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Girls in IIT: साउथ के 4 आईआईटी कैंपस में बेटियों का कमाल, 26 फीसदी सीटों पर लड़कियां का कब्जा

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हैदराबाद जोन का जेंडर रेशियो सभी आईआईटी कैंपस से बेहतर है. इस बार 26 फीसदी नई लड़कियों को जगह मिली है. जबकि लड़कियों की औसत राष्ट्रीय हिस्सेदारी सिर्फ 19.7 फीसदी है. इस जोन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी आते हैं.

आईआईटी हैदराबाद जोन का जेंडर रेशियो सभी आईआईटी कैंपस से बेहतर है. आईआईटी हैदराबाद जोन का जेंडर रेशियो सभी आईआईटी कैंपस से बेहतर है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हैदराबाद जोन का जेंडर रेशियो राष्ट्रीय औसत से भी अच्छा है. इस साल करीब 1200 लड़कियां इस जोन के आईआईटी कॉलेजों में शामिल हो रही हैं. हैदराबाद जोन में नई एंट्री में 26 फीसदी महिलाएं हैं. जबकि आईआईटी में शामिल होने वाली महिलाओं का राष्ट्रीय औसत देखा जाए तो वो सिर्फ 19.7 फीसदी है.

आईआईटी में लड़कियों का कमाल-
लड़कियों ने ना सिर्फ इतनी संख्या में सीटें हासिल की है. बल्कि इस जोन में रजिस्ट्रेशन कराने में भी लड़कियों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है. इस जोन में आंध प्रदेश, तेलंगाना, तमिलानाडु, केरल और पुडुचेरी राज्य आते हैं.

आईआईटी में अतिरिक्त महिला कोटा लागू होने के 5 साल बाद करीब हर कैंपस में औसतन 19.7 फीसदी लड़कियां हैं. साल 2023 के नए बैच में 3411 लड़कियां हैं, जो साल 2017 के मुकाबले तीन गुना है. साल 2017 में आईआईटी में सिर्फ 995 लड़कियां थीं. साल 2018 में महिलाओं के लिए कोटा 14 फीसदी थी, जिसे अगले साल बढ़ाकर 17 फीसदी किया गया और बाद में 20 फीसदी तक पहुंचाया गया.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी मद्रास के सीनियर प्रोफेसर ने कहा कि जेंडर रेशियो में सुधार हुआ है. महत्वपूर्ण बात ये है कि यह पाठ्यक्रम के अनुसार भी बेहतर हो हुआ है. पहले कंप्यूटर साइंस में करीब एक या दो लड़कियां होती थीं. लेकिन हर कोर्स में कोटा लागू होने के बाद हमारे पास 20 से अधिक लड़कियां और 70 लड़के हो गए हैं.

लगातार बढ़ती गई लड़कियों की हिस्सेदारी-
आईआईटी मंडी के पूर्व डायरेक्टर टिमोथी ए गोंसाल्वेस की अध्यक्षता वाली समिति ने महिलाओं के लिए एडिशनल सीटें रिजर्व करने की सिफारिश की थी. साल 1990 के दशक संस्थानों ने लंबा सफर तय किया है. पहले लड़कों का अनुपात 10:1 था, जो साल 2000 के दशक की शुरुआत में घटकर 7:1 हो गया है. लेकिन 2000 के दशक के अंत तक आते-आते रेशियो 4:1 हो गया. लेकिन इसके बाद इसमें कुछ कमी आई. साल 2014 में ज्यादातर आईआईटी कैंपस में छात्राओं की संख्या 5 फीसदी से 12 फीसदी के बीच हो गई थी. महिलाओं के लिए अतिरिक्त सीटें आवंटित किए जाने से एक साल पहले आईआईटी में 995 लड़कियां और 9883 लड़कों मिली थी.

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