यूपी के गोंडा जिले में मानवता की मिसाल पेश की है. 2009 में वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्याम सुंदर तिवारी रोजाना एक सरकारी स्कूल में बच्चों को निरंतर निशुल्क पढ़ाते हैं. सर्विस में रहते हुए ही कंप्यूटर में पीजीडीसीए करने वाले श्याम सुंदर मिग 29 के इंस्ट्रक्टर भी थे.
श्याम सुंदर रोजाना मोकलपुर में कम्प्यूटर नैतिक शिक्षा व गणित पढ़ाते हैं. इनका मानना है कि देश के उत्थान के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. और बच्चे शिक्षित रहेंगे तो देश का उत्थान होगा.
स्कूल में पढ़ रहे अंशिका चौबे, शिवान्स शुक्ला व वैभव तिवारी बताते हैं कि तिवारी सर कम्प्यूटर अच्छा पढ़ाते हैं और बहुत अच्छे टीचर हैं. वहीं, स्कूल के इंचार्ज प्रधानाध्यापक ने बताया कि तिवारी सर सर्दी, गर्मी और बरसात सभी मौसम में स्कूल में निरंतर पढ़ाते हैं. खैर 74 साल के श्याम सुंदर कहते हैं कि बच्चों को पढ़ाने से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है.
दरअसल, श्याम सुंदर तिवारी गोंडा जिले के शहर से सटे गांव मोकलपुर के निवासी हैं. 2009 में श्याम सुंदर वायु सेना से रिटायर हुए और साल 2015 से अपने गांव में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय मोकलपुर में पढ़ाने लगे. सर्विस में रहते हुए ही कंप्यूटर में पीजीडीसीए करने वाले श्याम सुंदर मिग 29 के इंस्ट्रक्टर भी रहे हैं. वे रोजाना मोकलपुर में कम्प्यूटर नैतिक शिक्षा व गणित पढ़ाते है.
श्याम सुंदर का मानना है कि आमतौर पर लोगों में भ्रांति है कि कॉन्वेंट स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है, वह सब सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं ला सकते हैं? देश का उत्थान तो यहीं से शुरू होना है. इसलिए उन्होंने पढ़ाना शुरू किया.
श्याम सुंदर कहते हैं कि जब वे सेना में थे तभी से सेवा भाव जागृत हो गया था. रिटायरमेंट के बाद वे सत्यसाईं बाल विकास कार्यक्रम में जुड़े रहे. उसी से संबंधित एक और कार्यक्रम सत्य साईं विद्या ज्योति कार्यक्रम शुरू हुआ और उसके तहत उन्होंने इस स्कूल को चुना. वे कहते हैं, “यहां के प्रधानाध्यापक से मैंने आकर निवेदन किया कि मैं बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देना चाहते हूं. उससे संबंधित कार्य सारे उपकरण इत्यादि उपलब्ध कराएं. सेवा का अवसर मुझे प्रधानाचार्य जी ने दिया.
आगे श्याम सुंदर कहते हैं, “मैं 2015 पढ़ाता भी हूं और इससे अतिरिक्त जो कंप्यूटर से संबंधित जो स्कूल के कार्य होते हैं जैसे डेटा एंट्री वगैरह भी कंप्लीट करता हूं. सेवा करने से मुझे संतुष्टि मिलती है, प्रसंता मिलती है और हर प्रकार से प्रसन्न रहता हूं. देश के उत्थान के लिए जो शिक्षा ही सबसे जरूरी है. अगर बच्चे शिक्षित होंगे तो देश का उत्थान हो सकता है. अगर बच्चे ही शिक्षित नहीं रहेंगे तो देश का उत्थान नहीं हो सकता है.
श्याम सुंदर बताते हैं कि वे 2009 के बाद से यहां पढ़ा रहे हैं. उनके बच्चों की शिक्षा लखनऊ में सेंट्रल स्कूल में हो रही थी तो उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद वे 2015 से इसी गांव में रह रहे हैं. इसी स्कूल में रेगुलर आ-जा रहे हैं.
जब श्याम सुंदर सेना में थे तब उन्होंने कंप्यूटर में दक्षता 1990 में ही हासिल कर ली थी. वे कहते हैं, “जब मैं सर्विस में था तब देखा हमारे अधिकारीगण कंप्यूटर पर कुछ कार्य किया करते थे, तो कंप्यूटर मेरे लिए ही एक बहुत बड़ा पिटारा था. एक दिन मैंने अपने अधिकारी से कहा कि सर कंप्यूटर देखना चाहता हूं कि कैसा होता है. इसे देखने के लिए लिया तो देखा कि नॉर्मल कीबोर्ड की तरह था, जैसा टाइपराइटर का कीबोर्ड होता है. तो जब वे काम कर रहे थे मैं पीछे खड़े हो कर देख रहा था. तब मैंने उनसे कहा कि मैं आपसे फास्ट कर सकता हूं तो उन्होंने कहा कि हां कीजिए. जो काम वे 2 दिन में करते थे वह काम में एक ही दिन में करने लगा. जिसके बाद मैंने प्राइवेट कंप्यूटर की पढ़ाई की. मैंने राजस्थान जोधपुर में पीजीडीसीए डिप्लोमा हासिल किया और उसके बाद सर्विस में सारे काम करने लगा.”
श्याम सुंदर बताते हैं कि कुछ समय बाद उनका ट्रांसफर हो गया. वे मिग 29 वायुयान के इंस्ट्रक्टर भी रहे हैं. आखिर में श्याम सुंदर कहते हैं कि मुझे अत्यंत खुशी मिल रही है और इसे शब्दों में प्रकट करना मुश्किल है. देश के लिए और मानवता के लिए हमें कुछ न कुछ करते रहना चाहिए. (रिपोर्ट- आंचल श्रीवास्तव)