रूस और यूक्रेन के युद्ध का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल रहा है. स्टॉक मार्किट में हलचल मची हुई है, सोने और कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों को देखते हुए कई देश Strategic Petroleum Reserve (SPR) को बाजार में उतारने पर विचार कर रहे हैं.
भारत भी इन देशों की सूची में शामिल है. क्योंकि SPR यानी कि सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व को बाजार में उतारकर भारत कच्चे तेल के दामों को कंट्रोल में कर पायेगा. जिससे पेट्रोल की कीमतों को भी कम रखा जा सकेगा. रूस यूक्रेन युद्ध के कारण ग्लोबल मार्किट में कच्चे तेल के दाम उच्चतम स्तर पर पहुंच गए है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह से इस साल के मध्य तक कच्चा तेल 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है.
ऐसे में देशों के पास SPR को इस्तेमाल करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. अब सवाल यह है कि आखिर SPR या सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व आखिर है क्या?
क्या होता है SPR:
SPR का मतलब है सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व. जिसका तात्पर्य ऐसे तेल भंडारों से है जहां पर विभिन्न देश इमरजेंसी के हालात में इस्तेमाल के लिए तेल का भंडार रखते हैं. यह तेल रिज़र्व में रखा जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर देश इसका इस्तेमाल कर सके.
अमेरिका के पास दुनिया के पास सबसे बड़े SPR हैं. अमेरिका के अलावा चीन, जापान, स्पेन, दक्षिण कोरिया और भारत जैसे देशों के पास अपने SPR हैं.
2004 में हुई थी ISPRL की स्थापना:
साल 2004 इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) की स्थापना इंडियन ऑयल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में की गई थी. इसके बाद 2006 में इस कंपनी को ऑयल इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड (ओआईडीबी) में स्थानांतरित किया गया. इसके पहले चरण के तहत अब तक तीन प्लांट कमीशन हुए हैं.
जून 2015 में विशाखापत्तनम प्लांट, अक्टूबर, 2016 में मैंगलोर प्लांट और दिसंबर, 2018 में पादुर, ऊड़ूपी प्लांट कमीशन हुआ था. वहीं जून 2018 में सरकार ने दो अतिरिक्त एसपीआर सुविधाएं स्थापित करने के लिए 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी थी.
अगस्त 2021 से भारत अपने सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व (एसपीआर) से सरकारी रिफाइनरियों को तेल बेच रहा है.
74 दिनों का कच्चा तेल है भारत के पास:
बात अगर कच्चे तेल के आयात की करें तो भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है. भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% से अधिक आयात करता है.
ऐसे में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं. इसलिए जब-जब ग्लोबल मार्किट में कच्चे तेल की कीमतें कम होती हैं तो भारत अपने SPR के लिए कच्चा तेल खरीदता है.
फिलहाल भारतीय रिफाइनरी कंपनियों के पास करीब पास 64.5 दिनों का भंडार मौजूद है. इसके अलावा ISPRL के पास भी 39.62 मिलियन बैरल कच्चा तेल उपलब्ध है. कुल मिलाकर भारत में 74 दिनों के लिए स्टॉक मौजूद है.
दूसरे देशों के साथ समन्वय में होगा काम:
यह बात लगभग तय है कि भारत SPR को मार्किट में उतारेगा ताकि पेट्रोल की कीमतों को कम किया जा सके. क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का मतलब है पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी. और आम नागरिकों के की कीमतें अचानक से बढ़ जाना ठीक नहीं होगा.
इसलिए भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर SPR को मार्किट में उतारने की योजना बनाई है. बताया जा रहा है कि अमेरिका भी रिज़र्व भंडार को खोलने की योजना पर काम कर रहा है. पिछले साल नवंबर में भी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने मीडिया से कहा था कि अमेरिका तेल की कीमतों को कम करने के लिए 50 मिलियन बैरल तेल जारी करेगा.
बता दें कि अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा सामरिक पेट्रोलियम भंडार है. अमेरिका यह सारा तेल भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूके सहित प्रमुख ऊर्जा खपत वाले देशों के साथ समन्वय स्थापित करके धीरे धीरे बाजार में जारी करेगा.