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Tupperware Journey: 77 साल पहले एक केमिकल इंजीनियर ने की थी शुरूआत, अब दुनियाभर में फैला है बिजनेस

टपरवेयर ब्रांड भारत में फूड स्टोरेज के लिए पिछले 27 सालों से इस्तेमाल हो रहा है. हालांकि, 77 साल पुरानी यह अमेरिकन कंपनी अब कुछ आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है जिस कारण इसके बंद होने की अटकलें हैं. जानिए टपरवेयर की शुरुआत और सफलता की कहानी.

Tupperware store in ahmedabad (Photo: Facebook) Tupperware store in ahmedabad (Photo: Facebook)
हाइलाइट्स
  • केमिकल इंजीनियर ने शुरू की टपरवेयर कंपनी 

  • अनोखे मार्केटिंग मॉडल ने बनाई पहचान 

भारत में हर घर की रसोई में टपरवेयर के डिब्बों का होना बहुत आम बात है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि टपरवेयर नाम टिफिन बॉक्स का दूसरा नाम बन चुका है. खासकर कि भारतीय मांओं को टपरवेयर से कुछ ज्यादा प्यार है. इसलिए तो अगर एक भी डिब्बा आप गुमा दें तो घर में तूफान आ जाता है. हालांकि, आपको बता दें कि टपरवेयर भारतीय नहीं बल्कि अमेरिकी कंपनी है. लेकिन फिर भी प्लास्टिक डिब्बों के मामले में भारत में राज कर रही है. 

आज हम आपको बता रहे हैं टपरवेयर की शुरुआत और सफलता की कहानी. 

केमिकल इंजीनियर ने शुरू की टपरवेयर कंपनी 
साल 1946 में टपरवेयर को अर्ल सिलास टपर नाम के एक केमिकल इंजीनियर ने डिजाइन और विकसित किया था. ये प्लास्टिक के कंटेनर नॉन-टॉक्सिक, टिकाऊ, और फ्लेक्सिबल होते थे. साथ ही, इनमें कोई गंध भी नहीं होती थी और इनका उपयोग घर पर खाने को स्टोर करने के लिए किया जाता था. 

Earl Silas Tupper (Founder) and Brownie Wise (Marketer)

 
टपरवेयर कंटेनर पेटेंटेड टपर सील या 'बर्प' सील के साथ आते थे. टपरवेयक के डिब्बे पर जब ढक्कन बंद करते हैं तो एक 'बर्प' जैसी आवाज आती थी और इसलिए वहीं से यह नाम लिया गया. इन प्लास्टिक उत्पादों को रेफ्रिजरेटर में घरेलू उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया था. हालांकि, पेटेंट टपर सील के कारण इन प्रोडक्ट्स की बिक्री में दिक्कत आईं क्योंकि उन्हें 'बर्प' सील को समझने में परेशानी हो रही थी.  

अनोखे मार्केटिंग मॉडल ने बनाई पहचान 
इसके बाद, ब्राउनी वाइज नाम की एक महिला ने एक क्रांतिकारी बिक्री मॉडल बनाया जिसने टपरवेयर को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई. दुनिया भर में Tupperware की पहचान और लोकप्रियता का श्रेय ब्राउनी वाइज़ को दिया जाता है. साल 1950 के दशक की शुरुआत में वह टपरवेयर में शामिल हुईं. उन्होंने जल्दी से महसूस किया कि टपरवेयर को अमेरिकी गृहिणियों के लिए मार्केट किया जा सकता है. 

यह समय था जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद पुरुष अपने घर लौट रहे थे और उनकी जगह काम कर रही महिलाओं को फिर से घर संभालने की जिम्मेदारी दी गई.  ब्राउनी वाइज ने एक बिक्री मॉडल बनाया जिसे अब 'पार्टी प्लान' कहा जाता है. इस योजना में, महिलाएं पार्टियों की मेजबानी करती हैं जिनमें अन्य महिलाएं शामिल होती हैं और इन पार्टियों में बिक्री के लिए टपरवेयर उत्पाद शामिल होते हैं. इसने उन महिलाओं को काम करने का विकल्प मिला जो घर पर रहती थीं लेकिन साथ ही पैसा भी कमाना चाहती थीं.

A Tupperware party advertisement from the late 1950s (Photo: Wikipedia)

यह पार्टी प्लान एक बड़ी सफलता बन गई और ब्राउनी वाइज ने भव्य जयंती समारोह आयोजित करके योजना में महिलाओं को प्रोत्साहित किया. इस प्रोग्राम में टॉप बिक्री करने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया गया. इसके बाद, टपरवेयर ने न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में अपने पैर पसारे. हालांकि, 1960 आते-आते वाइज कंपनी से निकल गईं और फिर अर्ल टपर ने भी कंपनी को दूसरी कंपनी को बेच दिया. लेकिन टपरवेयर की पॉप्यूलैरिटी को देखते हुए आजतक भी इसका नाम नहीं बदला गया. आज 100 से ज्यादा देशों में टपरवेयर के प्रोडक्ट्स ने अपनी जगह बनाई हुई है. साल 1996 में टपरवेयर ने भारत में एंट्री ली. 

डायरेक्ट सेलिंग से मिला भारत में मार्केट
साल 1996 में टपरवेयर का संचालन भारत में शुरू हुआ और दिल्ली पहला बाजार बना. टपरवेयर ने अपनी फ्रिज रेंज- जग्स, टम्बलर, कूल एन फ्रेश, बॉल्ड ओवर के साथ भारत में प्रवेश किया. उस समय उनके पास भारत में सिर्फ 30-40 महिलाओं की बिक्री टीम और 10-15 लोगों का स्टाफ था. हालांकि, डायरेक्ट सेलिंग के कॉन्सेप्ट से जल्द ही उन्होंने अपनी जगह बना ली. 

आपको बता दें कि डायरेक्ट-सेलिंग बिजनेस मॉडल, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का एक रूप है. इसमें स्वतंत्र सेल्सपर्सन होते हैं जिन्हें “टपरवेयर लेडीज” या “कंसल्टेंट्स” के रूप में जाना जाता है. वे ग्राहकों को सीधे उनके घरों या पार्टियों में उत्पाद बेचते हैं. ये लोग टपरवेयर के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि स्वतंत्र व्यापार मालिक हैं जो कंपनी से टपरवेयर उत्पादों को थोक मूल्यों पर खरीदते हैं और उन्हें खुदरा कीमतों पर ग्राहकों को फिर से बेचते हैं.

साल 2009 में टपरवेयर इंडिया ने एक्वासेफ बोतलें लॉन्च कीं. साल 2010 में टपरवेयर इंडिया ने देहरादून में एक नया मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया. इसके बाद, 2012 में गुरुग्राम में कंपनी के इंडियन हेड ऑफिस का उद्घाटन किया गया. अब तक कंपनी कई प्रोडक्ट रेंज भारत में लॉन्च कर चुकी है. और अभी भी लोगों की फेवरेट बनी हुई है.