह जानने के लिए उत्सुक थे कि मैं भारत जैसी जगह पर इसे कैसे लागू करूंगी." 

वह बताती हैं, "जब मैं भारत लौटी तो मैंने ऐसे लोगों से बात करना शुरू की जो मेरे अनुसार मददगार साबित हो सकते थे. जेआरडी टाटा उन लोगों में से थे. जेआरडी न सिर्फ एक इंडस्ट्रियलिस्ट थे, बल्कि पिछले लोगों और युवाओं की मदद करने में भी विश्वास रखते थे. मैंने उनसे भी सलाह मांगी. वह मेरे मेंटर बने. प्रिंस चार्ल्स मेरे सपोर्टर बने. इन दोनों की मदद से बीवाईएसटी शुरू हुआ." 

जेआरडी टाटा ने निभाई अहम भूमिका
लंदन यात्रा से लौटने के दो साल बाद लक्ष्मी ने आखिरकार बीवाईएसटी शुरू किया. उन्हें इस सफर की शुरुआत में भारत के दिग्गज इंडस्ट्रियलिस्ट जेआरडी टाटा का साथ मिला, जो बीवाईएसटी के पहले मेंटर और चेयरमैन बने. बीवाईएसके के उद्भव के करीब एक साल बाद जेआरडी टाटा का निधन हो गया, हालांकि अपने आखिरी समय तक वह कुछ नया, कुछ प्रभावशाली करते रहना चाहते थे. 

लक्ष्मी ने बताया, "जब मैंने जेआरडी टाटा को बीवाईएसटी के बारे में बताया को उनकी उम्र 86 बरस थी. उस समय भी उनकी आंखों में एक चमक बाकी थी. एक ऊर्जा बाकी थी जो किसी युवा इंसान में होती. मेरा आइडिया सुनने के बाद उन्होंने कहा कि मैं उन्हें इसके बारे में और बताऊं. वह बीवाईएसटी को शुरू करना चाहते थे." 

लक्ष्मी बताती हैं कि जेआरडी टाटा को इस विचार ने बहुत प्रभावित किया कि एक संगठन बड़े बिजनेस खड़े करने में शहरों से दूर रहने वाले युवाओं की भी मदद करेगा. यही वजह रही कि उन्होंने बतौर मेंटर न सिर्फ बीवाईएसटी पर, बल्कि लक्ष्मी वेंकटरमण पर भी गहरा प्रभाव छोड़ा. 

जेआरडी की एक सलाह जो हमेशा रही साथ
जेआरडी टाटा को याद करते हुए लक्ष्मी एक मीटिंग का जिक्र करती हैं, जो कोलकाता के टाटा टावर में हो रही थी. इस मीटिंग में लक्ष्मी ने जेआरडी टाटा के समर्पण को प्रत्यक्ष रूप से देखा. 

लक्ष्मी बताती हैं, "इस बोर्ड मीटिंग में मैं ऑन्त्रेप्रेन्योर (Entrepreneur) प्रदीप लुम्बा के बारे में बात कर रही थी. तब किसी ने याद दिलाया कि हमें लंच के लिए देर हो रही थी. जब मैं अपनी बात जल्दी खत्म करने लगी तो जेआरडी ने कहा, रुको. चाहे कोई बिजनेस कितना ही छोटा क्यों न हो, उसकी डीटेल्स बहुत जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि मैं उन्हें बिजनेस के बारे में विस्तार से जानकारी दूं."

वह बताती हैं, "वह जानना चाहते थे कि प्रदीप लुम्बा की जरूरतें पूरी हो रही हैं या नहीं. इस बिजनेस को हमारी ओर से सिर्फ 35,000-50,000 ही मिले थे लेकिन जेआरडी ने उसके बारे में भी विस्तार से जानकारी ली. मैंने उस दिन जाना कि एक बिजनेस का किस तरह ध्यान रखा जाता है और उसकी परवरिश कैसे की जाती है. कोई स्टार्टअप कितना भी छोटा या बड़ा हो, वह समर्थन का हकदार होता है." 

लक्ष्मी बताती हैं कि वह हमेशा नए व्यवसायियों के बारे में बात करते हुए मीटिंग शुरू करती थीं. इसके बाद ही  बीवाईएसटी की जरूरतों पर बात होती थी. जेआरडी टाटा छोटे व्यवसायों को जो सम्मान और ध्यान देते थे, उसने लक्ष्मी को काफी प्रभावित किया. और यह सीख 30 साल बाद भी उनके साथ है.

