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Women's Day Special: लॉकडाउन में गई पति की नौकरी, पत्नी ने शुरू किया कपड़े ड्राई-क्लीन और इस्त्री करने का काम, आज कमा रही हैं डेढ लाख/माह

राजस्थान में जयपुर की रहने वाली लक्ष्मी ने साबित किया है कि अगर महिलाएं कुछ ठान लें तो अपनी किस्मत बदल सकती हैं. जानिए कैसे अपने पति की नौकरी जाने के बाद लक्ष्मी बनीं अपने परिवार का सहारा.

Lakshmi (Photo courtesy : Nikhil Sharma) Lakshmi (Photo courtesy : Nikhil Sharma)
हाइलाइट्स
  • बाइक पर करती हैं ट्रेवल 

  • पति की नौकरी जाने के बाद बनीं सहारा 

39 वर्षीया लक्ष्मी का जीवन उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है जो मुश्किलों से निकलने के लिए एक उम्मीद की तलाश में हैं. लक्ष्मी उन महिलाओं में से एक हैं जिनकी कहानियां महिला दिवस पर सेलिब्रेट करनी चाहिए. 

ढेरों मुश्किलों के बावजूद, लक्ष्मी ने अपने आत्म विश्वास और प्रयासों से एक ऐसा व्यवसाय खड़ा किया है जिस पर आज सबको गर्व है. अस्पताल, प्ले स्कूल समेत अलग-अलग जगह छोटे-बड़े काम करने बाद, लक्ष्मी ने ड्राई क्लीनिंग और कपड़े इस्त्री करने के व्यवसाय में आगे बढ़ने का फैसला किया. उनके पति, जिनकी कोविड महामारी के दौरान नौकरी चली गई थी, ने उनके प्रयासों में उनका पूरा सहयोग किया. 

बाइक पर करती हैं ट्रेवल 
जयपुर की रहने वाली लक्ष्मी की शुरुआत कठिन थी. हर दिन, लक्ष्मी अपने दोपहिया वाहन पर एक तरफ लगभग 15 किलोमीटर तक जाती थीं और कपड़ों को इस्त्री या ड्राई क्लीन करने के लिए उठाती थी और फिर उन्हें वापस ग्राहकों तक पहुंचाती थीं. चादरों के अंदर बड़े करीने से पैक किए गए कपड़ों के ढेर के साथ यात्रा करना आसान नहीं था पर उन्हें खुद पर भरोसा था. 

अब लक्ष्मी जयपुर के सी स्कीम से सिरसी रोड स्थित आवास परिसर तक का सफर करती हैं. उनका दावा है कि वह 900 परिवारों में से कम से कम 300 परिवारों की ड्राई क्लीनिंग या इस्त्री की जरूरतों को पूरा करती हैं. 

पति की नौकरी जाने के बाद बनीं सहारा 
लक्ष्मी ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान उनके पति की नौकरी चली गई थी. इसके बाद, उन्होंने टिफिन सर्विस शुरू की, जिससे हमें गुजारा करने में मदद मिली. महामारी के दौरान ड्राई क्लीनिंग का व्यवसाय बंद था, क्योंकि लॉकडाउन था. हालांकि, इसके बाद, उन्होंने एक सोसाइटी में काम करने का फैसला किया. वह हर रोज लगभग 15 किलोमीटर की यात्रा करती हैं. शुरुआत में उन्हें डर लगता था पर अब उन्हें आदत हो गई है. 

कारोबार में बढ़ोतरी और कुशल सर्विसेज की मांग बढ़ने के साथ, लक्ष्मी ने किराए पर एक दुकान ले ली और यहां तक ​​कि तीन लोगों को रोजगार भी दिया, जिन्हें हर महीने 20,000 से 25,000 रुपये का भुगतान किया जाता है. किराये सहित दुकान का खर्च 20,000 रुपये है. उनके अनुसार, उनकी मासिक कमाई 1.25 लाख से 1.50 लाख रुपये के बीच हो जाती है. 

कारोबार को आगे बढ़ाने की कोशिश 
इस पेशे में एक समस्या है कि आसानी से वर्कर नहीं मिलते हैं. लेकिन समय के साथ वह अपना बिजनेस बढ़ाने की सोच रही हैं. वह अपने छोटे बेटे के सपनों को पूरा करना चाहती हैं जो एक कैफे चलाना चाहता है.

लक्ष्मी ने कड़ी मेहनत और दृढ़ता के माध्यम से न केवल एक लाभदायक व्यवसाय बनाने में कामयाबी हासिल की है, बल्कि उन्होंने अपने बच्चों को आशा और आकांक्षाएं भी दी हैं, जो अपने चुने हुए क्षेत्रों में आगे बढ़ने का सपना देखते हैं. 

बच्चों के सपनों को दिए पंख
लक्ष्मी का बड़ा बेटा बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बी.टेक) कर रहा है और स्नातक होने के बाद नौसेना में जाने की इच्छा रखता है. उनका छोटा बेटा ग्यारहवीं कक्षा में है और पहले से ही एक कैफे खोलने की योजना बना चुका है. वह अपने माता-पिता की मुश्किलों को दूर करना चाहता है.

लक्ष्मी के बेटे, कृष्णा ने कहा, "मुझे अपने माता-पिता पर गर्व है जिन्होंने हमें बेहतर जीवन स्तर तक ले जाने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह उनके लिए मुश्किल था लेकिन बाधाओं के बावजूद उन्होंने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद की है।" अपने परिवार के लिए 39 साल की लक्ष्मी एक सुपरवुमन हैं. 

(देव अंकुर वाधवान की रिपोर्ट)