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व्‍हीकल स्‍क्रैपिंग पॉलिसी क्या है, जानिए कबाड़ में गाड़ियों को भेजने का क्या है नियम

स्क्रैप पॉलिसी से देश की सड़कों से 15 से 20 साल पुराने वाहन अपने आप हट जाएंगे. इस पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा और अनफिट होने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर उसे स्क्रैप में यानी कबाड़ खाने में भेज दिया जाएगा. अलग -अलग तरह की गाड़ियों को लिए अलग तरह के नियम है. 

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हाइलाइट्स
  • स्क्रैप पॉलिसी से देश की सड़कों से 15 से 20 साल पुराने वाहन अपने आप हट जाएंगे.

  • इस पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा

हम सब गली-मुहल्लों में एक आवाज सुनते हैं  'कबाड़ी वाला'. कबाड़ी वाला वो सौदागर होता है जो हमारे घर की पुरानी बेकारें चीजें खरीद लेता है और उसके बदले हमें पैसे दे देता है. हम अपनी पुरानी कारें इन कबाड़ी वाले से नहीं बेच पाते हैं लेकिन अब सरकार ने इसका इंतेजाम कर दिया है. दरअसल केन्द्र सरकार पुरानी गाड़ियों के लिए भी एक पॉलिसी लेकर आई है जिसमें पुरानी गाड़ियों को अनफिट होने पर कबाड़ केंद्र में देना होगा. जिसके बदले वाहन मालिक को कुछ रियायतें मिलेंगी. यानी गाड़ीयों का कबाड़ भी अब आपको रोजगार देगा. 

ऐसे में जायज सवाल है कि आखिर इस वाहन कबाड़ नीति की जरूरत क्यों पड़ी?  यह नियम वाहन मालिकों के लिए कितनी फायदेमंद है? क्या देश में इसके लिए मैकेनिज्म तैयार है? और कबाड़ से रोजगार कैसे पैदा होगा ?

सीधे कबाड़ में जाएंगे अनफिट वाहन

स्क्रैप पॉलिसी से देश की सड़कों से 15 से 20 साल पुराने वाहन अपने आप हट जाएंगे. इस पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा और अनफिट होने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर उसे स्क्रैप में यानी कबाड़ खाने में भेज दिया जाएगा. अलग -अलग तरह की गाड़ियों को लिए अलग तरह के नियम है.  जैसे कमर्शियल गाड़ियों के लिए 15 साल बाद तो निजी गाड़ियों के लिए समय सीमा 20 साल तय की गई है, इसके बाद इसे  कबाड़ी में भेज दिया जाएगा.

गाड़ी फिटनेस सेंटर नहीं गई तो क्या होगा?

अगर आप गाड़ी को फिटनेस सेंटर नहीं ले कर जाएंगे तो फिटनेस टेस्ट ना कराने पर भी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. नियम के मुताबिक अगर आपको वाहन खरीदे 20 साल हो गया है और आपने फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिया है, तो 1 जून 2024 के बाद आपका रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएगा. 15 साल से पुराने कमर्शियल वाहनों के लिए ये डेडलाइन 1 अप्रैल 2023 है. 15 साल बाद निजी गाड़ी का फिर से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको 8 गुना ज्यादा फीस देना होगा. जबकि कमर्शियल गाड़ियों के रि-रजिस्ट्रेशन के लिए फीस 20 गुना ज्यादा होगी. 

स्क्रैप कराने पर सर्टिफिकेट के साथ रियायतों की गारंटी

गाड़ी स्क्रैप कराने पर गाड़ी के मालिक को एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा वो सर्टिफिकेट नई गाड़ी खरीदते वक्त शोरूम में दिखाएंगे तो कीमत में 5 फीसदी की छूट मिलेगी. यानी अगर आप 8 लाख की गाड़ी खरीद रहे हैं तो सीधे 40 हजार का डिस्काउंट मिल जाएगा और इसके अलावा रजिस्ट्रेशन फीस में भी रियायत दी जाएगी. नई गाड़ी लेने पर रोड टैक्स में 3 साल के लिए 25 फीसदी तक का भी प्रावधान रखा गया है.

वाहनों की कबाड़ नीति की जरूरत क्यों पड़ी?

ये नियम विदेशों में पहले से लागू है इस नियम के मुताबिक एक समय सीमा के बाद उन्हें कबाड़ में दे दिया जाता है. अमेरिका और यूरोपीय देशों में 'कबाड़ के लिए नकद योजना' शुरू की गई थी. इस योजना को 2008-09 के आर्थिक संकट के दौरान नए वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किया गया था.

बता दें कि देश में 50 लाख से ज्यादा पुरानी गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं जो नई गाड़ियों से 12 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं. 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग वगैरह नहीं होते, जिससे ऐसे वाहनों में सफर जानलेवा होता है. जबकि नए वाहनों में कहीं ज्यादा सुरक्षा मानकों का पालन होता है. यानी इस नियम का मकसद प्रदूषण कम करना, सड़क दुर्घटना रोकना साथ ही ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देना  है. 

कितनी फायदेमंद है ये पॉलिसी 

इस सिलसिले में सरकार का कहना है कि ये गाड़ी मालिकों के लिए फायदे का सौदा होगा. कुछ लोग स्क्रेप पॉलिसी पर मिलने वाली रियायत को कम बता रहे हैं उनका कहना है कि प्रोत्साहन राशि कम होने की वजह से ये लोगों को लुभा नहीं पाएगी.  क्योंकि अनफिट गाड़ी को कबाड़ में देने पर उसे उसके शोरूम वैल्यू का 4 से 6 फीसदी मूल्य ही मिलेगा. नई कार खरीदने पर उसे सिर्फ 5 फीसदी की छूट मिलेगी, जो बहुत ज्यादा नहीं है. इतनी छूट तो फेस्टिवल ऑफर में खुद वाहन कंपनियां ही दे दिया करती हैं यानी इस छूट को और बढ़ाना होगा तभी वाहन मालिक पुरानी गाड़ी को कबाड़ में डालकर नई खरीद पाएगा.

देश में तैयार हैं इतने कबाड़ केन्द्र

बता दें कि फिटनेस टेस्ट और कबाड़ केंद्र बनाने के लिए नियम 1 अक्टूबर, 2021 से लागू हो चुके हैं. इसके लिए देशभर में लोक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में 400 से 500 व्हीकल फिटनेस सेंटर बनाए जाने का काम भी चल रहा है. 

जबकि 60 से 70 रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर होंगे. सरकार की कोशिश है कि फिटनेस टेस्ट के लिए गाड़ी को 150 से 200 किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं ले जाना पड़े. ये फिटनेस सेंटर पूरी तरह से ऑटोमेटेड होंगे. गुजरात के भावनगर में देश का पहला व्हीकल स्क्रैपिंग पार्क तैयार होगा. 

स्क्रैपिंग के लिए कुल 7 कंपनियों ने सरकार के साथ MoU साइन किया है. इनमें गुजरात की 6 और असम की एक कंपनी शामिल है. गाड़ियों की स्क्रैपिंग में पहला नंबर 15 साल से ज्यादा पुराने सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के वाहनों का आएगा जिन्हें 1 अप्रैल, 2022 से कबाड़ में भेजने का काम शुरू हो जाएगा.