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Fertile Beeghas: इस उद्यमी ने 2500 टन कचरे को बदला उपजाऊ मिट्टी में, हजारों किसानों की मदद भी की

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के यश दयाल शर्मा अपने स्टार्टअप, 'Fertile Beeghas' के साथ भारतीय खेतों के लिए वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करके मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे रहे हैं.

Yash Dayal stratup Fertile Beeghas helping farmers Yash Dayal stratup Fertile Beeghas helping farmers

मिट्टी के बिना खेती की कल्पना भी नहीं होती है. फसल किस तरह की होगी, यह भी इस बात पर निर्भर करता है कि आपके खेतों की मिट्टी कैसी है. लेकिन आजकल हानिकारक रसायनों, मोनोक्रॉपिंग और अस्थिर कृषि तकनीकों के कारण इसकी उर्वरता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है. बहुत से किसान कम पैदावार और खराब फसल की गुणवत्ता से जूझ रहे हैं. इस सब के बीच, एक युवा कृषि उद्यमी, यश दयाल शर्मा ने वर्मीकंपोस्टिंग का उपयोग करके मिट्टी को फिर से फर्टाइल बनाने का मिशन शुरू किया है. 

दिल्ली विश्वविद्यालय से की है पढ़ाई
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले यश ने 2020 में जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की. शुरुआत में, वह आर्मी जॉइन करने की इच्छा रखते थे, लेकिन उनकी नजर कमजोर होने के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो पाया. ऐसे में उन्होंने देश सेवा का एक अलग तरीका खोज निकाला. यश ने कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया. 

उन्होंने खेती और इससे जुड़ी चीजें सीखने और विभिन्न संस्थानों और पाठ्यक्रमों में भाग लेने की यात्रा शुरू की. इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि खेती में बहुत ज्यादा रासायनिक उपयोग न केवल मिट्टी की उर्वरता को कम करता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए रिस्क भी पैदा करता है. किसान उत्पादकता को प्राथमिकता देते हैं, और मिट्टी के स्वास्थ्य कोई खास बात नहीं करता है. इसलिए यश ने इस मामले में आगे बढ़ने का फैसला किया. 

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वर्मीकम्पोस्टिंग: वेस्ट से उर्वरता तक
कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, यश ने मिट्टी के स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए विभिन्न तकनीकों पर रिसर्च की, फील्ड ट्रायल्स किए और तब उन्हें वर्मीकम्पोस्टिंग के बारे में पता चला. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जहां केंचुए जैविक कचरे को पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदल देते हैं, और यह मिट्टी को उर्वरक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है. वर्मीकम्पोस्ट में पौधों के विकास के लिए आवश्यक सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं. यश ने वर्मीकंपोस्टिंग यूनिट शुरू करने का फैसला किया. उन्होंने केंचुओं को संभालने के काम में महिलाओं को लगाकर उन्हें सशक्त बनाने में भी योगदान दिया. 

फिलहाल उनके साथ 45 महिलाएं काम कर रही हैं. वह बताते हैं कि सीधे गाय के गोबर का उपयोग करने के बजाय, पहले पत्तियों की एक परत बिछाते हैं. फिर, वर्मीकम्पोस्ट में कार्बन सामग्री को बढ़ाने के लिए गाय के गोबर को लकड़ी के पाउडर के साथ मिलाते हैं, जो केंचुओं के पोषण के लिए जरूरी है. इसके अलावा, पराली की भी परत रखी जाती है और हम सब जानते हैं कि पराली को जलाना प्रदूषण के बड़े कारणों में से एक है. 

यश ने मिट्टी की जरूरतों को समझने और उसके अनुसार वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करने के लिए विभिन्न किसानों के खेतों में सैंपल लेकर ट्रायल्स किए हैं. अब तक, उन्होंने 2500 टन से ज्यादा कचरे को उपजाऊ मिट्टी में बदल दिया है. उनकी इस पहल ने किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है.

हजारों किसानों को दिया प्रशिक्षण
यश सक्रिय रूप से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम), सरकारी कार्यक्रमों के तहत किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. ये सेशन किसानों को वर्मीकम्पोस्ट के महत्व के बारे में शिक्षित करते हैं. यश के प्रशिक्षण से 2500 से अधिक किसानों को मदद मिली है. आने वाली पीढ़ियों को उपजाऊ भूमि देने के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है. 

वह किसानों को अपनी गाय के गोबर से वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करके उदाहरण पेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. एक किसान जिसने 10 क्विंटल से शुरुआत की थी, अब 100 क्विंटल का उत्पादन करता है, सफलता और अपने केंचुओं को दूसरों के साथ साझा करता है. 2021 में, यश ने अपने पिता, परिवार और साथी किसानों के सहयोग से 'Fertile Beeghas' की स्थापना की. एक्सपेरिमेंट के बाद, यश ने 2023 में 13.5 लाख रुपये कमाए और 2024 के अंत तक 1 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा है.