कहते है सीखने की या पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है और 71 साल के नागेश चड्डा इस बात को बखुबी सबित कर रहे हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी में 'दादा जी' के नाम से मशहूर नागेश उर्दू भाषा में मास्टर्स कर रहे हैं. पढ़ाई के प्रति नागेश का यह जज़्बा यूनिवर्सिटी के हर छात्र के लिए प्रेरणा है.
आमतौर पर इस उम्र में लोग रिटायरमेंट की सोचते हैं और चाहते हैं कि आराम करें. पर इस उम्र में नागेश चड्डा ने पढ़ाई को अपना साथी बनाया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में नागेश की अपनी पहचान है. कॉलेज खुलने के बाद जब वह पहली बार क्लास में आये तो छात्रों को समझ ही नहीं आया.
जीवन बीमा निगम से हैं रिटार्यड
इसके बाद वह सबके बीच चर्चा का विशेष बन गए. नागेश जीवन बीमा निगम से रिटार्यड हैं और कहते हैं कि मैंने अपनी उम्र को कभी अपनी पढ़ाई के बीच नही आने दिया. नागेश जब भी यूनिवर्सिटी में जाते है तो तमाम छात्र उन्हें घेर लेते हैं.
कई छात्र कहते है कि उनकी उम्र उनके दादाजी जितनी है. तो कई छात्र नागेश के जज़्बे को देखकर हैरान हैं. नागेश आज भी रोज 4 से 5 घंटे पढ़ाई करते हैं.
वक्त निकल जाए तो अफसोस ही रह जाता है. इसलिए सही समय पर जिंदगी में सही प्रयोग ही आपको जीने की राह दिखाता है. नागेश चड्डा जैसे लोग आज की युवा पीढ़ी को समझाते हैं कि मेहनत और परिश्रम के बीच उम्र कोई बाधा नही है.