कोरोना काल का वह समय शायद ही कोई कभी भूल पाएगा. यह वो समय था जब लोगों के लिए समय बीताना ही मुश्किल हो गया था. अधिकांश लोग टीवी और मोबाइल पर अपना समय बीताते थे. टीवी पर पुराने सीरियल देखते थे, तो कुछ मोबाइल पर वीडियो देख समय बीताते थे. लेकिन इसी बीच उदयपुर के एक लड़के ने कुछ ऐसा कर दिया कि आज उसके नाम का डंका बज रहा है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं उदयपुर के दिग्विजय सिंह की. दिग्विजय भी कोरोना काल के दौरान अपने घर में कैद थे. लेकिन जहां और लोग बस जैसे-तैसे समय बिता रहे थे. तो वहीं इस दौरान दिग्विजय यूट्यूब का भरपूर इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने यूट्यूब से एक ऐसी कला सीखी जिसकी बदौलत आज देश के कई शहरों में लोग उन्हें जानते हैं.
क्या खास किया दिग्विजय ने कोरोना काल में?
कोरोना काल में दिग्विजय ने यूट्यूब से चॉकलेट बनाने की कला सीखी. जी हां, जहां लोग इस कला को सीखने के लिए काफी पैसे खर्च कर देते है. वहीं दिग्विजय ने इस कला को फ्री में सीखा. उस समय दिग्विजय की उम्र महज 16 साल थी, लेकिन वो अच्छे से चॉकलेट बनाने की कला को सीख चुके थे. साथ वही यहां ही नहीं रुके, उन्होंने अपनी बनाई चॉकलेट दोस्तों और रिश्तेदारों में भी बांटनी शुरू कर दी.
कब आया टर्निंग प्वाइंट?
दिवाली के समय उनके पिता ने एक नई कार खरीदी और उन्हें उपहार में एक चॉकलेट बॉक्स मिला. इस चॉकलेट बॉक्स में देख उनके दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना दिग्विजय की चॉकलेट को भी और लोगों तक पहुंचाया जाए. इसके लिए उन्होंने शहर में कार शोरूम मालिकों और दुकानदारों से बात की. आखिर में साल 2021 में मेहनत रंग लाई और एक जगह दिग्विजय को हजार चॉकलेट बनाने का मौका मिल ही गया.
लॉन्च किया अपना ब्रांड
2021 में ही दिग्विजय में अपना चॉकलेट ब्रांड 'साराम' लॉन्च किया. 'साराम' उस मेहनत का नतीजा था जो कोरोना काल में दिग्विजय ने हॉबी के तौर पर शुरू की थी. अब दिग्विजय 19 साल के हो चुके हैं और उनका ब्रांड करीब 2 टन चॉकलेट देश के विभिन्न इलाकों तक पहुंचा चुका है.
साथ ही उनका बिजनस 1 करोड़ की वैल्यू हासिल कर चुका है. उनकी चॉकलेट की खास बात है कि उनकी चॉकलेट का स्वाद भारतीय स्वाद को पकड़ता है. उनकी चॉकलेट में भारतीय मसालों और फ्लेवर का इस्तेमाल होता है.