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Mission Daksh: क्या है बिहार सरकार का मिशन दक्ष? पढ़ाई में कमजोर 25 लाख बच्चों को मिलेगा फायदा

सभी 25 लाख छात्र अप्रैल, 2024 में परीक्षाओं में बैठेंगे. अगर ये छात्र परीक्षाओं में फेल होते हैं, तो शिक्षा विभाग उनके हेडमास्टर और टीचरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा.

हाइलाइट्स
  • मिशन दक्ष की शुरुआत कर दी गई है.

  • पढ़ाई में कमजोर 25 लाख बच्चों को मिलेगा फायदा

बिहार सरकार पढ़ाई में कमजोर 25 लाख बच्चों के लिए दिसंबर से एक स्पेशल कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. इसे मिशन दक्ष नाम दिया गया है. ये कार्यक्रम पढ़ाई में कमजोर उन छात्रों के लिए शुरू किया गया है, जो हाई क्लास में पहुंचने के बावजूद सरल हिंदी शब्द पढ़ने में असमर्थ हैं. मिशन दक्ष अभियान में पहली से 12वीं तक के शत प्रतिशत शिक्षकों को जोड़ा जा रहा है. जुलाई में शुरू हुए डीएम के निरीक्षण में यह पाया गया कि लगभग सभी सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक रूप से कमजोर छात्रों की संख्या काफी ज्यादा है. जिसके बाद बिहार सरकार को ये विशेष कार्यक्रम चलाने का फैसला लेना पड़ा.

1 दिसंबर से शुरू होगा मिशन दक्ष

शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को ऐसे छात्रों का ठीक तरह से मार्गदर्शन करने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं शिक्षकों की तरफ से अगर किसी तरह की ढिलाई की गई तो उन्हें कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है. शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक ने 21 नवंबर को सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को पत्र लिखकर उनसे 1 दिसंबर से हर दिन अपने क्षेत्रों में कार्यक्रम की निगरानी करने का निर्देश दिया है. 'मिशन दक्ष' के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए डीएम की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी समितियां बनाई जाएंगी.

बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक ने अपने पत्र में कहा, "शैक्षणिक रूप से कमजोर छात्र स्कूलों में अपने साथियों से बहुत पीछे हैं... उनमें से कुछ उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पहुंचने के बावजूद सरल हिंदी के शब्द ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं. ऐसे छात्रों को अक्सर मुश्किल कॉन्सेप्ट को पूरी तरह से समझने और सीखने के लिए ध्यान देने की जरूरत होती है."

25 लाख बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य

इस योजना के तहत 1 दिसंबर से कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों का नामांकन होगा. मिशन दक्ष के तहत करीब 25 लाख बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इन कमजोर बच्चों को कोई ना कोई शिक्षक गोद लेंगे. इस योजना में उन बच्चों को शामिल किया जाएगा जो हिंदी के सामान्य वाक्य भी ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं, लिख नहीं पाते हैं और गणित की बेसिक जानकारी भी नहीं बता पाते हैं. ऐसे छात्रों के लिए बिहार सरकार प्राथमिक विद्यालयों में तीन बजे के बाद विशेष कक्षाएं आयोजित करवाएगी. अधिकतम पांच छात्र पर एक शिक्षक रहेंगे.

अप्रैल 2024 में होंगी परीक्षाएं

प्रत्येक टीचर के पास पांच-पांच बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी होगी. पढ़ाने का कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है. यह संबंधित शिक्षक पर ही छोड़ दिया गया है कि बच्चों को कितनी देर तक पढ़ाना है. बता दें, सभी 25 लाख छात्र अप्रैल, 2024 में परीक्षाओं में बैठेंगे. अगर ये छात्र परीक्षाओं में फेल होते हैं, तो शिक्षा विभाग उनके हेडमास्टर और टीचरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा.