यूपी बोर्ड की परीक्षा का जिक्र आते ही उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल और उन शिक्षकों की तस्वीर सामने आती है जिनमें से कई समय के पाबंद नहीं होते. मगर अब ये तस्वीर बदलने वाली है. यूपी बोर्ड ने पहली बार प्रदेश भर के मूल्यांकन केंद्रों की online मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है. इससे सभी 271 केंद्रों पर नजर रखी जा रही है. इस तरह 47 लाख छात्रों के रिज़ल्ट के लिए यूपी बोर्ड टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहा है.
कैमरे की नजर तब तक इन शिक्षकों पर रहेगी जब तक वो मूल्यांकन पूरा न कर लें. पहली बार यूपी बोर्ड ने टेक्नोलॉजी के सहारे ऑनलाइन मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है. इसमें प्रदेश भर में बनाए गए सभी 271 मूल्यांकन केंद्रों को सीधे लखनऊ में माध्यमिक शिक्षा परिषद के कार्यालय के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है. कंट्रोल रूम में मंडलवार मॉनिटरिंग हो रही है यानि यूपी के 18 मंडलों के सभी ज़िलों की मॉनिटरिंग अलग-अलग हो रही है.
उपस्थिति की भी होगी जांच
वैसे तो टेक्नोलॉजी का प्रयोग हर स्तर पर शिक्षा में हो रहा है लेकिन ये बात अहम इसलिए है क्योंकि यूपी बोर्ड में परीक्षार्थियों की संख्या किसी भी अन्य बोर्ड से बहुत ज़्यादा होती है. यूपी बोर्ड में इस साल high school और intermediate में 47, 75, 749 छात्रों में परीक्षा दी है. इन छात्रों की 2 करोड़ 63 लाख कॉपियों को जांचना आसान काम नहीं है. ऐसे में हर केंद्र पर पूरी व्यवस्था के साथ बोर्ड ने मॉनिटररिंग का इंतजाम किया है. हर शिक्षक को दिन में निर्धारित संख्या में कॉपियां जांचनी होती हैं. इसके साथ ही शिक्षकों की attendence भी रोज चेक की जाएगी. हर दिन की उपस्थिति के बाद ही कॉपी जांचने का उनका बिल बनेगा.
हालांकि ये व्यवस्था मूल्यांकन केंद्रों की मॉनिटरिंग के लिए है लेकिन कोशिश ये है कि छात्रों और अभिभावकों की शिकायत को भी दूर किया जा सके. इसके लिए मूल्यांकन केंद्रों में आने वाली दिक्कत हो या छात्रों के सवाल सब यूपी बोर्ड अपने ट्विटर, फ़ेसबुक page के जरिए देख रहा है और वहीं पर उसका समाधान भी कर रहा है.
हैंड राइटिंग के भी मिलेंगे मार्क्स
यूपी बोर्ड हाल ही में अंग्रेज़ी के पेपर लीक होने की वजह से भी चर्चा में आया था. हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तस्वीर को बदलने की कोशिश लगातार जारी है. शिक्षक भी मानते हैं कि यूपी बोर्ड की साख बढ़ेगी. एक शिक्षिका ने हमें बताया कि पहली बार यूपी बोर्ड में हैंड राइटिंग के भी मार्क्स दिए जा रहे हैं. शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ परीक्षा बोर्ड की विश्वसनीयता भी ज़रूरी है. इसके लिए पहली बार देश के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड ने ये कदम उठाया है. 23 अप्रैल से शुरू हुए मूल्यांकन के 10 दिन में ही ख़त्म होने और उसके बाद जल्दी रिज़ल्ट घोषित होने में इससे मदद मिलेगी.