हर भारतीय के लिए 26 जनवरी की परेड काफी अहमियत रखती है. लेकिन इसके बारे में कई ऐसी बातें हैं जो लगभग 90% भारतीयों को नहीं पता है. (फोटो: PTI)
क्या आप जानते हैं कि हमेशा राजपथ पर परेड नहीं होती थी. शुरुआती समय में परेड नेशनल स्टेडियम, लाल किला और रामलीला मैदान होती थी. (फोटो: PTI)
1955 में राजपथ में हुई पहली परेड में चीफ गेस्ट के तौर पर पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद बुलाए गए थे. (फोटो: PTI)
जब परेड की शुरुआत का संकेत देने के लिए राष्ट्रगान गाया जाता है, तो 21 तोपों की सलामी दी जाती है. हालांकि, जब लोगों को 21 शॉट सुनाई देते हैं. लेकिन यह केवल सात बंदूकें होती हैं जो जिन्हें 3 बार फायर किया दाता है. (फोटो: PTI)
यूं तो पूरी परेड में कई गाने बजते हैं, जो अदलते-बदलते रहते हैं. लेकिन एक धुन हमेशा रहती है, जो साल-दर-साल वैसी ही रहती है, एबाइड विद मी. यह एक ईसाई भजन है, जो गांधी जी का पसंदीदा गीत था. (फोटो: PTI)
क्या आपने कभी सोचा है कि इस शानदार परेड को देखने के लिए कितने लोग हर साल आते हैं? अनुमान है कि यह संख्या 2 लाख के करीब है. (फोटो: PTI)
गणतंत्र दिवस से एक सप्ताह पहले तक मेट्रो स्टेशनों पर कर्मियों की संख्या बढ़ा दी जाती है. शहर के हर नुक्कड़ पर पुलिसकर्मी तैनात कर दिए जाते है. दिल्ली भर में तैनात कुल सुरक्षाकर्मियों की संख्या 35000 से 55000 के बीच होती है. (फोटो: PTI)
हर साल किसी विदेशी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आते हैं. साल 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से शुरू होकर 2017 के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस सहित 44 राज्यों के प्रमुख इस कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं. (फोटो: PTI)
एक और दिलचस्प फैक्ट ये है कि भारतीय सैनिक दूसरे देशों की तुलना में काफी तेजी से मार्च करते हैं. फ्रांस के सैनिकों की मार्च करने की दर 106 बीट प्रति मिनट नोट की गई है. जबकि भारतीय सैनिकों की मार्च दर 120 बीट प्रति मिनट है. (फोटो: PTI)