कहते हैं ज्ञान बांटने से बढ़ता है. अगर आपके पास ज्ञान है, तो उसे दूसरों के साथ जरूर कम साझा करें, ऐसा करने से आपका ज्ञान कम नहीं होगा, बल्कि और बढ़ेगा. बिजनौर पुलिस में तैनात एक सिपाही का भी यही मानना है. बिजनौर पुलिस के ये सिपाही अपनी ड्यूटी के साथ-साथ गरीब बच्चों को पढ़ा कर उन्हें साक्षर भी कर रहे हैं. उनकी इस पहल पर उनके विभाग के अधिकारी भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. इसी के चलते मुरादाबाद डीआईजी शलभ माथुर ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें सम्मानित भी किया है.
2014 से शुरू की शिक्षा की पहल
सहारनपुर के गांव कुरलकी खुर्द के रहने वाले सिपाही विकास कुमार पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. 2014 में विकास ने गांव के उन गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था, जो गरीबी के चलते अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं. उस वक्त विकास की नौकरी नहीं लगी थी. ऐसे बच्चे जो किताबों और ट्यूशन का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं हैं, विकास उन बच्चों से जुड़ कर उन्हें शिक्षा-दीक्षा दे रहे हैं. सबसे पहले विकास ने उन बच्चों को चुना जो पढ़ने के इच्छुक हैं, पर गरीबी के चलते पढ़ नहीं पा रहे हैं. धीरे-धीरे ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. धीरे-धीरे विकास ने ऐसे लोगों को भी अपने साथ जोड़ा जो उनके साथ मिलकर बच्चों में शिक्षा का ज्ञान बांटने का हौसला रखते हो.
पुलिस की नौकरी के बाद भी देते हैं शिक्षा
2016 में जब विकास की पुलिस में भर्ती हुई तो विकास रुके नहीं और बच्चों के शिक्षा देना जारी रखा. विकास अपनी ड्यूटी को पूरी तरह ईमानदारी से निभाते हैं, उसके बाद बच्चों को पढ़ाते भी हैं. पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद विकास कुमार की पहली पोस्टिंग बिजनौर जनपद में हुई और उनको कोतवाली शहर की आवास विकास पुलिस चौकी पर तैनाती मिली. यहां पर काशीराम कॉलोनी होने के चलते काफी गरीब बच्चे ऐसे थे, जो शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे. तब इन्होंने अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए ऐसे बच्चों को बिजनौर में जोड़ना शुरू किया. उनको करीब 30 से 35 बच्चे ऐसे मिले जो पढ़ना चाहते थे.
पुलिस विभाग ने दिया सम्मान
फिलहाल उनकी तैनाती वर्तमान में नांगल थाने में पीआरबी 112 पर है, लेकिन समय मिलने पर यह आज भी बिजनौर के गांव रामजी वाला छकड़ा, किशनपुर, सुंदरपुर बेहड़ा, ढोला पुरी और मोहनपुरी गांव में पाठशाला चलाकर बच्चों को लगातार शिक्षा दे रहे हैं. उनकी इस पहल का पता लगते ही पुलिस अधिकारियों ने भी उनका हौसला बढ़ाया. विकास को मुरादाबाद बुलाकर उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
गरीब बच्चों को शिक्षा देना है मकसद
सिपाही विकास कुमार का कहना है कि मेरा मकसद अधिक से अधिक गरीब बच्चों को शिक्षित बनाना है. ताकि कोई भी गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे, क्योंकि शिक्षा के बिना जीवन बेकार है. जिसके जीवन में शिक्षा नहीं होती वह जीवन अंधकारमय होता है. इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपनी पूरी टीम के साथ अधिक से अधिक बच्चों को ग्रहण कराने के अभियान में जुटे हुए हैं. फिलहाल बिजनौर में 5 गांव में हमारी पाठशाला चल रही है, जबकि इसके अलावा पीलीभीत सहारनपुर बुलंदशहर मेरठ सहित उत्तराखंड के कई गांव में उनके साथ ग्रुप में जुड़े उनके साथी ऐसी पाठशाला चलाकर बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं. हम तब एक ग्रुप में जुड़े हुए हैं और अपने पढ़ाई के दौरान बच्चों को कराए जाने वाले अध्ययन को एक दूसरे के साथ लगातार बांटते रहते हैं.
(संजीव शर्मा की रिपोर्ट)