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क्या है मोदी सरकार की National Retail Trade Policy, बिजनेस को कैसे बना देगी आसान, फुटकर दुकानदारों को कौन-कौन सी मिलेंगी सुविधाएं, यहां पढ़िए 

DPIIT की ओर से National Retail Trade Policy बनाई जा रही है. इस पॉलिसी को लाने का उद्देश्य देश में रिटेल ट्रेड को विकास कर विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रणनीति तैयार करना है. इसमें कौशल विकास को बढ़ावा भी दिया जाएगा.

नेशनल ट्रेड पॉलिसी से छोटे दुकानदारों को होगा फायदा. नेशनल ट्रेड पॉलिसी से छोटे दुकानदारों को होगा फायदा.
हाइलाइट्स
  • दुर्घटना बीमा मिलने से छोटे व्यापारियों को मिलेगा बड़ा सहारा 

  • ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-वाणिज्य नीति लाने पर भी विचार

केंद्र की मोदी सरकार छोटे-बड़े सभी व्यापारियों का ध्यान रख रही है. उनके विकास के लिए तरह-तरह की पॉलिसी ला रही है. अब सरकार जल्द ही नेशनल ट्रेड पॉलिसी यानी राष्ट्रीय फुटकर व्यापर पॉलिसी को अमल में लाने जा रही है. इससे देश के फुटकर दुकानदारों का बिजनेस सहूलियत भरा और आसान हो जाएगा. इस पॉलिसी के तहत फुटकर दुकानदारों को कई तरह की सुविधाएं देकर उनका व्यापर आसान बनाने की कोशिश की जाएगी. 

16 विभागों और मंत्रालय के मांगे सुझाव 
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) की ओर से नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी बनाई जा रही है. सरकार ने इसका मसौदा तैयार करने के लिए कुछ समय पहले 16 विभागों और मंत्रालय के सुझाव मांगे हैं. इस नीति को लाने का उद्देश्य देश में रिटेल ट्रेड को विकास कर विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रणनीति तैयार करना है. इसमें कौशल विकास को बढ़ावा देना और श्रम उत्पादकता में सुधार करने को लेकर भी कार्य किया जाएगा.

अधिक ऋण उपलब्ध कराने में मिलेगी मदद 
डीपीआईआईआटी के संयुक्त सचिव संजीव ने कहा कि नीति से व्यापारियों को बेहतर बुनियादी ढांचा और अधिक ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि विभाग ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-वाणिज्य नीति लाने पर भी काम कर रहा है. हम चाहते हैं कि ई-वाणिज्य और खुदरा व्यापारियों के बीच तालमेल बेहतर हो. इसके अतिरिक्त विभाग सभी खुदरा व्यापारियों के लिए 'बीमा योजना' बनाने की प्रक्रिया में भी है. दुर्घटना बीमा मिलने से देश के छोटे व्यापारियों को बड़ा सहारा मिलेगा.

खुदरा उद्योग की वृद्धि की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज
भारत के खुदरा उद्योग की वृद्धि की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज है और इसके 2032 तक दो लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा छूने की उम्मीद है. भारतीय खुदरा उद्योग के 2022 में 844 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जिसमें असंगठित क्षेत्र का हिस्सा 87 प्रतिशत का रहेगा.  खुदरा बाजार 10 प्रतिशत सालाना वृद्धि करते हुए 2032 में दो लाख करोड़ डॉलर का होगा. यह वृद्धि दर दुनिया के किसी भी खुदरा बाजार में सबसे ज्यादा है.