हम सभी अलग-अलग पासपोर्ट के बारे में जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विनोद अडानी से लेकर पंकज ओसवाल और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के पास कौन सा पासपोर्ट होता है? दरअसल, ये पासपोर्ट गोल्डन पासपोर्ट होता है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिटिजनशिप इन्वेस्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में गोल्डन पासपोर्ट के लिए वैश्विक आवेदकों में भारतीयों की हिस्सेदारी 9.4% थी.
गोल्डन पासपोर्ट चुनिंदा देशों द्वारा पेश किया जाने वाला एक प्रोग्राम है जहां विदेशी लोग पर्याप्त निवेश या संपत्ति खरीद के माध्यम से नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं. भारतीय उद्यमियों के लिए, इस पासपोर्ट को रखने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने में काफी आसानी हो सकती है.
भारतीयों की हिस्सेदारी 9.4 प्रतिशत
इकोनॉमिक टाइम्स की हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में गोल्डन पासपोर्ट के लिए वैश्विक आवेदकों में भारतीयों की संख्या 9.4% थी. हालांकि, एक गोल्डन पासपोर्ट केवल एक ट्रेवल डॉक्यूमेंट नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक है. यह इंटरनेशनल बिजनेस करने वालों के लिए एक रणनीतिक उपकरण है. ये इच्छुक विदेशियों को नागरिकता की सुविधा देता है. इससे बिजनेस में भी काफी फायदा मिलता है.
उद्योगपतियों के लिए है अच्छा
गोल्डन पासपोर्ट भारतीय उद्योगपतियों के लिए दरवाजे खोलता है, ताकि वे आसानी से बेहतर इंटरनेशनल डील कर सकें. यूरोपीय देश, विशेष रूप से जर्मनी, स्वीडन, स्पेन, फ्रांस और इटली, व्यावसायिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए सबसे टॉप पर हैं. इसके अलावा पुर्तगाल, ग्रेनाडा, साइप्रस और माल्टा जैसी जगहों के पासपोर्ट का भी काफी फायदा होता है.
टैक्स बचाने में मिलती है मदद
ये पासपोर्ट कहीं ने कहीं टैक्स बचाने में भी मदद करता है. गोल्डन पासपोर्ट प्रोग्राम में भाग लेने वाले देश अक्सर वैश्विक आय, पूंजीगत लाभ, गिफ्ट्स, पैसे, या इनहेरिटेंस पर बहुत कम या कोई टैक्स नहीं लगाते हैं. इससे कहीं न कहीं बचत होती है. इतना ही नहीं बल्कि कई एक्सपर्ट्स भी गोल्डन पासपोर्ट कार्यक्रम में भाग लेने की सलाह देते हैं. मध्य पूर्व और यूरोप में व्यापार के लिए स्विस और पुर्तगाली पासपोर्ट की सिफारिश की जाती है, जबकि उत्तरी अमेरिकी बाजार तक पहुंच के लिए कनाडाई पासपोर्ट का सुझाव दिया जाता है.