काफी सिर्फ 3 साल की थी...जब तीन लोगों ने होली के दिन उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया था. इस घटना से तीन साल की उस छोटी बच्ची की आंखे चली गईं... अगले 6 साल अस्पतालों के चक्कर काटने में बीते...बहुत मुश्किलें आईं...अब आखिरकार 12 साल बाद 12 मई 2023 को काफी और उसके परिवार की जिंदगी में रोशनी आई है...
15 साल की "काफी" ने चंडीगढ़ के ब्लाइंड स्कूल में दसवीं क्लास में टॉप किया है. काफी एक एसिड सर्वाइवर हैं और जब वह महज तीन साल की थी तब हिसार के गांव बुढाना में पड़ोस में रहने वाले तीन लोगों ने जलन के चलते काफी पर तेजाब फेंक दिया था... जिसके चलते काफी नेत्रहीन हो गई थी और उसका पूरा मुंह और बाजू बुरी तरह से झुलस गए थे लेकिन काफी ने हार नहीं मानी और आज काफी के घरवाले और पूरा स्कूल उसकी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है. काफी ने दसवीं में 95.20 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं और काफी चाहती है कि वह एक आईएएस अधिकारी बने.
लेकिन काफी के यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा काफी ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि जब वह महज 3 साल की थी तो होली वाले दिन उनके पड़ोस में रहने वाले तीन लोगों ने उसके ऊपर द्वेष के चलते तेजाब फेंक दिया जिसके बाद उसका और उसके घर वालों का संघर्ष जारी हो गया. यह बात साल 2011 की है.
डॉक्टर नहीं बचा पाए आंखों की रोशनी
काफी ने बताया कि इलाज के लिए सबसे पहले उसके पिता ने उसे दिल्ली AIIMS भर्ती करवाया और डॉक्टर ने 1 हफ्ते के बाद ही बता दिया कि काफी जिंदगी भर अंधेरे में ही रहेगी. तेजाब से झुलसने के कारण काफी की आंखों की पूरी रोशनी चली गई थी. वही उसका पूरा मुंह और बाजू भी झुलस गए थे. डॉक्टर ने किसी तरह उसे तो बचा लिया लेकिन उसकी आंखों की रोशनी को वह नहीं बचा पाए.
आरोपी आज भी आजाद
भरे गले से बात करते हुए काफी ने बताया कि उनके पिता ने उनके लिए खूब संघर्ष किया और जिन लोगों ने उसके ऊपर तेजाब फेंका था. उन्हें हिसार की जिला अदालत ने 2 साल की सज़ा सुनाई लेकिन 2 साल की सजा पूरी करने के बाद आज तीनों आजादी से घूम रहे हैं, जिसका दर्द आज भी काफी और उसके घरवालों को झकझोर रहा है. काफी ने बताया कि जब वह 8 साल की हो गई तब उसने हिसार के ही नेत्रहीन स्कूल में पढ़ना शुरू किया. हालांकि उस स्कूल में अच्छी सुविधा ना होने के कारण काफी के घर वालों ने वहां से पूरे परिवार के साथ चंडीगढ़ आने का फैसला कर दिया.
पिता करते हैं चपरासी की नौकरी
काफी के पिता अनुबंध पर चंडीगढ़ सचिवालय में चपरासी की नौकरी कर रहे हैं. काफी पढ़ाई में शुरू से ही अच्छी थी जिसके चलते चंडीगढ़ के सेक्टर 26 ब्लाइंड स्कूल में उसे सीधे ही छठी क्लास में दाखिला मिल गया. काफी के पिता पवन ने बताया, काफी ने कभी भी हौसला और उम्मीद नहीं हारी और उस अंधेरे में भी पढ़ाई की ऐसी लौ जलाई रखी जिसके जरिए न अपना बल्कि उसने अपने मां बाप का नाम भी रोशन कर दिया है.
पवन बताते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी का नाम काफी इसलिए रखा था कि बस अब उन्हें और बेटी नहीं चाहिए लेकिन नम आंखों से आज वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. पवन बताते हैं कि उन्होंने साल 2017 में उन आरोपियों के खिलाफ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक अपील दायर की थी लेकिन तब से लेकर अभी तक वह लटकी हुई है और उस पर कोई भी फैसला नहीं हुआ है.