
टैक्सपेयर्स (Taxpayers) ध्यान दें, यदि आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने नोटिस भेजा है तो घबराएं नहीं. कई बार करदाताओं की कुछ गलतियों की वजह से भी नोटिस आ जाता है. आइए जानते हैं आयकर विभाग से किन-किन कारणों से नोटिस आता है और इसके आने के बाद क्या करने चाहिए?
कई करदाता इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) दाखिल करने के बाद यह मान लेते हैं कि उनका काम पूरा हो गया लेकिन हम ऐसे टैक्सपेयर्स को बता रहे हैं कि आईटीआर भरने के बाद भी आपको नोटिस आ सकता है. आपको मालूम हो कि ITR वेरिफाई होने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से उसकी प्रोसेसिंग शुरू होती है. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट आपके आईटीआर को अपने खुद के रिकॉर्ड से Form 16, Form 26AS, AIS, TIS का इस्तेमाल करते हुए वैलिडिटी करता है. टैक्स और टैक्सेबल इनकम में अंतर होने पर आयकर विभाग की ओर से नोटिस आपको मिल सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस कई तरह के होते हैं.
क्यों आता है आयकर नोटिस
1. किसी करदाता ने आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो आयकर विभाग सेक्शन 142 के तहत नोटिस देकर रिटर्न भरने के लिए कह सकता है.
2. यदि करदाता का टैक्स रिटर्न अधूरा है या उसमें गलत जानकारी है तो धारा 139 (1) के अनुसार नोटिस भेजा जाता है.
3. यदि आयकर विभाग किसी करदाता द्वारा दी गई जानकारी और डाक्यूमेंट्स से अंसतुष्ट होता है तो सेक्शन 143 (2) के नोटिस भेज सकता है. इस धारा के तहत आयकर विभाग कुछ और डिटेल में जानकारी मांगता है.
4. जब किसी टैक्सपेयर्स पर कर, ब्याज, जुर्माना या अन्य ऋण के रूप में पैसा बकाया होता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट धारा 156 के तहत नोटिस जारी करता है. इसे डिमांड नोटिस के रूप में जाना जाता है.
5. यदि किसी करदाता ने ITR फाइल नहीं किया है या 142 या 143 (2) के तहत जारी नोटिस का जवाब नहीं दिया तो आयकर अधिकारी सेक्शन-144 के तहत नोटिस भेज सकते हैं.
6. जब कोई अधिकारी धारा 245 के तहत मांग जारी करता है क्योंकि उनका मानना है कि आप पर कर बकाया है, तो वे उस राशि को आपके चालू वर्ष के रिफंड से काटना चाहते हैं. हालांकि, कोई बदलाव आपको पर्याप्त नोटिस देने और 30 दिनों के भीतर जवाब देने का मौका देने के बाद ही किया जा सकता है.
7. यदि आयकर विभाग के अधिकारी को लगता है कि आप अपना रिटर्न दाखिल करने में विफल रहे हैं, आपकी इनकम का पहले जो असेसमेंट हुआ है, उसमें कुछ आय शामिल नहीं है या फिर आपकी कोई ऐसी इनकम है, जिसका खुलासा पहले नहीं हुआ है, तो वे आपको सेक्शन 147/148/149 के तहत नोटिस भेज सकते हैं.
आयकर विभाग से नोटिस आने पर क्या करें
यदि किसी करदाता के पास आयकर विभाग से नोटिस आया है तो घबराएं नहीं बल्कि उसे ध्यान से पढ़ें और जानें कि किस कारण से नोटिस आया है. नोटिस किस सेक्शन के तहत जारी किया गया है. नोटिस का कारण जानने के बाद उसका सही जवाब दें. धारा 143 (1) के तहत नोटिस मिलने पर आपके पास जवाब देने के लिए 30 दिन का समय होता है. नोटिस में नाम, पता और पैन नंबर सहित शामिल पहचान जानकारी की जांच करें.
मूल्यांकन वर्ष और ई-फाइलिंग एकनॉलोजमेंट नंबर वेरिफाई करें. यदि प्रारंभिक आईटीआर दाखिल करते समय कोई गलती हुई है, तो आपके पास अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए 15 दिन हैं. यदि इनकम टैक्स डिपार्टमें के आदेश में कोई गलती या अशुद्धि शामिल पाई जाती है तो सुधार रिटर्न जमा करें. नोटिस के कारण और फॉर्म 16/16ए/26 एएस पर आपकी रिपोर्ट की गई आय और नोटिस की आय के बीच गलती को पहचानें. ब्याज और जुर्माने से बचने के लिए धारा 156 के तहत जारी डिमांड नोटिस का 30 दिनों के भीतर जवाब दें.
...तो दाखिल कर सकते हैं रिवाइज आईटीआर
यदि किसी करदाता को लगता है कि आयकर विभाग की ओर से जारी नोटिस में दी गई जानकारी सही नहीं है तो वे ऑनलाइन आईटीआर रिवाइज कर सकते हैं या उत्तर दर्ज कर सकते हैं. यदि मामला जटिल है या आपको नोटिस समझने में परेशानी हो रही है तो आप किसी सीए से बात कर सकत हैं. किसी टैक्स एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं.