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Lakme Success Story: लक्ष्मी से लैक्मे तक, जानिए भारत की पहली कॉस्मैटिक ब्रांड की कहानी

Lakme ब्रांड टाटा ग्रुप की कॉस्मैटिक इंडस्ट्री में शुरुआत थी जिसे जेआरडी टाटा ने शुरू किया था और यह आजाद भारत में जन्मी पहली कॉस्मैटिक कंपनी है.

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हाइलाइट्स
  • सिमोन टाटा ने संभाली जिम्मेदारी 

  • एडवरटाइजिंग से बनाई घर-घर पहचान

लिप ग्लॉस हो या स्टेटमेंट विंग्ड आईलाइनर, लैक्मे पिछले कई दशकों से कॉलेज गर्ल्स से लेकर वर्किंग महिलाओं और गृहिणियों का भी फेवरेट है. 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट, लैक्मे कॉस्मेटिक्स पहला स्वदेशी रूप से विकसित मेकअप ब्रांड था जिसे 1950 के दशक में देश में लॉन्च किया गया था. 

Lakme का नाम एक फ्रांसीसी ओपेरा के नाम पर रखा गया. आपको बता दें कि फ्रेंच में लैक्मे का मतलब देवी लक्ष्मी होता है. भारत में कॉस्मैटिक मार्केट 1,100 करोड़ रुपये का है जिसमें 35 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी लैक्मे की है. सबसे दिलचस्प बात है कि इस ब्रांड की सफलता में दो दिग्गजों का हाथा है- पंडित नेहरू और जेआरडी टाटा. 

कैसे हुई शुरुआत
1950 के आसपास, भारत एक युवा देश था, और आम तौर पर एक उभरती अर्थव्यवस्था कई तरह की परेशानियों से जूझ रही थी. स्वाभाविक रूप से, प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू भारतीय मध्यम और उच्च वर्ग की महिलाओं के पश्चिमी देशों से कॉस्मैटिक खरीदने के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा देने को लेकर चिंतित थे. ऐसे में, उन्होंने उद्योगपति जेआरडी टाटा को भारत का अपना कॉस्मैटिक ब्रांड शुरु करने के लिए कहा. उस समय टाटा अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिनके पास बदलाव लाने के साधन भी थे और क्षमता भी.

टाटा ने बहुत विचार-विमर्श के बाद, ब्रांड शुरू करना का फैसला किया और उन्होंने इसका नाम लैक्मे रखा. यह नाम एक फ्रांसीसी ओपेरा से आया जिससे ओपेरा की नाटकीय और ग्लैमरस अपील को ब्रांड में शामिल किया गया. दिलचस्प बात यह है कि माता लक्ष्मी - का वेस्टर्न डेरिवेटिव है. लेकिन ऐसा कोई तरीका नहीं है कि भारतीय महिलाएं लक्ष्मी काजल या लिपस्टिक नाम की कोई चीज़ खरीदें- और इसलिए नाम थोड़ा अलग और आयकॉनिक- लैक्मे रखा गया.

यह पहली बार था कि कोई देसी बाज़ार में कॉस्मैटिक का निर्माण कर रहा था. भारतीय त्वचा और रंग की सही ज़रूरतों का पता लगाने के लिए बहुत सारे शोध की आवश्यकता थी. विशेषज्ञों को चौबीसों घंटे काम पर लगाया गया था. 1952 में, लैक्मे ने टाटा ऑयल मिल्स की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी के रूप में ऑपरेशन शुरू किया. सिमोन टाटा, नवल एच. टाटा की स्विस पत्नी, जो 1961 में प्रबंध निदेशक के रूप में शामिल हुईं, 1982 में इसकी अध्यक्ष बनीं. 

