1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2023 पेश होने जा रहा है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बार फिर बजट पेश करने वाली हैं. बता दें, बजट एक ऐसी चीज है जिसपर पूरे देश की निगाहें टिकी होती हैं. ये किसी उत्सव की तरह ही होता है. ये देश का लेखा जोखा होता है. हालांकि, बजट बनाना कोई छोटी चीज नहीं है. बजट बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसमें 6 से 7 महीने तक लग जाते हैं.
आमतौर पर अगस्त-सितंबर में बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है, यानी इसकी प्रस्तुति की तारीख से लगभग छह महीने पहले. प्रस्तुति के बाद, बजट को वित्तीय वर्ष की शुरुआत, यानी 1 अप्रैल से पहले संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना होता है. भारतीय केंद्रीय बजट केवल वित्त मंत्रालय ही नहीं बल्कि नीति आयोग और दूसरे संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से ही तैयार होता है.
क्या होता है बजट बनने का प्रोसेस?
1. सर्कुलर जारी होना
बजट बनने का सबसे पहला स्टेप सर्कुलर जारी होना होता है. वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को एक सर्कुलर जारी कर आने वाले साल के लिए एक अनुमान तैयार करने को कहता है. इस सर्कुलर में जरूरी दिशानिर्देशों के साथ मंत्रालयों की मांग कैसी होनी चाहिए इससे जुड़ी बातें होती हैं.
2. खर्च का अनुमान
सर्कुलर मिलने के बाद विभिन्न मंत्रालय साल भर के खर्च का अनुमान लगाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं. इसमें मंत्रालय योजना आयोग के साथ बिजली उत्पादन, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और हमारी अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों पर होने वाले खर्च का अनुमान लगाता है. इसके अलावा, मंत्रालयों के वित्तीय सलाहकार भी इस योजना में खर्च और कामकाज के बारे में जानकारी देते हैं.
3. राजस्व का अनुमान
खर्च के अनुमान के साथ-साथ सरकार के खजाने में कितना राजस्व कहां से आने वाला है इसका आकलन किया जाता है. टैक्स रेवेन्यू के माध्यम से प्राप्त होने वाली राशि का अनुमान कराधान की मौजूदा दरों के आधार पर और आगामी वित्तीय वर्ष में इसमें कितनी बढ़ोतरी हो सकती है और मुद्रास्फीति दर को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है.
इसके बाद सरकार के शीर्ष अधिकारियों द्वारा इन सब कागजों की जांच की जाती है, इसपर परामर्श होता है और फिर इस डेटा को वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है.
4. राजस्व आवंटन
वित्त मंत्रालय, सभी सिफारिशों पर विचार करने के बाद, अलग-अलग विभागों को उनके भविष्य में होने वाले खर्चों को देखते हुए राजस्व बांटता है.
5. बजट पूर्व बैठक
इसके बाद वित्त मंत्री अलग-अलग हितधारकों के प्रस्तावों और मांगों के बारे में जानने के लिए बजट से कुछ बैठकें करते हैं. इन हितधारकों में राज्य के प्रतिनिधि, बैंकर, कृषक, अर्थशास्त्री और ट्रेड यूनियन शामिल होता हैं.
6. मांगों पर अंतिम विचार
इतना ही नहीं एक बार बजट पूर्व परामर्श किए जाने के बाद, वित्त मंत्री मांगों पर अंतिम निर्णय लेते हैं और इसे अंतिम रूप देने से पहले प्रधान मंत्री के साथ भी चर्चा की जाती है.
7. बजट प्रस्तुति
सबसे आखिर में केंद्रीय बजट वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किया जाता है.
बड़ी गोपनीयता के साथ बनता है बजट
गौरतलब है कि बजट दस्तावेज को बड़ी ही गोपनीयता के साथ रखा जाता है. वित्त मंत्रालय के चुनिंदा अफसर इसे तैयार करते हैं. इसके लीक होने का खतरा भी होता है इसलिए इसमें यूज होने वाले सभी कंम्प्यूटरों को दूसरे नेटवर्क से हटा दिया जाता है यानि डीलिंक कर दिया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि जो भी लोग बजट पर काम कर रहे हैं उन्हें दो से तीन हफ्ते तक नॉर्थ ब्लॉक के ऑफिस में रहने होता है.