शुरुआती चुनौतियों के बावजूद हासिल की सफलता
एक नए संगठन को शुरू करने में यूं भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बीवाईएसटी के सामने यह चुनौती थी कि आधुनिकता में प्रवेश करते हुए भारत को 'ऑन्त्रेप्रेन्योर' और 'मेंटर' जैसे शब्दों से कैसे रूबरू करवाया जाए. वह बताती हैं कि कई बार युवा बिजनेस शुरू करने के लिए लोन ले भी लेते थे, लेकिन मेंटर की जरूरत नहीं समझते थे. इस समस्या से निपटने के लिए बीवाईएसटी ने नई शब्दावली ईजाद करने का फैसला लिया. 

लक्ष्मी बताती हैं, "आप कुछ देर के लिए खुद को 1990 में ले जाइए. हमारी अर्थव्यवस्था बाहरी दुनिया के लिए बस खुली ही थी. 'आंत्रेप्युन्योरशिप' जैसे शब्द के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते थे. उस वक्त मेंटरिंग नाम का भी कोई शब्द भारत में प्रचलित नहीं था. इसलिए हमने नए युवाओं के लिए 'गुरु-इंग' शब्द का इस्तेमाल किया. क्योंकि गुरु शब्द तो हर कोई जानता था." 

ब्रिटेन में  इस मॉडल को सफल होता देख चुकीं लक्ष्मी ने इसे भारतीय माहौल में ढालने का फैसला किया. "अगर कोई इंसान अपना बिजनेस शुरू करना चाहता है और एक इंसान उस व्यवसाय में पहले से है तो हम दोनों को एक-दूसरे से जोड़ देते हैं. वे दोनों 15 दिन या एक महीने में मीटिंग करते थे. जरूरत पड़ने पर मेंटर नए बिजनेसमैन की फैक्ट्री का भी दौरा करता. लेकिन गांव में यह सब बहुत मुश्किल था. इसी समस्या से निपटने के लिए  हमने 'रूरल मोबाइल मेंटर क्लिनिक' नाम की एक चीज़ ईजाद की." 

यानी जब बिजनेसमैन अपने मेंटर के पास नहीं पहुंचा, तो मेंटर ही बिजनेसमैन के पास पहुंचने लगा. जरूरी क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले मेंटर महीने में एक बार कुछ गांवों का दौरा करती थी. उस वक्त सूट-टाई में गांव पहुंचे मेंटर्स को देखकर ग्रामीण लोग भी प्रभावित हुए. और नए उद्यमी अपने बिजनेस को बेहतर तरीके से चला सके. इस तरह यह कोशिश सफल रही. 

इस तरह की कई मुश्किलों को पार कर बीवाईएसटी आज भारत के 16 राज्यों में फैला हुआ है. बीवाईएसटी पिछले तीन दशकों में 477 करोड़ रुपये की फंडिंग से कई स्टार्टअप्स का समर्थन कर चुका है. और बीवाईएसटी के 10% व्यवसायी करोड़पति बन गए हैं. बीवाईएसटी के कई उद्यमी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के लिए आगे बढ़े हैं और सफल युवा प्रतीक के रूप में उभरे हैं. 

कैसे कर सकते हैं अप्लाई?
लक्ष्मी बताती हैं कि बीवाईएसटी कई तरीकों से नए उद्यमियों के साथ जुड़ रहा है. अगर कोई भारतीय अपना बिजनेस शून्य से शुरू करना चाहता है तो वह बीवाईएसटी के हेल्पलाइन नंबर 1800 121 181 181 पर कॉल करके उन्हें अपने आइडिया के बारे में बता सकता है. इसके अलावा यह संगठन अब भी ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को उनके आइडिया साझा करने के लिए प्रेरित कर रहा है. 

आइडिया सुनने के बाद लोगों को जरूरी रकम दी जाती है. नए उद्यमियों को जिस मेंटर से जोड़ा जाता है, उसे भी पहले ट्रेनिंग देकर तैयार किया जाता है. बीवाईएसटी का विजन है कि वह देश में दो लाख मेंटर तैयार करे, जो आगे चलकर 10 लाख लोगों की मेंटरशिप करें. इस तरह वे देश में पांच करोड़ रोजगार पैदा कर सकते हैं. 

लक्ष्मी कहती हैं, "भारत में उद्यमी हैं. हमारे पास बहुत संभावनाएं हैं. और मैं बेंगलुरु या मुंबई या गुरुग्राम में बैठे उद्यमियों की बात नहीं कर रही. मैं उन लोगों के बारे में बात कर रही हूं जो छोटे शहरों, ग्रामीण क्षेत्रों और वंचित वर्ग में नौकरियां पैदा कर सकते हैं. क्योंकि अगर आप भारत में रोजगार पैदा करना चाहते हैं तो यह पूरे देश में छोटे व्यवसायों से ही आएगा."