सिमोन टाटा ने संभाली जिम्मेदारी 
सिमोन एक यूरोपीय महिला थी और समझती थी कि उभरते सौंदर्य ब्रांड को वास्तव में कहां ले जाना है. भारत की अपनी कॉरपोरेट महारानी के नाम से मशहूर, सिमोन मुख्य रूप से पुरुष प्रधान दुनिया में महिलाओं के लिए सांस थीं. स्टाइलिश, गर्मजोशी से भरपूर और नवोन्मेषी, वह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्विटज़रलैंड में काफी समय तक रही थी और पैसे के महत्व को समझती थी - और लैक्मे लाइन ने इसे रिफ्लेक्ट किया. 

यह सिमोन ही थीं जो लैक्मे को घर-घर में मशहूर नाम बनाने में काफी हद तक जिम्मेदार थीं. उन्हें 1989 में टाटा इंडस्ट्रीज के बोर्ड में नियुक्त किया गया था. समय गुजरता गया. वैश्विक एफएमसीजी क्षेत्र में यूनिलीवर के विशाल और विविध अनुभव को देखते हुए टाटा ने अंततः 1996 में लैक्मे को 200 करोड़ रुपये में हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया.

लैक्मे फैशन वीक और स्कूल ऑफ स्टाइल
लैक्मे ने कामकाजी महिलाओं के लिए अपनी नई रेंज की कीमत पर भी दांव खेला है. इसकी कीमत 200 रुपये से 600 रुपये के बीच है, जो इसे ज्यादातर लोगों की पहुंच में लाती है. रेवलॉन, चैंबोर और यहां तक ​​कि लोरियल पेरिस , और मेबेलिन जैसे अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों की कीमत 500 रुपये से अधिक है. 

दशकों से, लैक्मे ने खुद को मेकअप निर्माण तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि ग्लैमर की दुनिया को एक्सप्लोर किया है. लैक्मे सैलून से लेकर आपकी दैनिक मेकअप जरूरतों को पूरा करने के लिए फैशन वीक और स्टाइल स्कूल तक, ब्रांड बहुत आगे बढ़ चुका है. 

शुरुआत के लिए, लैक्मे फैशन वीक साल में दो बार होने वाला फैशन कार्यक्रम है जो हर साल फरवरी और अगस्त में मुंबई में होता है. फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) इस फैशन वीक को चलाता है. पहली बार यह 1999 में शुरू हुआ, इसमें हिंदी फिल्म उद्योग के क्रीम डे ला क्रीम मॉडल और सितारे शामिल थे. अर्जुन रामपाल से लेकर मलायका अरोड़ा खान, ऐश्वर्या से लेकर करीना और दीपिका पादुकोण तक को, इसमें शामिल किया गया और कई प्रतिष्ठित करियर की शुरुआत यहां से हुई.

एडवरटाइजिंग से बनाई घर-घर पहचान
80 के दशक की मशहूर हस्ती और सुपर मॉडल श्यामोली वर्मा को ब्रांड के पहले चेहरे के रूप में दिखाते हुए, लैक्मे ने मेकअप लगाने से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने का अपना अभियान शुरू किया. बाद में वर्मा को 'लैक्मे गर्ल' के नाम से जाना जाने लगा. पारंपरिक पोशाक पहने और लैक्मे उत्पादों से सजी, सितार और बांसुरी जैसे भारतीय संगीत वाद्ययंत्र बजाते हुए, उन्होंने ब्रांड में आधुनिकता और 'भारतीयता' का मिश्रण दिखाया. ‘इफ कलर टू बी ब्यूटी, व्हाट म्यूजिक इज टू मूड, प्ले ऑन (अगर रंग सुंदरता के लिए हो, तो संगीत के लिए मूड, बनाए रखो) ब्रांड की पहली आकर्षक टैगलाइन थी.

यह सिर्फ शुरुआत थी. इसके तुरंत बाद, उन्होंने रेखा, ऐश्वर्या राय बच्चन, करीना कपूर खान, श्रद्धा कपूर और काजोल देवगन जैसे बॉलीवुड कलाकारों को शामिल कर लिया. आज, कंपनी के पास 300 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं और 70 से ज्यादा देशों में बेचे जाते हैं.