
भारत सरकार एक यूनिवर्सल पेंशन योजना की योजना बना रही है जो लोगों को स्वेच्छा यानी अपनी इच्छा से योगदान करने और रिटायरमेंट के बाद पेंशन का फायदा लने की सुविधा देगी. इस योजना का लक्ष्य पारंपरिक रोजगार से परे सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना और समाज के एक बड़े वर्ग के लिए एक संरचित पेंशन प्रणाली प्रदान करना है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि श्रम और रोजगार मंत्रालय प्रस्तावित योजना पर काम कर रहा है, जिससे मौजूदा पेंशन योजनाओं को एक इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत लाने की उम्मीद है.
सभी के लिए होगी यह योजना
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना सभी के लिए खुली होगी, क्योंकि यह रोजगार से जुड़ी नहीं होगी. इसका मतलब यह है कि स्व-रोज़गार वाले लोगों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों सहित कोई भी, समय के साथ पैसे का योगदान करके अपनी पेंशन बना सकता है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इस योजना को विकसित कर रहा है, और एक बार ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के बाद, इसे लागू करने के लिए ज़रूरी ऑफिशियल्स से कंसल्ट किया जाएगा.
एक योजना के अंतर्गत जुड़ सकती हैं कई योजनाएं
इस योजना में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (पीएम-एसवाईएम) और व्यापारियों और स्व-रोजगार (एनपीएस-व्यापारियों) के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना जैसी मौजूदा पेंशन योजनाओं को जोड़ने की उम्मीद है. ये दोनों योजनाएं वर्तमान में रिटारमेंट के बाद 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन देती हैं. इसमें कर्मचारी का 55 रुपये से लेकर 200 रुपये प्रति माह तक का योगदान होता है, और सरकार भी इतना ही डालती है. अटल पेंशन योजना को वर्तमान में पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) रेगुलेट किया जा रहा है. इसे भी नई योजना में शामिल किया जा सकता है.
इन लोगों को मिलेगा फायदा
यूनिवर्सल पेंशन योजना से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, व्यापारियों, स्व-रोज़गार कर रहे लोगों और 18 वर्ष और उससे ज़्यादा आयु के अन्य नागरिकों सहित कई लोगों को लाभ होने की उम्मीद है, जो 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन का फायदा सुरक्षित करना चाहते हैं. केंद्र सरकार राज्य सरकारों को भी अपनी पेंशन योजनाओं को इस नई पहल के साथ जोड़नेने के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती है ताकि डुप्लिकेशन न हो यानी एक ही इंसान को कई-कई अलग योजनाओं का फायदा देने की जगह ज़्यादा लोगों को फायदा मिले.
दूसरे देशों में भी हैं ऐसी स्कीम
अमेरिका, कनाडा, रूस, चीन और अधिकांश यूरोपीय देशों सहित कई विकसित देशों में पहले से ही स्ट्रक्चरड सामाजिक सुरक्षा सिस्टम हैं जो पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल और बेरोजगारी को कवर करती हैं. डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देश अपनी बुजुर्ग आबादी की फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम दे रहे हैं.