देश-दुनिया में इन दिनों मंदी और महंगाई की खूब चर्चा हो रही है. वैश्विक स्तर पर मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. मंदी के कई कारण हो सकते हैं जिसमें एक महंगाई भी है. बढ़ती कीमतों के चलते लोग अपने खर्च में कमी करते हैं जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर दिखता है. अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने लगती है और फिर मंदी का दौर दस्तक देने लगता है. इस दौर में आपकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) कम हो जाती है. इस दौर में निवेशकों के लिए बड़ा चैलेंज ये होता है कि उनकी इन्वेस्टमेंट उन्हें महंगाई दर से ज्यादा या कम से कम उसके बराबर का रिटर्न दे.
यहां हम आपको कुछ ऐसे एसेट क्लास बता रहें जिसमें आपकी इन्वेस्टमेंट इन्फ्लेशन-प्रूफ रह सकती है.
1. रियल एस्टेट (Real Estate)
रियल एस्टेट को मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक ढाल माना जाता है. यहां तक कि इस दौर में इस क्षेत्र से अच्छी कमाई का मौका हो सकता है. जैसे-जैसे बाजार में महंगाई बढ़ेगी वैसे-वैसे आपकी प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़ेगी. और तो और, जिसने निश्चित ब्याज दर (Fixed Interest Rate) पर लोन लेकर कोई संपत्ति खरीदी है तो उसको भी इस दौर में फायदा होगा. क्योंकि आप लोन का भुगतान उस पैसे से कर रहे हैं जिसकी कीमत या मूल्य बाजार में कम होता जा रहा है जबकि मुद्रास्फीति से आपकी उसी संपत्ति की कीमत बढ़ रही है.
2. कीमती धातुओं में निवेश (Metals Investment)
कागजी रुपयों की तरह आप सोना या चांदी अपने हिसाब से नहीं छाप सकते. इसकी सप्लाई हमेशा सीमित रहने वाली है. यहां तक की जब करेंसी (जैसे रुपया) की कीमत कम हो रही हो तब भी ये धातु अपना मूल्य बरकरार रखती हैं. कमी और अनेकों आधुनिक उपयोगों के कारण सोने का अपना मूल्य है. इसी तरह चांदी भी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में उपयोग में आती है. दोनों ही मेटल आभूषण के अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के चलते अत्यधिक मूल्यवान हो जाते हैं. इनकी भारी डिमांड के चलते इन दोनों मेटल्स की वैल्यू बढ़ जाती है.
खासकर मंदी और महंगाई के दौर में निवेशक ठोस और स्थिर इन्वेस्टमेंट की ओर रुख करते हैं और अपनी धन-संपत्ति को सोने और चांदी के रूप में सुरक्षित रखते हैं. ऐसे दौर में इस बढ़ती डिमांड के चलते कीमती धातु की कीमतों में तेजी आती है और जो बढ़ती महंगाई के दौर में निवेशकों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती है.
3. इक्विटी में निवेश (Equity-Stock Market)
आमतौर पर मुद्रास्फीति के खिलाफ इक्विटी को अच्छा माना जाता है. क्योंकि जब महंगाई बढ़ती है यानि जब चीजों की कीमतें बढ़ती हैं तब कंपनी के उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि होती है, जिससे उस कंपनी का राजस्व और मुनाफा बढ़ता है और जिसका असर उसके शेयर प्राइस में देखने को मिलता है. शेयर प्राइस बढ़ने से निवेशक मालामाल होता है. लेकिन मंदी और महंगाई के दौर में ऐसा हर सेक्टर में देखने को नहीं मिलता.
उच्च मुद्रास्फीति के समय में निवेश करने के लिए सही कंपनियों का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है. ऐसे समय में उन कंपनियों में निवेश करना उचित होगा जो मुद्रास्फीति की दर (जैसे एफएमसीजी-FMCG और एनर्जी स्टॉक) के साथ-साथ अपनी कीमतें बढ़ाने में सक्षम हों. जिससे उनका मुनाफा बरकरार रहे और उसका फायदा निवेशकों को हो.
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना मात्र के लिए है. इसे निवेश की सलाह न समझा जाए.