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Petrol-Diesel Price Breakup: कच्चा तेल इतना सस्ता… फिर भी पेट्रोल-डीजल महंगा, कैसे आप तक आते-आते बढ़ जाती है इतनी कीमत?

कच्चे तेल की कीमत, किसी भी फ्यूल का बेस प्राइस होता है यानी ये इसकी मूल लागत होती है. हाल के महीनों में इनमें काफी कमी आई है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद OMCs ने पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री कीमतें (RSP) बरकरार रखी हैं. इसी के चलते ऑयल कंपनियों को 86,000 करोड़ रुपये का भारी मुनाफा हुआ है. 

Petrol Diesel Pricing (Representative Image) Petrol Diesel Pricing (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • कच्चे तेल की कीमतें हैं कम फिर भी फ्यूल महंगा

  • ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को हुआ है फायदा

कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उतार चढ़ाव आ रहा है. इससे पेट्रोल कंपनियों को काफी फायदा हुआ है. भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs)- जिसमें इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम शामिल हैं - को इससे मुनाफा हुआ है. 

ICRA की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये कंपनियां वर्तमान में पेट्रोल पर प्रति लीटर 15 रुपये और डीजल पर 12 रुपये का मुनाफा कमा रही हैं. इसी के चलते ऑयल कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2023-24 में 86,000 करोड़ रुपये का भारी मुनाफा हुआ है. 

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने कैसे कमाया मुनाफा?
दरअसल, कच्चे तेल (Crude Oil Price) की कीमत, किसी भी फ्यूल का बेस प्राइस होता है यानी ये इसकी मूल लागत होती है. हाल के महीनों में इनमें काफी कमी आई है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद OMCs ने पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री कीमतें (RSP) बरकरार रखी हैं. 

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मार्च 2024 में, सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी, लेकिन इसके बाद खुदरा कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि कच्चे तेल की कीमतें और गिर गईं.  इसने OMCs को अपने मार्केटिंग मार्जिन में सुधार करने का मौका दिया, यानी कच्चे तेल को जिस रेट पर खरीदा जा रहा है और फिर तेल को बेचा जा रहा है... इस कीमत में काफी गैप है. इसी गैप के चलते इन कंपनियों को फायदा हुआ है. 

कच्चे तेल की कीमतें हैं कम 
ICRA के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतें कम हैं, इससे तेल कंपनियों को तो फायदा है लेकिन उपभोक्ताओं को नहीं. आमजन के लिए तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है. इसका मतलब है कि पेट्रोल की प्रत्येक लीटर बिक्री पर OMCs को लगभग 15 रुपये और डीजल पर 12 रुपये का मुनाफा हो रहा है, लेकिन लोगों को नहीं. इस मार्केटिंग मार्जिन की मदद से इन कंपनियों ने पिछले वित्तीय वर्ष में बड़े पैमाने पर कमाई की है. 

भारत में फ्यूल की कीमत कैसे तय होती है?
यह समझने के लिए कि तेल की कीमत कितनी होती है? ये प्राइसिंग कैसे काम करती है? हमें जाना होगा कि आखिर जो पेट्रोल और डीजल हम खरीदते हैं उसकी कीमत इतनी कैसे बढ़ जाती है?

बता दें, भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें केवल कच्चे तेल की लागत पर निर्भर नहीं करती हैं. पेट्रोल पंप पर जो पेट्रोल या डीजल की कीमत हम देते हैं, उसमें कई टैक्स शामिल होते हैं: 

1. कच्चे तेल की मूल कीमत
मूल कीमत कच्चे तेल की वह लागत है, जिसे आयात किया जाता है और पेट्रोल और डीजल में बदला जाता है. यह कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कच्चे तेल की कीमत (International Crude Oil rate) होती है, उसी के हिसाब से बदलती रहती है. मई 2024 के अनुसार, कच्चे तेल की प्रति लीटर मूल कीमत लगभग 40 रुपये है. 

2. प्रोसेसिंग लागत और महंगाई
कच्चा तेल आयात होने के बाद तेल कंपनियां इसे बेचे जाने वाले पेट्रोल-डीजल में बदलती हैं. इसमें जो खर्च आता है उसे भी ग्राहक जो कीमत देता है उसमें जोड़ा जाता है. मौजूदा समय में, पेट्रोल के लिए यह प्रोसेसिंग लागत 5.66 रुपये/लीटर है और डीजल के लिए 6.42 रुपये/लीटर है. वहीं, अगर महंगाई को देखा जाए तो उसके हिसाब से भी लागत को कवर करने के लिए अलग से 10 रुपये/लीटर जोड़े जाते हैं.

2. एक्साइज ड्यूटी (केंद्र सरकार को दिए जाने वाला टैक्स)
 एक्साइज ड्यूटी एक केंद्रीय सरकारी टैक्स है जो पूरे भारत में एक समान है. पेट्रोल के लिए एक्साइज ड्यूटी 19.90 रुपये/लीटर है. वहीं डीजल के लिए यह 15.80 रुपये/लीटर है.

3. डीलर कमीशन और चार्ज
डीलर, जो उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल बेचते हैं, कमीशन भी लेते हैं. पेट्रोल के लिए औसत डीलर कमीशन 3.77 रुपये/लीटर है. साथ ही, डीजल के लिए यह 2.58 रुपये/लीटर है.

4. वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और राज्य को दिया जाने वाला टैक्स 
VAT और दूसरे लोकल टैक्स राज्य सरकार लगाती है, और इसी कारण से पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग होती हैं. हर राज्य के अपने VAT और टैक्स रेट होता है.

उदाहरण के लिए, दिल्ली में स्टेट टैक्स निम्नलिखित हैं:

- पेट्रोल पर VAT: 15.39 रुपये/लीटर, जो मूल कीमत प्लस डीलर कमीशन और एक्साइज ड्यूटी का 19.4% होता है.

- डीजल पर VAT: 12.82 रुपये/लीटर, जो मूल कीमत प्लस डीलर कमीशन और एक्साइज ड्यूटी का 16.75% होता है.

हम टैक्स में कितना भुगतान कर रहे हैं?
पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों का एक बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है. वर्तमान में:

- पेट्रोल टैक्स: खुदरा कीमत का लगभग 55% हिस्सा केंद्रीय और राज्य टैक्स से बनता है.

- डीजल टैक्स: खुदरा कीमत का लगभग 50% हिस्सा टैक्स से बनता है.

आसान शब्दों में समझें तो, मान लीजिए आपको दिल्ली से पेट्रोल भरवाना है. इसमें डीलर्स का जो चार्ज होगा वो 55.66 रुपये है, डीलर्स का एवरेज कमीशन- 3.77 रुपये, एक्साइज ड्यूटी चार्ज 19.90 रुपये है, VAT रु 15.39. ऐसे में दिल्ली में जो आपको पेट्रोल का रेट देना होगा वो सबकुछ मिलाकर 94.72 रुपये हो जाएगा.

तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा आमजन तक क्यों नहीं पहुंचा?
अब यह सवाल उठता है कि जब कच्चे तेल की कीमतें कम हो रही हैं, तो लोगों को इसका फायदा क्यों नहीं मिल रहा है? इसका मुख्य कारण OMCs द्वारा खुदरा कीमतों में बदलाव न करना है. कंपनियों ने पहले के घाटे की भरपाई के लिए अपने मार्जिन बढ़ाए हैं और मुनाफा बढ़ाने का प्रयास किया है. साथ ही, सरकार द्वारा टैक्स में कटौती न करने के कारण भी लोगों तक राहत नहीं पहुंच पाई है.