बुधवार को सामाजिक संगठन प्रथम ने 'एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट' 2021 जारी की. जिसे भारतभर में ASER सर्वे के तौर पर जाना जाता है. यह सर्वे का 16वां संस्करण है. संगठन का कहना है कि कोरोना माहमारी को देखते हुए इस बार का सर्वेक्षण फोन के माध्यम से किया गया है.
ASER की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों में दाखिलों की संख्या घटी है. वहीं, सरकारी स्कूलों में दाखिले काफी ज्यादा मात्रा में बढ़े हैं. इसका एक मुख्य कारण कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण घर-परिवार में आई आर्थिक तंगी है.
इसके अलावा, कोरोनाकाल में शिक्षा से जुड़े कई बड़े खुलासे इस रिपोर्ट में हुए हैं. जिनपर सरकार और प्रशासन को गंभीरता से सोचने-विचारने की जरूरत है.
छोटे बच्चों के उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है स्मार्टफोन:
ASER की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कक्षा 1 और 2 में पढ़ रहे हर तीन छात्रों में से एक छात्र ने कोविड-19 के कारण कभी ऑफलाइन मोड में स्कूल अटेंड नहीं किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी स्कूलों में पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ रहे 36.8 फीसदी छात्रों ने प्री-प्राइमरी कक्षाएं नहीं की हैं.
इसके अलावा, घरों में बच्चों के लिए स्मार्टफोन की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक, पहले की तुलना में घरों में स्मार्टफोन की उपलब्धता काफी बढ़ी है. लेकिन बच्चों को स्मार्टफोन उपयोग के लिए सीमित मात्रा में ही मिलते हैं.
खासकर कि छोटे बच्चों के पास स्मार्टफोन की ज्यादा पहुँच नहीं है. और पहली-दूसरी कक्षा में पढ़ रहे लगभग एक तिहाई बच्चों के पास स्मार्टफोन है ही नहीं. कक्षा एक-दो में पढ़ रहे सिर्फ 19.9 फीसदी बच्चों को जरूरत पड़ने पर स्मार्टफोन मिलता है.
बड़ी कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों को मिलता है स्मार्टफोन:
रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़े बच्चों को स्मार्टफोन की उपलब्धता ज्यादा है. कक्षा IX और उससे ऊपर के 35.4 प्रतिशत छात्रों के पास पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन है. नामांकित सभी बच्चों में से दो तिहाई से अधिक बच्चों के पास घर पर स्मार्टफोन है. इनमें से लगभग एक चौथाई (26.1%) ऐसे बच्चे हैं जिनके पास स्मार्टफ़ोन उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है.
यह सर्वेक्षण सितंबर और अक्टूबर के बीच 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 581 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है. इस सर्वे में 76,706 घरों, पांच से 16 साल की उम्र 75,234 छात्रों और 7,300 सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व स्टाफ को कवर किया गया है.