
देश के किसान अब मुनाफे वाली खेती करना सीख गए हैं. कई किसान कुछ अलग करना चाहते हैं. परंपरागत खेती से छोड़ रहे हैं. ये किसान धान और गेहूं की खेती नहीं कर रहे हैं. इससे उनको अच्छा-खासा फायदा भी हो रहा है. ऐसे ही एक किसान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के हैं, जो पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जी की खेती कर रहे हैं. वो टमाटर की अच्छी खेती करते हैं. टमाटर की डिमांड भी पूरे सीजन रहती है, जिससे उनको लाखों रुपए की कमाई होती है.
डेढ़ लाख तक की कमाई-
उत्कर्ष वर्मा नाम के ये किसान बाराबंकी के निजामपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने पारंपरिक खेती की जगह टमाटर की खेती करना बेहतर समझा. उनका ये आइडिया काम भी आया. उत्कर्ष वर्मा 2 बीघे में टमाटर की खेती कर रहे हैं. इससे उनको एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई होती है.
टमाटर की खेती में वो जरूरत के मुताबिक रासायनिक खाद का भी इस्तेमाल करते हैं. उत्कर्ष बीज, दवाइयां औऱ कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं, ताकि ज्यादा फसल हो सके. उनको 2 बीघे में टमाटर की खेती में 15 से 20 हजार रुपए की लागत आती है. लेकिन कमाई डेढ़ लाख रुपए तक हो जाती है. सीजन में टमाटर की डिमांड भी खूब होती है. इसलिए उत्कर्ष का टमाटर आसानी से बिक जाता है. उनको इसके लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है.
धान-गेहूं की जगह टमाटर की खेती-
हिंदी डॉट न्यूज 18 डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्कर्ष वर्मा पहले पारंपरिक खेती करते थे. रिपोर्ट के मुताबिक उत्कर्ष ने बताया कि वो पहले धान-गेहूं की खेती करते थे. इससे उनको कुछ खास फायदा नहीं होता था. लागत से थोड़ा ज्यादा कमाई होती थी. इसलिए वो खेती को लेकर हतोत्साहित रहते थे. लेकिन जब उन्होंने टमाटर की खेती शुरू की है. उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. उनकी आर्थिक तरक्की हुई है. टमाटर की खेती से उनको अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है.
टमाटर की खेती का तरीका-
टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट या बलुई मिट्टी मानी जाती है. मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए. सबसे पहले खेत को 3-4 बार अच्छी तरह से जोतना चाहिए, ताकि मिट्टी भुरभुरा हो जाए. इसके बाद इसमें गोबर की खाद मिलानी चाहिए.
4-6 हफ्ते में तैयार होता है पौधा-
टमाटर की खेती 2 तरह से करते हैं. टमाटर के बीज सीधे खेतों में बो सकते हैं या नर्सरी में पौधे लगाकर उसे खेतों में रोप सकते हैं. अगर नर्सरी में बीज लगाते हैं तो 4 से 6 हफ्ते के बाद पौधा रोपने के लिए तैयार हो जाता है. पौधों के बीच की दूरी 50-60 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
सिंचाई पर विशेष फोकस-
टमाटर के पौधों को नियमित रूप से पानी की जरूरत होती है. जब मिट्टी थोड़ी सूख जाए तो सिंचाई करनी चाहिए. ध्यान रहे कि ज्यादा सिंचाई से पौधे खराब भी हो सकते हैं. टमाटर की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम जैसे तत्वों की जरूरत होती है. इस खेती में गोबर, रासायनिक और जैविक खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है. टमाटर के पौधों को कीटनाशक से बचाने के लिए रसायन का छिड़काव करना होगा. जब टमाटर पूरी तरह से पक जाए तो उसे तोड़ लेना चाहिए.
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