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डार्क पैटर्न क्या है? जिसे लेकर सरकार ने जारी किए हैं दिशानिर्देश, ऑनलाइन कंपनियां कैसे इसका सहारा लेकर ग्राहकों को खरीदारी के लिए मजबूर करती हैं

कई ऑनलाइन रिटेल कंपनियां ग्राहकों को सामान खरीदने को मजबूर करने के लिए डार्क पैटर्न्स अपनाती हैं. इसी प्रक्रिया में कमी लाने के लिए सरकार को दिशानिर्देश जारी करने पड़े हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और एक निष्पक्ष व पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

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हाइलाइट्स
  • डार्क पैटर्न पर लगाम लगाने के लिए केंद्र ने मांगे सुझाव

  • मिलेगा निष्पक्ष और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा

सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न (Dark Pattern) की रोकथाम और नियमन के लिए तैयार मसौदा दिशा-निर्देशों पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं. ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए इस्तेमाल किए जा रहे डार्ट पैटर्न से हो रहे लोगों को नुकसान को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस पर लोगों से सुझाव मांगे हैं.

दरअसल कई ऑनलाइन रिटेल कंपनियां ग्राहकों को सामान खरीदने को मजबूर करने के लिए डार्क पैटर्न्स अपनाती हैं. इसी प्रक्रिया में कमी लाने के लिए सरकार को दिशानिर्देश जारी करने पड़े हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और एक निष्पक्ष व पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

डार्क पैटर्न क्या हैं?

ऑनलाइन ग्राहकों को धोखा देने या उनकी पसंद में हेरफेर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति को ‘डार्क पैटर्न’ कहते हैं. ये इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि ग्राहक गुमराह हो जाए. ये वेबसाइट यूजर को जानबूझकर ऐसे प्रोडक्ट के पेज पर ले जाते हैं जिसे आमतौर पर वह खरीदना नहीं चाहता. मान लीजिए आप कोई प्रोडक्ट सर्च कर रहे हैं. ठीक उसी समय डार्क पैटर्न के जरिए ऑनलाइन वेबसाइट्स अच्छी तस्वीरों और झांसा देने वाले मैसेजेस के जरिए आपको उन प्रोडक्ट के बारे में बताते हैं जिनके बिकने से उन्हें ज्यादा फायदा होता है. जरूरत से ज्यादा जानकारी हासिल करना, ई-मेल सर्विस के लिए साइन इन करवा लेना, ऑर्डर कैंसिल करना मुश्किल बनाना जैसे काम डार्क पैटर्न में आते हैं. कई कंपनियां डार्क पैटर्न के लिए थर्ड पार्टी एप्स की सर्विस भी लेती हैं.

सरकार ने क्या वॉर्निंग दी है?

सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों से अपने प्लेटफॉर्म के ऑनलाइन इंटरफेस में ऐसे किसी भी डिजाइन या पैटर्न को शामिल करने से दूर रहने को कहा है जो उपभोक्ताओं को धोखा दे सकता है या उनकी पसंद में हेरफेर कर सकता है. जारी किए गए मसौदा दिशानिर्देशों के अनुसार, यह भ्रामक विज्ञापन या अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस या उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है.

जुर्माना लगाया जा सकता है

मंत्रालय ने 5 अक्टूबर तक लोगों से फीडबैक मांगा है ताकि इस खतरे को रोकने के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जा सकें. ये दिशानिर्देश भारत में चल रहे वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश करने वाले सभी प्लेटफार्मों पर लागू होंगे. प्रॉफिट के लिए डार्क पैटर्न का इस्तेमाल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा और जुर्माना लगाया जाएगा.