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प्रकाशकों ने छापने से मना किया तो पति ने उड़ाया मजाक... फिर भी नहीं रुकी Annie Ernaux, आज कही जाती हैं फ्रेंच लिटरेचर की आवाज, मिला Nobel

Annie Ernaux को लिटरेचर का नोबेल प्राइज दिया गया है. बता दें, फ्रांस की लेखिका के तौर पर एनी एक जाना माना नाम हैें. एनी अभी 82 साल की हैंं. लेखिका को फ्रेंच लिटरेचर की आवाज कहा जाता है.

एनी ने जीता साहित्य का नोबेल प्राइज एनी ने जीता साहित्य का नोबेल प्राइज
हाइलाइट्स
  • किताबों में उतारकर रख दी अपनी पूरी जिंदगी

  • पहला उपन्यास प्रकाशकों ने छापने से मना कर दिया था  

फ्रांस की लेखिका एनी अर्नो (Annie Ernaux) को इस साल का नोबेल प्राइज दिया गया है. गुरुवार को नोबेल प्राइज कमिटी ने इसकी घोषणा की है. बताते चलें कि साल 1901 से साहित्य में 114 नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं. साल 1914, 1918, 1935, 1940, 1941, 1942 और 1943 में नोबेल प्राइज नहीं दिए गए थे. 1 सितंबर 1940 को जन्मी फ्रांसीसी लेखक एनी अर्नो लिटरेचर की प्रोफेसर हैं. लिटरेचर में 2021 का नोबेल पुरस्कार तंजानिया के नॉवेलिस्ट अब्दुलराजाक गुरनाह को दिया गया था. आपको दें कि एनी अर्नो को फ्रेंच लिटरेचर की आवाज कहा जाता है.

किताबों में उतारकर रख दी अपनी पूरी जिंदगी  

दरअसल, 1970 के दशक के बाद से ही एनी अर्नो ने न केवल लोगों के दिलों में बल्कि फ्रेंच लिटरेचर में अपनी जगह बना ली थी. 1974 से उनकी पहली पुस्तक, "क्लीन्ड आउट" आई थी. ये किताब नॉर्मंडी में उनके वर्किंग क्लास बचपन का एक ब्रेसिंग अकाउंट है. साथ ही इसमें उन्होंने अपने एबॉर्शन से एनकाउंटर के बारे में भी लिखा था. ये वो दौर था जब फ्रांस में एबॉर्शन को कानूनी मान्यता भी नहीं मिली थी. हालांकि, 1980 तक उनका ज्यादातर काम फिक्शन पर आधारित था. 1980 के बाद से उन्होंने मेमॉयर लिखे जिनमें उन्होंने अपनी शादी के बारे में लिखते हुए, अल्जाइमर से उनकी मां की मौत, कैंसर के अपने अनुभव, साथ ही साथ कई इमोशनल मोमेंट्स को अपनी किताबों में उतारा.

पहला उपन्यास प्रकाशकों ने छापने से मना कर दिया था  

हालांकि, एनी का सफर इतना आसान नहीं था. शुरुआत में उनके उपन्यासों को प्रकाशक छापने से मना कर दिया करते थे. न्यू यॉर्क टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में एनी बताती हैं कि उनके पहले उपन्यास को प्रकाशकों ने छापने से मना कर दिया दिया था. उन्होंने इसके पीछे ये तर्क दिया था कि ये उपन्यास  "बहुत महत्वाकांक्षी" है. इसके बाद उन्होंने 1970 के दशक की शुरुआत में फिर से लिखना शुरू किया तब वे वह एक फ्रांसीसी शिक्षिका और दो बच्चों की मां थीं. 

पति ने उड़ाया मजाक

इतना ही नहीं एनी के हर उपन्यास के पीछे उनकी जिंदगी से जुड़ी कोई कहानी है. ऐसा ही उपन्यास है “क्लीन आउट”. दरअसल, बहुत कम लोग जानते हैं कि ये उपन्यास एनी ने अपने पति से छिपकर लिखा था, बिना किसी को बताए. एक इंटरव्यू में एनी बताती हैं कि उनके पति ने उनकी पहली रचना का मजाक उड़ाया था. तब उन्होंने क्लीन आउट को लिखने के लिए पीएच.डी. पर काम करने का नाटक किया था. ताकि उन्हें इसे लिखने के लिए खाली समय मिल सके. इस वाकया के बाद उनके पति ने उनसे कहा था कि अगर तुम मुझसे छिपकर कोई किताब लिखने में सक्षम हो, तो तुम मुझे धोखा देने में सक्षम हो. इसके बाद एनी ने अपनी तीसरी पुस्तक, "ए फ्रोजन वुमन" लिखी थी, जिसमें उन्होंने एक पत्नी और मां होने के बारे में लेखिका की भावनाओं के बारे में लिखा था. इस तीसरी किताब के बाद एनी का उनके पति से तलाक हो गया था. 

बुकर इंटरनेशनल प्राइज भी मिल चुका है 

यूं तो फ्रांस में एनी अर्नो कोई नया नाम नहीं है. हर पीढ़ी के लोगों को उनके बारे में पता है. लेकिन पिछले कई साल से उन्हें अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में दिल खोलकर अपनाया गया है. 2019 में उनकी "द इयर्स" को बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया था. जिसके बाद उनकी "ए गर्ल स्टोरी" भी पब्लिश हुई थी.