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Gen Z buy second-hand clothes: सेकंड-हैंड कपड़े खरीद रहे हैं आज के बच्चे... पुराने कपड़ों को दे रहे नया स्टाइल... जानिए क्यों

भारतीयों के लिए सेकंड हैंड कपड़े इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह मिडिल-क्लास आदत आज की हाई-फाई जनरेशन जी के जीने का सलीका बन रही है.

Sarojini Nagar Market become bigger flex than fast-fashion brands for Gen Z Sarojini Nagar Market become bigger flex than fast-fashion brands for Gen Z

आज Instagram पर आपको बहुत ऐसे रील्स मिल जाएंगे जहां लोग थ्रिफ्टिंग को प्रमोट कर रहे हैं. खासकर जेन जी...जी हां, आज की पीढ़ी के लिए थ्रिफ्टिंग यानी सेकंड हैंड कपड़े, एक्सेसरीज या कोई और चीज खरीदना या इस्तेमाल करना कूल लाइफस्टाइल हैक है. हालांकि, भारतीयों के लिए सेकंड हैंड कपड़े इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है. हमारे देश में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है जहां नाते-रिश्तेदार या पड़ोसियों के घरों में जब बच्चे को कपड़े छोटे हो जाते हैं तो वे अपने जानने वालों के किसी छोटे बच्चे के लिए कपड़े दे देते हैं. यहां तक कि बड़ों में भी एक-दूसरे से कपड़े लेकर पहनना आम है. 

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह मिडिल-क्लास आदत आज की हाई-फाई जनरेशन जी के जीने का सलीका बन रही है. PwC ग्लोबल कंज्यूमर इनसाइट्स सर्वे, 2023 के अनुसार, आधे से ज्यादा जेन जी खरीदार सेकंड-हैंड खरीदारी करना पसंद करते हैं. और इसके उदाहरण आपको अपने आसपास भी मिल  जाएंगे. यहां तक कि बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज के बच्चे इस ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं. साल 2024 में क्रिकेटर शिखर धवन के साथ एक पॉडकास्ट में बात करते हुए एक्टर अक्षय कुमार ने खुलासा किया था कि उनका बेटा, आरव थ्रिफ्ट स्टोर से सेकंड हैंड कपड़े खरीदकर पहनता है. 

हालांकि, अब सवाल यह है कि जनरेशन जी की इस आदत के पीछे क्या प्रेरणा हो सकती है? आखिर क्या कारण हैं जो जेन जी सेकंड हैंड कपड़े खरीदना पसंद कर रहे हैं?

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नोस्टेलजिया फैक्टर और सस्टेनेबिलिटी
जेन जी नोस्टेलजिया में भरोसा करते हैं. यह उम्र के बारे में नहीं है, बल्कि मानसिकता के बारे में है. यह पीढ़ी ऐसे कपड़ों की तलाश कर रही है जो उन्हें आज के कलेक्शन में नहीं मिल रहे हैं. साथ ही, पुराने कपड़ों के साथ वे उस समय को जीना चाहते हैं जो उन्होंने देखा नहीं. इंस्टाग्राम पर आज बहुत से कंटेंट क्रिएटर हैं जो अपनी दादी-नानी या मां की पुरानी साड़ियों को नए तरीके से स्टाइल कर रहे हैं. 

इसके अलावा, एक बड़ा फैक्टर है सस्टेनेबल लाइफस्टाइल. बहुत सी स्टडीज इस बात का दावा कर रही हैं कि जेन जी प्रकृति के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं. वे आज के क्लाइमेट चेंज के मुद्दे को अच्छे से समझते हैं. और यह भी एक कारण है कि वे सस्टेनेबल लाइफस्टाइल जीने की कोशिश कर रहे हैं. सस्टेनेबल लाइफस्टाइल में सबसे पहला बदलाव अपने कपड़ों को लेकर किया जाता है. हम सब जानते हैं कि फैशन इंडस्ट्री दुनिया में प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में से एक है. ऐसे में, जरूरत के हिसाब से सेकंड हैंड कपड़े खरीदकर जेन जी कहीं न कहीं फैशन इंडस्ट्री से होने वाले प्रदूषण को कम करने में योगदान दे रहे हैं. 

फाइनेंशियल मैनेजमेंट का फैक्टर 
जेन जी की इस लाइफस्टाइल के पीछे एक बड़ा कारण लागत भी है. खासकर विदेशों में, जहां बच्चे स्कूलिंग के साथ-साथ पार्ट-टाइम जॉब करना पसंद करते हैं. वे कम उम्र में ही आत्मनिर्भर बनने पर फोकस करते हैं ताकि अपने फैसले खुद कर सकें. ऐसे में, अपनी सैलरी में मैनेज करने के लिए भी जेन जी थ्रिफ्टिंग करते हैं. यहां तक कि दिल्ली में पढ़ रहे बहुत से बच्चों का फैशन हब ज़ारा स्टोर नहीं बल्कि सरोजिनी नगर, जनपथ या कमला नगर मार्केट हैं. इसी तरह मुंबई में मंगलदास और अंधेरी फेमस हैं. यहां उन्हें उनके स्टाइल के साथ-साथ किफायती कपड़े मिलते हैं और जो पैसे वे कपड़ों या दूसरी चीजों पर बचाते हैं, उसे कहीं ओर खर्च करते हैं. 

लगातार बढ़ रहा है सेकंड़ हैंड कपड़ों का बाजार 
एक बैंक, लोम्बार्ड ओडिएर की रिसर्च के अनुसार, इस्तेमाल किए गए कपड़ों और एक्सेसरीज़ का ग्लोबल मार्केट अब लगभग 100 बिलियन डॉलर का है. यह 2020 में 30-40 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. कंसल्टेंसी, मैकिन्से का मानना ​​है कि अमेरिकी रिसेलिंग मार्केट 2023 में कपड़ों की रिटेल सेलिंग की तुलना में 15 गुना तेजी से बढ़ा है, और इस साल ग्लोबल एप्रेल मार्केट में सेकेंड-हैंड बिक्री का हिस्सा 10% होगा. द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वेस्टियायर पर अब हर दिन लगभग 30,000 सेकंड हैंड आइटम नए लिस्टेड होते हैं. आजकल कई फैशन ब्रांड मुश्किलें झेल रही हैं, लेकिन वहीं रिसेलिंग साइटें फलफूल रही हैं.