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अमेरिका में 50 साल बाद लौट सकता है Stagflation! महंगाई, बेरोजगारी और मंदी से जुड़ा ये शब्द आखिर है क्या?

स्टैगफ्लेशन एक खतरनाक आर्थिक स्थिति होती है, जिसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था ठहराव (Stagnation) का शिकार हो जाती है और महंगाई (Inflation) बेकाबू हो जाती है. आमतौर पर मंदी के दौरान महंगाई कम होती है, लेकिन स्टैगफ्लेशन में मंदी और महंगाई दोनों एक साथ चलते हैं.

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हाइलाइट्स
  • आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ेंगी

  • शेयर बाजार में गिरावट हो सकती है

अमेरिका की अर्थव्यवस्था एक गंभीर खतरे की ओर बढ़ रही है, जिसे स्टैगफ्लेशन (Stagflation) कहा जाता है. यह एक ऐसी आर्थिक स्थिति होती है जिसमें किसी भी देश की विकास दर सुस्त पड़ जाती है, बेरोजगारी बढ़ने लगती है, लेकिन महंगाई में लगातार बढ़ोतरी जारी रहती है. वर्तमान आर्थिक संकेतकों को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका करीब पांच दशक बाद एक बार फिर स्टैगफ्लेशन की चपेट में आ सकता है.

खास बात यह है कि अगर अमेरिका को वास्तव में स्टैगफ्लेशन का सामना करना पड़ा, तो इसका असर सिर्फ अमेरिकी नागरिकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आई मंदी अन्य देशों को भी संकट में डाल सकती है.

स्टैगफ्लेशन क्या होता है?
स्टैगफ्लेशन एक खतरनाक आर्थिक स्थिति होती है, जिसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था ठहराव (Stagnation) का शिकार हो जाती है और महंगाई (Inflation) बेकाबू हो जाती है. आमतौर पर मंदी के दौरान महंगाई कम होती है, लेकिन स्टैगफ्लेशन में मंदी और महंगाई दोनों एक साथ चलते हैं.

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स्टैगफ्लेशन के कई मुख्य लक्षण होते हैं. जैसे अर्थव्यवस्था की सुस्ती. औद्योगिक उत्पादन और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट. साथ ही बेरोजगारी में बढ़ोतरी होती है. कंपनियां नई भर्तियां नहीं करतीं और मौजूदा कर्मचारियों की छंटनी करती हैं. महंगाई भी तेज हो जाती है और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती जाती है. इतना ही नहीं लोन भी महंगा होता जाता है और केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से कर्ज लेना मुश्किल हो जाता है.

क्या अमेरिका स्टैगफ्लेशन के करीब पहुंच रहा है?
अगर हाल के आर्थिक आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका में स्टैगफ्लेशन जैसी स्थिति उभरने लगी है. अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़ रही है और कई बड़ी कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी की है और नई भर्तियों पर रोक लगाई है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो महंगाई अनुमान से ज्यादा बढ़ रही है और खाद्य पदार्थों, फ्यूल और किराये की दरों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इतना ही नहीं बल्कि ब्याज दरों में भी वृद्धि हो रही है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ा दी हैं, जिससे कर्ज लेना महंगा हो गया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो अमेरिका को 1970 के दशक के स्टैगफ्लेशन जैसी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

स्टैगफ्लेशन के पीछे क्या कारण हैं?
हालांकि, स्टैगफ्लेशन के पीछे के कारण क्या हैं ये साफ नहीं है. लेकिन इसके पीछे कई संभावित वजहें हो सकती हैं.

1. 1970 के दशक जैसा आर्थिक संकट
1970 के दशक में अमेरिका को स्टैगफ्लेशन का सामना करना पड़ा था, जिसका मुख्य कारण OPEC देशों द्वारा तेल सप्लाई में कटौती था. उस समय कच्चे तेल की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई थीं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई और कंपनियों ने नौकरियां देना बंद कर दिया.
आज के हालात भी कुछ हद तक वैसे ही दिख रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा संकट पैदा हुआ है, जिससे तेल और गैस की कीमतें बढ़ रही हैं.

2. महंगाई और ब्याज दरों में तेज वृद्धि
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी की है. इससे लोगों को लोन लेना महंगा पड़ रहा है और कंपनियां नए निवेश से बच रही हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो रही है.

3. अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और टैरिफ नीतियां
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ गया था, जिससे आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगा. ट्रंप ने संकेत दिया है कि यदि वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे चीन से आयातित उत्पादों पर टैरिफ और बढ़ाएंगे. इससे उपभोक्ता वस्तुएं और महंगी हो सकती हैं.

4. अमेरिकी बैंकिंग संकट और बाजार में अस्थिरता
2023 में अमेरिका के कई बड़े बैंक संकट में आ गए थे, जिससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ी. इसका असर अभी भी बना हुआ है और निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है.

स्टैगफ्लेशन के संभावित खतरे
सीएनबीसी की रिपोर्ट की मानें, तो अगर अमेरिका में स्टैगफ्लेशन बढ़ता है, तो इसके गंभीर प्रभाव होंगे:

1. आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ेंगी
बेरोजगारी बढ़ने और महंगाई तेज होने से आम लोगों की क्रय शक्ति (purchasing power) कम हो जाएगी. कम आमदनी और बढ़ते खर्च के कारण लोगों का जीवन स्तर गिर सकता है.

2. वैश्विक मंदी का खतरा
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अगर यहां स्टैगफ्लेशन आया, तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. भारत समेत कई देशों को निर्यात और निवेश में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है.

3. शेयर बाजार में गिरावट
अर्थव्यवस्था की धीमी गति से शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिल सकती है. निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है.

4. अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी
अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो डॉलर की वैल्यू प्रभावित हो सकती है. इससे दूसरे देशों की करेंसी पर भी असर पड़ेगा.

अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस समय स्टैगफ्लेशन के खतरनाक मोड़ पर खड़ी है. महंगाई, बेरोजगारी और सुस्त विकास दर ने इस आशंका को और मजबूत कर दिया है. अगर यह स्थिति लंबी चली, तो न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है.