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Women Cash Transfer Scheme: किस देश से आई है महिलाओं को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर की स्कीम...जिसने महाराष्ट्र और झारखंड में BJP और JMM को दिलाई जीत

बोल्सा फैमिलिया और प्रोस्पेरा की सफलता से प्रेरित होकर, भारत ने अपनी जरूरतों के अनुसार सशर्त कैश ट्रांसफर मॉडल को अपनाया और संशोधित किया. इसे लेकर सबसे पहले 2017 में प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) शुरू की गई थी.

Women Cash Transfer schemes (Photo/Representational Image) Women Cash Transfer schemes (Photo/Representational Image)
हाइलाइट्स
  • बोल्सा फैमिलिया और प्रोस्पेरा डिजिटल से हुई शुरुआत

  • भारत में भी अपनाया गया मॉडल 

महिलाओं से जुड़ी स्कीम्स महाराष्ट्र और झारखंड दोनों में गेम-चेंजर साबित हुई हैं दोनों राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या इसबार बढ़ी हुई थी. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब इस तरह की स्कीमें लॉन्च की गई हैं. भारत ने महिलाओं को सशक्त बनाने और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए इससे पहले भी कई योजनाएं लॉन्च की हैं. हालांकि, इन योजनाओं के पीछे का कॉन्सेप्ट भारत से नहीं आया है. बल्कि ये इंटरनल वेलफेयर मॉडल्स से अपनाया गया है. ब्राजील और मेक्सिको जैसे देशों में लागू सफल प्रोग्राम्स से प्रेरित होकर ऐसी योजनाओं को शुरू किया गया. 

बोल्सा फैमिलिया और प्रोस्पेरा डिजिटल
 ब्राजील में 2003 में राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के नेतृत्व में सबसे पहले महिलाओं के लिए ऐसी योजना शुरू की गई थी. इसका नाम बोल्सा फैमिलिया (Brazil Bolsa Familia) था, जो ब्राजील की प्रमुख सोशल वेलफेयर स्कीम थी. इसका प्राथमिक उद्देश्य कम आय वाले परिवारों को सीधे पैसे ट्रांसफर करना था. इसका मकसद ब्राजील से गरीबी कम करना था. इस योजना से सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं और बच्चों को हुआ था. हालांकि, इस स्कीम की कई शर्तें भी थीं. स्कीम का फायदा लेने के लिए परिवारों को विशेष शर्तों को पूरा करना होता था. 

बोल्सा फैमिलिया की कुछ शर्तें:

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-बच्चों की 85% से ज्यादा स्कूल उपस्थिति.  

-बच्चों के लिए अनिवार्य टीकाकरण.

-गर्भवती महिलाओं के लिए रेगुलर चेकअप. 

बोल्सा फैमिलिया का फायदा ये हुआ कि इस स्कीम ने 36 मिलियन से ज्यादा ब्राजीलियनों को गरीबी से बाहर निकाला और आय असमानता को काफी हद तक कम किया. 

प्रोस्पेरा डिजिटल- मेक्सिको की पहल
1990 के दशक में शुरू हुई प्रोस्पेरा डिजिटल (पहले ओपोर्टुनिडाडेस और प्रोग्रेसा) को 2014 में फिर से लॉन्च किया गया था. बोल्सा फैमिलिया की तरह, प्रोस्पेरा (Mexico Prospera Digital) का उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर ध्यान केंद्रित करके गरीबी हटाना था. हालांकि, इसमें डिजिटल पेमेंट को शामिल किया गया था, जिसका लक्ष्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था. इसमें पैसे सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किए जाते थे, जिससे काफी हद तक भ्रष्टाचार कम हुआ था.

हालांकि, इसकी भी कुछ शर्तें थीं:

-नियमित स्कूल उपस्थिति. 

-बच्चों के लिए पोषण और स्वास्थ्य जांच. 

-माताओं को इसमें प्राइमरी बेनेफिशियरी बनाया गया था. 

प्रोस्पेरा का फायदा ये हुआ कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करके साक्षरता दर में सुधार हुआ और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया गया. 

भारत में भी अपनाया गया मॉडल 
बोल्सा फैमिलिया और प्रोस्पेरा की सफलता से प्रेरित होकर, भारत ने अपनी जरूरतों के अनुसार सशर्त कैश ट्रांसफर मॉडल को अपनाया और संशोधित किया. इसे लेकर सबसे पहले 2017 में प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) शुरू की गई. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो बच्चों के लिए पैसे मिलते हैं. पहले बच्चे के लिए: 5,000 रुपये दो किस्तों में मिलते हैं. पहली किस्त 3,000 रुपये पोस्ट नेटल स्क्रीनिंग (NNC) और दूसरी इंस्टॉलमेंट जन्म के बाद 2,000 रुपये दिए जाते हैं. साथ ही अगर दूसरा बच्चा लड़की है, तो जन्म के बाद एक किस्त में 6,000 रुपये मिलते हैं.