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User Choice Billing Policy: क्या है Google की नई बिलिंग पॉलिसी, क्यों इसको लेकर मचा है बवाल

Google Billing Policy: गूगल प्ले स्टोर के लिए लाई गई नई बिलिंग पॉलिसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इसे यूजर चॉइस बिलिंग के तौर पर भी जाना जाता है. अक्टूबर 2022 में CCI ने Google Play बिलिंग सिस्टम के लिए गूगल पर जुर्माना लगाया था और गूगल को थर्ड पार्टी पेमेंट ऑप्शन देने की इजाजत देने का निर्देश दिया था. सीसीआई ने गूगल पर 936 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था.

गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है

गूगल नया बिलिंग सिस्टम भारत में लागू हो गया है. लेकिन इससे ऐप डेवलपर और स्टार्टअप खुश नहीं हैं. ऐसे में गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) ने गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी को कोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) को एडीआईएफ की अर्जी पर 26 अप्रैल पर विचार करने को कहा था. सिंगल बेंच के आदेश को गूगल ने चुनौती दी. लेकिन जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रह्मयम प्रसाद की पीठ ने गूगल की मांग को खारिज कर दिया. गूगल ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी. दरअसल ADIF ने कमीशन के आधार पर ऐप में खरीद की छूट और डाउनलोड की सुविधा देने की गूगल की पॉलिसी को चुनौती दी है.

क्या है पूरा विवाद-
दरअसल गूगल की एप स्टोर को लेकर नई बिलिंग पॉलिसी के खिलाफ एआईडीएफ की अगुवाई में स्टार्टअप ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि गूगल सीसीआई के आदेश को बायपास करने की कोशिश कर रहा है. नई पॉलिसी के तहत थर्ड पार्टी भुगतान प्रोसेसर के मामले में गूगल 11 से 26 फीसदी तक सेवा शुल्क ले रहा है. ADIF का कहना है कि अगर यूजर गूगल प्ले स्टोर से पेमेंट नहीं करते हैं तो इतना हाई चार्ज लगाना उचित नहीं है. एडीआईएफ का ये भी आरोप है कि सीसीआई के पास कोरम बनाने के लिए पर्याप्त सदस्य नहीं हैं, जिसका फायदा गूगल उठा रहा है. याचिकाकर्ता की मांग है कि गूगल को थर्ड पार्टी के भुगतान लेनदेन पर कोई कमीशन नहीं लेना चाहिए.
गूगल की नई बिलिंग सिस्टम में डेवलपर्स को गूगल प्ले की बिलिंग सिस्टम के साथ एक वैकल्पिक बिलिंग विकल्प चुनने की इजाजत है. गूगल ने ये सिस्टम अक्टूबर 2022 में सीसीआई के उस आदेश के बाद लागू किया है, जिसमें थर्ड पार्टी बिलिंग सिस्टम के इस्तेमाल की इजाजत देने के लिए कहा गया था. गूगल ने थर्ड पार्टी को बिलिंग सिस्टम के इस्तेमाल की इजाजत दी है. लेकिन इसके लिए 11-26 फीसदी सेवा शुल्क लगता है. पिछले इन-ऐप भुगतान सिस्टम में ऐप डेवलपर्स और स्टार्टअप को गूगल की सेवाओं के लिए 15-30 फीसदी का भुगतान करना पड़ता था.

गूगल का क्या है तर्क-
नई बिलिंग पॉलिसी को लेकर गूगल का कहना है कि 97 फीसदी डेवलपर्स ऐसे हैं, जिनको बिना किसी शुल्क के अपनी सेवाएं मुहैया कराते हैं. इनमें से 99 फीसदी ऐसे लोग हैं, जो 15 फीसदी से नीचे की फीस आसानी से दे सकते हैं. बाकी एक फीसदी ऐसे लोग हैं, जिनका रेवेन्यू एक मिलियन डॉलर है, उनको 30 फीसदी देना पड़ता है. गूगल का कहना है कि इस पॉलिसी नियम के उल्लंघन का आरोप गलत है.

गूगल पर लग चुका है जुर्माना-
पिछले साल अक्टूबर में सीसीआई ने गूगल पर 936 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था और गूगल से कहा था कि वो ऐप डेवलपर को किसी थर्ड पार्टी की बिलिंग सर्विस का इस्तेमाल करने की इजाजत दे और कोई भेदभाव पूर्ण शर्त ना लगाए. दरअसल गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम के लिए गूगल 15-30 फीसदी कमीशन लेता था. इसको लेकर ही सीसीआई ने जुर्माना लगाया था. 
 
क्या है गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम-
Google Play बिलिंग सिस्टम उन डेवलपर्स के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, जिनके ऐप में डिजिटल कंटेंट के खरीदने की सुविधा होती है. गूगल डेवलपर्स से सभी तरह के डिजिटल कंटेंट की बिक्री पर 15-30 फीसदी का कमीशन लेता है. एपल के ऐप स्टोर पर भी इसी तरह की सुविधा है और एपल भी कमशीन लेता है. गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने पर आपके पास महीने का बजट तय करने, पेमेंट का इतिहास देखने और सदस्यताएं मैनेज करने का विकल्प होता है.

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