जज्बा और मेहनत हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है. हौसला और मेहनत की बदौलत एक लड़के ने कपड़े धोने के कारोबार को 100 करोड़ की कंपनी में बदल दिया. इस लड़के ने आईआईटी से पढ़ाई की. 84 लाख का पैकेज मिला. नौकरी शुरू की. लेकिन 15 महीने बाद जब मन नहीं लगा तो उसने जॉब छोड़ दी और लॉन्ड्री का कारोबार शुरू किया. आज वो लड़का अरुणाभ सिन्हा के नाम से मशहूर है. चलिए UClean के फाउंडर अरुणाभ सिन्हा की कहानी बताते हैं.
5-6 किमी पैदल चलकर जाते थे स्कूल-
अरुणाभ सिन्हा बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं. लेकिन उनके पिता जमशेदपुर में रहते थे. उनके पिता टीचर और मां हाउस वाइफ हैं. पिता की सैलरी काफी कम थी. पूरा परिवार एक छोटे से घर में रहता था. अरुणाभ 5-6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. अरुणाभ बचपन से ही पढ़ने में तेज थे. वो 8वीं पढ़ाई करते थे तो 11वीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे. अरुणाभ ने 12वीं की पढ़ाई करने के बाद आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया.
मां के कंगन बेचकर भरी कॉलेज की फीस-
आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लेने के लिए अरुणाभ के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे. हर सेमेस्टर की फीस 50 हजार रुपए थी. मां ने शादी के कंगन बेचकर पहले सेमेस्टर की फीस भरी. जबकि दूसरे सेमेस्टर की फीस उनके चाचा ने भरी. जब अरुणाभ की पढ़ाई पूरी हो गई तो उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया.
पढ़ाई के बाद शुरू किया स्टार्टअप-
पढ़ाई पूरी करने के लिए अरुणाभ ने Franglobal नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया. इस कंपनी का काम भारतीय मार्केट में विदेश कंपनियों को लाना था. वो कंपनियों को भारतीय मार्केट और कंपीटिशन के बारे में बताते थे. कंपनियों को भारत में सही पार्टनर से मिलवाते थे. इसके बदले में कंपनियां फीस चुकाती थीं. लेकिन बाद में उन्होंने कंपनी बेच दी और जॉब करना शुरू किया.
84 लाख के पैकेज पर की नौकरी-
साल 2015 में कंपनी बेचने के बाद अरुणाभ सिन्हा ने जॉब करना शुरू किया. उनको ट्रिबो होटल्स में 84 लाख सालाना पैकेज की नौकरी मिली. इस जॉब के दौरान उन्होंने देखा कि लॉन्ड्री को लेकर खूब शिकायतें मिल रही हैं. इसके बाद उन्होंने इसपर सोचना शुरू किया और आखिर में लॉन्ड्री का बिजनेस करने का फैसला किया.
UClean स्टार्टअप की शुरुआत-
साल 2017 में अरुणाभ सिन्हा ने होटल की नौकरी छोड़ दी और अपना स्टार्टअप शुरू किया. उनहोंने स्टार्टअप का नाम UClean रखा. अरुणाभ ने कंपनी का पहला स्टोर दिल्ली के वसंत कुंज में खोला. हालांकि उनके परिवार को ये आइडिया अच्छा नहीं लगा. लेकिन जब अरुणाभ अपने फैसले पर अडिग रहे. 5 साल में उनका कारोबार तेजी से बढ़ता गया. आज 125 से अधिक शहरों में उनका कारोबार चल रहा है. 350 से ज्यादा आउटलेट्स हैं.
किलो के हिसाब से धुलते हैं कपड़े-
अरुणाभ की कंपनी किलो के हिसाब से कपड़े धोती है. इसमें कपड़े धुलने के लिए वेबसाइट, ऐप या फोन करके ऑर्डर दे सकते हैं. इसके बाद नजदीक के फ्रेंचाइजी का कर्मचारी आपके घर आएगा और कपड़ों को तौलेगा. इसके बाद किलो के हिसाब से कपड़ों की धुलाई का शुल्क लिया जाता है. 24 घंटे के भीतर कपड़े धुलकर कस्टमर को लौटा दिए जाते हैं.
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