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क्या कोरोना वैक्सीन का बजट पर पड़ेगा असर? क्या कहते हैं अर्थशास्त्री?

वैक्सीन की वजह से जो स्थिति सुधरी उससे इस बार बजट में संसाधन जुटाने की जगह लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा. इससे आयुष्मान भारत जैसी योजना का विस्तार किया जा सकता है. 

कोरोना वैक्सीन का बजट पर असर कोरोना वैक्सीन का बजट पर असर
हाइलाइट्स
  • बजट में संसाधन जुटाने की जगह लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा.

  • आयुष्मान भारत जैसी योजना का विस्तार किया जा सकता है. 

इस बार का बजट ऐसे समय में आ रहा है जब कोरोना के संकटकाल से देश निकल रहा है. हालांकि अभी नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर खतरा बरकरार है, पर ज़्यादातर लोग इस बार घर में ही ठीक हो रहे हैं. एक तरफ जहां हर दिन देश में लाखों केस सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ज्यादा लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है. इसके पीछे भारत की स्वदेशी वैक्सीन की बड़ी भूमिका है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैक्सीन के देश में निर्माण से लेकर देशवासियों को वैक्सीन लगाने तक में जिस तरह से काम हुआ है वो इस बार के बजट का ग्रोथ इंजन बन सकता है. 

कोरोना महामारी से लड़ाई के दौरान आत्मनिर्भर भारत को भी बहुत बल मिला. चाहे वो देश में ही वैक्सीन और कोविड टेस्टिंग किट का निर्माण यो या जरूरतमंद देशों को कोविड टीका भेजने की पहल, भारत ने हर क्षेत्र में खुद को धुरंधर साबित किया. ऐसे में अब जब वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश होने वाला है सरकार इस तरह के संकट में संसाधनों की व्यवस्था की जगह लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दे सकती है. अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर एम के अग्रवाल इसके बारे में समझते हुए बताते है कि इससे कई स्तरों पर लाभ हुआ है. 

स्वदेशी वैक्सीन के चलते कम रहा ओमिक्रॉन का खतरा 

लखनऊ युनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर एम के अग्रवाल ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि भारत ने जो स्वदेशी वैक्सीन बनायी है उसी का नतीजा है कि इतने लोगों को आसानी से वैक्सीन लग पायी. अगर स्वदेशी वैक्सीन न होती तो इतने लोगों को इतने कम समय में वैक्सीन लगना संभव नहीं होता. इतने लोगों को समय से वैक्सीन लगने की वजह से ही नया वेरिएंट घातक नहीं हुआ.  

योजनाओं का मिल सकेगा फायदा 

पिछले 24 घंटे में जहां भारत में 2.34 लाख नए कोविड केस सामने आए, वहीं 164.83 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगायी गयी. जिसमें 94.15 करोड़ लोगों को पहली डोज और 70.67 करोड़ लोगों को दोनों डोज लगायी गयी. ऐसे में कोरोना के कहर के बीच वैक्सीन लगने के बाद लोगों ने काम पर लौटकर राष्ट्र की आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि की. बाहर से आने वाली वैक्सीन और पेड वैक्सीन के लिए सरकार ने जिस तरह विकल्प खुले रखे उससे राजस्व का फायदा हुआ. प्रोफ़ेसर एम के अग्रवाल का कहना है कि वैक्सीन की वजह से जो स्थिति सुधरी उससे इस बार बजट में संसाधन जुटाने की जगह लोगों को योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा. इससे आयुष्मान भारत जैसी योजना का विस्तार किया जा सकता है. 

एक तरफ जहां विकसित देशों में से कई वैक्सीन नहीं बना सके, वहीं पांच विकसित देशों के अलावा वैक्सीन निर्माण कर भारत ने अपनी छवि बेहतर कर ली. इसमें उन देशों को वैक्सीन सप्लाई करने का भी फ़ैसला रहा जो इसको नहीं बना पाए थे और जहां इसकी ज़रूरत थी. देशों के बीच परस्पर आगे व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भी ये महत्वपूर्ण रहने वाला है.