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Zepto Success Story: बचपन के दो दोस्त, पढ़ाई छोड़ शुरू किया कारोबार... 2 साल में कंपनी को बनाया यूनिकॉर्न

Zepto सिर्फ किराना डिलीवरी एप नहीं है, बल्कि एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो किराने के सामान की 10 मिनट में डिलीवरी का वादा करता है, जिसे किराने के सामान की बिक्री और डिलीवरी में क्रांति लाने के लिए बनाया गया है.

Zepto founders Kaivalya Vohra and Aadit Palicha Zepto founders Kaivalya Vohra and Aadit Palicha
हाइलाइट्स
  • पढ़ाई छोड़ उद्यमी बने ये दोस्त

  • साल भर में हासिल की सफलता

ज़ेप्टो (Zepto) एक किराना डिलीवरी ऐप है जो 10 मिनट से भी कम समय में किराने का सामान डिलीवरी करती है. ज़ेप्टो के को-फउंडर्स में से एक, आदित पालिचा का कहना है कि उनका स्टैंडर्ड डिलीवरी टाइम 8 मिनट और 47 सेकंड है. 

Zepto वर्तमान में 3,000 से ज्यादा फूड प्रोडक्ट्स, ताजे फल और सब्जियों से लेकर स्वास्थ्य और स्वच्छता उत्पादों तक की आपके दरवाजे पर, जब भी और जहां भी आपको जरूरत हो, डिलीवरी करता है. आपको बता दें कि ज़ेप्टो का नाम समय की सबसे छोटी इकाई के नाम पर रखा गया है - ज़ेप्टोसेकंड - एक सेकंड के एक अरबवें का खरबवां हिस्सा (जो 0.00000000000000000001 जैसा दिखता है).

हाल ही में, Zepto ने 1.4 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर स्टेपस्टोन ग्रुप के नेतृत्व में अपनी सीरीज ई फंडिंग में 200 मिलियन डॉलर जुटाए, और यह 2023 का भारत का पहला यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया है. 

पढ़ाई छोड़ बने उद्यमी 
आदित पालिचा और कैवल्य वोहरा ज़ेप्टो के को-फाउंडर्स हैं, जिन्होंने जून 2020 से मार्च 2021 तक इसके ऑपरेशनल स्टेज के बाद अप्रैल 2021 में इसे लॉन्च किया था. दोनों स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के ड्रॉपआउट हैं, लेकिन उन्होंने ज़ेप्टो को सफल करके साबित कर दिया है कि जिंदगी में विजन क्लियर हो तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं. 

ये दोनों आईआईएफएल वेल्थ-हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 में शामिल होने वाले सबसे कम उम्र के उद्यमी हैं, जिसमें मुकेश अंबानी भी शामिल हैं. आदित और कैवल्य, दोनों बचपन के दोस्त हैं जो दुबई में पले-बढ़े हैं. उन्होंने कंप्यूटर साइंस का कोर्स छोड़ कर अप्रैल 2021 में महामारी के दौरान ज़ेप्टो की शुरुआत की. 

उन्होंने वाई कॉम्बिनेटर (एक स्टार्टअप एक्सेलेरेटर) के साथ साझेदारी की और इस उद्यम को संभव बनाने के लिए 60 मिलियन डॉलर जुटाए. उन्होंने 2022 में ई-कॉमर्स केटेगरी में फोर्ब्स की प्रभावशाली 30 अंडर 30 लिस्ट (एशिया) में भी सफलतापूर्वक जगह बना ली है. 

कैसे काम करता है ज़ेप्टो
महामारी की शुरुआत में, लोग अपने घरों तक ही सीमित थे. महामारी की शुरुआत के बाद से किराना डिलीवरी ऐप्स की जरूरत लगातार बढ़ी है. आदित और कैवल्य ने इस परेशानी को खत्म करने पर फोकस किया. उन्होंने लोगों के दैनिक जीवन को थोड़ा आसान और परेशानी मुक्त बनाने के लिए ऐप पर काम करना शुरू किया. 

अब सवाल है कि यह एप कैसे काम करती है. दरअसल, ज़ेप्टो मुख्य रूप से डार्क स्टोर्स के माध्यम से काम करता है. डार्क स्टोर्स डिस्ट्रिब्यूशन आउटलेट हैं जिन तक ग्राहकों की सीधी पहुंच नहीं है. ये ऑन-डिमांड ऑर्डर पूर्ति की सुविधा देते हैं और इसके कारण, इन दुकानों से किराने का सामान इकट्ठा करने के लिए नियुक्त स्टाफ सामान को तुरंत डिलीवर करता है. ये स्टोर बहुतायत में उपलब्ध हैं और पूरे भारत में फैले हुए हैं. इसलिए, वे 60 सेकंड से भी कम समय में ऑर्डर का चयन, पैक और शिप कर सकते हैं!

इन शहरों में उपलब्ध हैं सर्विस 
आदित पालिचा ने बताया कि औसत डिलीवरी दूरी लगभग 1.8 किमी है. यह 10 मिनट इंस्टेंट डिलीवरी स्टार्टअप, ज़ेप्टो लगभग तेरह विभिन्न क्षेत्रों में 86 से अधिक डार्क स्टोर मालिकों के साथ काम कर रहा है और सिर्फ एक साल में दस लाख से ज्यादा डिलीवरी की हैं. 

Zepto ने बहुत कम समय में अच्छी सफलता देखी है. इसकी सर्विसेज वर्तमान में बंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, गाजियाबाद, गुड़गांव, हैदराबाद, कोलकाता, नोएडा और पुणे में उपलब्ध हैं, और जल्द ही अन्य शहरों में भी उपलब्ध होंगी. 

काफी हद तक सफल Zepto ऐप के लॉन्च के बाद, डेवलपर्स ने मुंबई में 'Zepto Cafe' लॉन्च करने में भी हाथ आजमाया है. इसे अप्रैल 2022 में लॉन्च किया गया था. यह सिर्फ 10 मिनट से कम समय में रेडी-टू-ड्रिंक कॉफी, चाय और अन्य पैकेज्ड स्नैक्स डिस्ट्रिब्यूट करता है.