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क्या होता है सरोगेट विज्ञापन ? जानिए कैसे प्रतिबंधित उत्पादों के प्रचार में किया जाता है बड़े सितारों का इस्तेमाल

कोई भी कंपनी प्रतिबंधित उत्पादों का विज्ञापन सीधे तौर पर नहीं कर सकती है. इसलिए ग्राहकों तक अपने उत्पाद पहुंचाने के लिए सरोगेट विज्ञापन का सहारा लेती है. अब सरोगेट विज्ञापन (Surrogate Advertising) क्या होता है, यह किस तरह काम करता है, इस खबर में आपको पूरी जानकारी मिलेगी.

पान मसाला विज्ञापन पान मसाला विज्ञापन
हाइलाइट्स
  • सरोगेट विज्ञापन के चक्कर में फंसे अक्षय कुमार

  • बिग बी के साथ भी हो चुका है धोखा

अक्षय कुमार ने हाल में विमल पान मसाला (vimal Pan Masala) का विज्ञापन किया था. लेकिन अक्षय के फैंस को उनके मुंह से 'विमल, बोलो जुबां केसरी' शब्द सुनना इस कदर ना गवार गुजरा की सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया जाने लगा. फिर क्या था अक्षय ने भी अपने फैंस से माफी मांगी ली. अक्षय ने सोशल मीडिया पर लिखा- मैं अपने सभी फैंस से माफी मांगता हूं. मैंने तंबाकू को कभी एंडोर्स नहीं किया है और ना ही आगे कभी करूंगा. विमल इलाइची के साथ मेरे जुड़ने को लेकर आपकी जो भावनाएं हैं, उनकी मैं सराहना करता हूं. इसलिए पूरी विनम्रता के साथ मैं इस विज्ञापन से अपने कदम वापस खींचता हूं.'

अक्षय से पहले अमिताभ बच्चन ने भी एक पान मसाला का विज्ञापन किया था, लेकिन लोगों ने उन्हें इस कदर खरी खोटी सुनाई कि बिग बी को भी अपना फैसला वापस लेना पड़ा. फैंस ने तंबाकू से जुड़े एक ब्रांड को प्रमोट करने को लेकर ट्विटर पर बिग बी की जमकर आलोचना की थी. तब बिग बी ने सामने आकर कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह एक सरोगेट विज्ञापन है. अक्षय कुमार के मामले में भी ऐसा ही है. उन्हें पहले से ही यह बात मालूम नहीं थी कि विमल पान मसाला कहीं न कहीं तंबाकू को एंडोर्स करता है.

क्या होता है सरोगेट विज्ञापन?

कोई भी कंपनी प्रतिबंधित उत्पादों का विज्ञापन सीधे तौर पर नहीं कर सकती है. इसलिए ग्राहकों तक अपने उत्पाद पहुंचाने के लिए सरोगेट विज्ञापन का सहारा लेती है. भारत सरकार ने कई उत्पादों के विज्ञापन जैसे तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, शराब आदि पर पांबदी लगा रखी है. अब चूंकि लोगों तक अपना प्रोडक्ट पहुंचाने के लिए विज्ञापन ही एकमात्र बड़ा सहारा है ऐसे में कंपनी उसी ब्रांड नाम का एक अन्य उत्पाद (जो प्रतिबंधित न हो) बना देती है. इससे होता ये है कि कंपनी अपने ब्रांड का प्रमोशन भी कर लेती है और प्रतिबंध से भी बच जाती है.

कैसे काम करता है सरोगेट विज्ञापन?

मान लीजिए शराब बनाने वाली एक कंपनीने इसी नाम का पानी या सोडा बना दिया और लग गए इसका एड करने. इससे होगा ये कि पानी का विज्ञापन भी होगा और आसानी से शराब बेचने का मामला भी निपट जाएगा. लीगल स्थिति से निपटने के लिए कंपनी के पास कहने को होगा कि वह तो पानी का विज्ञापन कर रही है. लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से उनके मूल प्रोडक्‍ट शराब का ही प्रमोशन होता है.

हालांकि ये सीधे तौर पर अनैतिक हैं. Advertising Standards Council of India के अनुसार, किसी भी सेलिब्रिटी को ऐसे प्रोडक्‍ट्स का विज्ञापन नहीं करना चाहिए जिनके प्रोडक्‍ट के लिए स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी चेतावनी जरूरी है. अमिताभ बच्चन के मामले में भी ऐसा ही था. उन्होंने जाने अनजाने में तो कमाल पसंद का विज्ञापन कर लिया लेकिन असलियत मालूम पड़ते ही न सिर्फ विज्ञापन से खुद को अलग किया बल्कि पैसे भी लौटा दिए. कुछ देशों ने सरोगेट विज्ञापन को लेकर कड़े कदम उठाए हैं लेकिन भारत में इसका चलन तेजी से बढ़ा है.