99 साल पहले साल 1925 में आज के दिन यानी 9 अगस्त को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार का खजाना लूट लिया था. अंग्रेजों का खजना ट्रेन से ले जाया जा रहा था. इस दौरान काकोरी रेलवे स्टेशन पर क्रांतिकारियों ने ट्रेन को लूट लिया था. इसे काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. मौजूदा वक्त में काकोरी उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में पड़ता है. इस घटना से अंग्रेज सरकार हिल गई थी.
सरकारी खजाना लूटने का क्यों बनाया गया प्लान-
क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए हथियार की जरूरत थी और हथियार खरीदने के लिए पैसे चाहिए थे. इसलिए क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना लूटने का प्लान बनाया. खजाना लूटने की योजना राम प्रसाद बिस्मिल ने दूसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर बनाई थी. उनका मकसद था कि सरकारी खजाना लूटने से जो पैसा मिलेगा, उससे हथियार खरीदा जाएगा और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया जाएगा. सरकारी खजाना लूटने की योजना में क्रांतिकारियों को सफलता भी मिल गई थी.
कौन-कौन क्रांतिकारी थे शामिल-
8 अगस्त को शाहजहांपुर में राम प्रसाद बिस्मिल के घर पर क्रांतिकारियों की आपात बैठक हुई. इस बैठक में ट्रेन लूटने की योजना बनाई गई. इस योजना को अंजाम देने के लिए 9 अगस्त की तारीख तय की गई. ब्रिटिश खजाना लूटने के प्लान में 10 क्रांतिकारी शामिल होने वाले थे. इसमें राम प्रसाद विस्मिल, अशफाक उल्ला खान, मुरारी शर्मा, बनवारी लाल, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, शचींद्रनाथ बख्शी, चंद्रशेखर आजाद, मुकुंदी लाल और मनमथननाथ गुप्ता शामिल थे.
काकोरी कांड को कैसे दिया गया था अंजाम-
प्लान के मुताबिक 9 अगस्त 1925 को ट्रेन लूटने की घटना को अंजाम दिया गया. अशफाक उल्ला खान की अगुवाई में क्रांतिकारी राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने काकोरी रेलवे स्टेशन पर चेन खींचकर सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया था. जैसे ही ट्रेन रूकी, वैसे ही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद बाकी साथियों के साथ ट्रेन में दाखिल हुए और ब्रिटिश खजाना लूट लिया. क्रांतिकारियों ने खजाना चादर में बांध लिया और लेकर फरार हो गए.
हथियारों से लैस थे क्रांतिकारी-
ट्रेन लूटने के दौरान क्रांतिकारी हथियारों से लैस थे. उनके पास पिस्तौल के अलावा 4 माउजर भी थे, जो जर्मनी में बने थे. ये माउजर देखने में राइफल की तरह लगती थी. इसकी मारक क्षमता बेहतरीन थी. बताया जाता है कि मनमथनाथ गुप्ता ने माउजर का ट्रिगर दबा दिया था. जिससे एक मुसाफिर की मौत भी हो गई थी. लूट की खबर जब इलाके में फैली तो हड़कंप मच गया. ब्रिटिश सरकार सकते में आई, फौरन जांच शुरू की गई.
क्रांतिकारियों को फांसी की सजा-
काकोरी कांड में कई क्रांतिकारियों को सजा सुनाई गई थी. पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान और राजेंद्र लाहिड़ी को मौत की सजा सुनाई गई थी. 19 दिसंबर 1927 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर में फांसी दी गई. जबकि ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद और अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई. जेल की पीछे की दीवार को तोड़कर राम प्रसाद बिस्मिल के पार्थिव शरीर को परिजनों को सौंपा गया था. उनका अंतिम संस्कार राप्ती नदी के किनारे किया गया था.
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