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Board एग्जाम में Periods होने पर नहीं होना पड़ेगा परेशान, Toilet Breaks के साथ सेंटर पर ही मिलेंगे Sanitary Pads, शिक्षा मंत्रालय ने जारी की एडवायजरी

पीरियड्स के दौरान होने वाली शारीरिक जरूरतों को समझते हुए, मंत्रालय ने अनिवार्य किया है कि महिला छात्रों को परीक्षा के दौरान बाथरूम ब्रेक्स लेने की अनुमति दी जाए. इसकी मदद से छात्राएं विवेकपूर्ण और बिना शर्मिंदगी के पीरियड्स को मैनेज कर पाएंगी.

Menstrual Hygiene (Photo/Unsplash) Menstrual Hygiene (Photo/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • फ्री होंगे सेनेटरी प्रोडक्ट्स 

  • जागरूकता बढ़ाने पर भी होगा काम 

किसी भी परीक्षा के समय लड़कियों को सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब उन्हें पीरियड्स हो जाते हैं. हालांकि, अब बोर्ड परीक्षा में बैठी लड़कियों को इसका सामना नहीं करना पड़ेगा. महिला छात्रों की भलाई के लिए शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है. स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान  मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट (Menstrual hygiene management) के लिए कई घोषणाएं की हैं. इन पहलों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश भर में लड़कियां मेंस्ट्रुअल हाइजीन से जुड़ी चुनौतियों का सामना किए बिना अपनी परीक्षा में बैठ सकें. 

शिक्षा में पीरियड्स संबंधी चुनौतियों को संबोधित करना

मेंस्ट्रुअल हाइजीन मैनेजमेंट एक लड़की की सेहत के लिए सबसे जरूरी चीज है. दुर्भाग्य से, इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, खासकर बोर्ड परीक्षाओं जैसे जरूरी समय में. सैनिटरी प्रोडक्ट्स तक सीमित पहुंच और पीरियड्स से जुड़ी अधूरी जानकारी की वजह होने वाली परेशानियों को पहचानते हुए, DoSEL ने कई कदम उठाए हैं. 

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नए दिशानिर्देश राज्य बोर्ड, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति से जुड़े सभी स्कूलों पर लागू हैं. 

फ्री होंगे सेनेटरी प्रोडक्ट्स 

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि सभी 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा केंद्रों पर मुफ्त सैनिटरी पैड दिए जाएं. इससे लड़कियों को पीरियड्स के समय पेड ढूंढने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. सैनिटरी प्रोडक्ट्स की कमी की वजह से कई बार लड़कियों की परीक्षा पर भी असर पड़ता है. 

इसके अलावा, पीरियड्स के दौरान होने वाली शारीरिक जरूरतों को समझते हुए, DoSEL ने अनिवार्य किया है कि महिला छात्रों को परीक्षा के दौरान बाथरूम ब्रेक्स लेने की अनुमति दी जाए. यह नीति असुविधा और तनाव को कम करने के लिए डिजाइन की गई है, जिससे छात्र विवेकपूर्ण और बिना शर्मिंदगी के पीरियड्स को मैनेज कर पाएं. 

जागरूकता बढ़ाने पर भी होगा काम 

DoSEL की पहल में छात्रों को जागरूक करने की भी बात कही गई है. मेंस्ट्रुअल हेल्थ और हाइजीन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से शैक्षिक कार्यक्रम भी करवाएं जाएंगे. ये कार्यक्रम राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों/स्वायत्त निकायों द्वारा संचालित किए जाएंगे और छात्रों, शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों पर टार्गेटेड होंगे. इस पहल का लक्ष्य लोगों के बीच पीरियड्स से जुडी अफवाहों और रूढ़िवादिता को कम करना है. 

गरिमा और सशक्तिकरण पर भी होगी बात 

DoSEL के उपाय केवल भौतिक उत्पाद या टॉयलेट ब्रेक तक ही सीमित नहीं हैं, ये महिला छात्रों की गरिमा का सम्मान और समर्थन करने के बारे में हैं. परीक्षाओं के दौरान मेंस्ट्रुअल हाइजीन संबंधी चिंताओं को संबोधित करके, मंत्रालय लोगों को पीरियड्स को लेकर संवेदनशील बनाना चाहता है.