scorecardresearch

CBSE विवाद- लंबे प्रोसेस के बाद सवालों को सेलेक्ट करता है CBSE, फिर क्यों हो जाती है गलती? यहां समझिए

उन्होंने हालिया मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि मॉडरेटर का इस तरह से गैरजिम्मेदाराना बरताव परेशान करने वाला है. क्योकिं मॉडरेटर ही प्रश्न पत्रों को अंतिम रूप देतें हैं और बोर्ड के पास जमा करते हैं. अशोक गांगुली ने आगे कहा कि गुजरात में 2002 वाला मामाला ये बताने के लिए काफी है कि CBSE खुद परीक्षा प्रश्न पत्रों के जरिए देश की अखंडता और स्वायत्तता को कमजोर कर रहा है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • पहले भी हो चुका है CBSE सवाल विवाद

  • गुजरात दंगे को लेर हुआ था विवाद, CBSE ने तब भी मानी थी गलती

सीबीएसई की परीक्षाओं में पुछे गए सवाल को लेकर विवाद होना कोई नई बात नहीं है. पहला विवाद 12वीं क्लास के समाजशास्त्र के पेपर में हुआ था. इस पेपर में पुछे गए एक सवाल को गलत करार दिया गया था इसके लिए CBSE को माफी भी मांगनी पड़ी थी इस सवाल में ये पुछा गया था कि  2002 में हुए गुजरात दंगों में मुस्लिम विरोधी हिंसा किस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई था. अभी ताजा मामला 10वीं क्लास के इंगलिश के पेपर का है.

सीबीएसई की इस परीक्षा में एक बेहद आपत्तिजनक पैसेज दिया गया, जिसमें लिखा गया है - ''महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना तमाम तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की सबसे बड़ी वजह है'' और ''पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं जिसी वजह से बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं. इस मामले पर लोकसभा में सोनिया गांधी ने अपना गुस्सा जाहिर किया था, मामले के तूल पकड़ने के बाद सीबीएसई को माफी मांगनी पड़ी थी. ऐसे में ये जायज सवाल है कि सीबीएसई प्रश्न पत्र कैसे तैयार करता है? सवाल बनाने में कौन सी टीम शामिल होती है. 

सीबीएसई  प्रश्न पत्र बनाने में कौन से लोग शामिल होते हैं? 

सीबीएसई प्रश्न पत्र सेट करने की प्रक्रिया में हर सबजेक्ट के लिए विषय विशेषज्ञों के दो अलग-अलग पैनल शामिल  होते हैं:  पहले पैनल का नाम पेपर सेटर और  दूसरे पैनल का नाम मॉडरेटर है. हालांकि  विशेषज्ञों की पहचान गोपनीय रखी जाती है,  यहां तक ​​कि पैनल में शामिल हुए लोगों की पहचान एक-दूसरे से भी छुपा कर रखी जाती है. यहां तक कि पेपर सेट करने वालों को यह भी पता नहीं होता कि उनके सेलेक्ट किए हुए सवालों को पुछा ही जाएगा या सवाल रिजेक्ट हो जाएगें. 

सीबीएसई के ये हैं सख्त नियम-  

कोई भी पेपर सेटर और मॉडरेटर उस सब्जेक्ट में  ग्रेजुएट होने चाहिए जिसका सवाल वो तैयार कर रहे हैं. 
माध्यमिक / वरिष्ठ माध्यमिक / उच्च शिक्षा स्तर पर संबंधित विषय को पढ़ाने का कम से कम 10 साल का का अनुभव हो; या सरकार द्वारा स्थापित राज्य या राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा एजेंसियों में काम करने वाले व्यक्ति हों. सीबीएसई अध्यक्ष के लिए "सबजेक्ट से जुडे़ पेशे में दूसरे व्यक्तियों को नियुक्त करने का भी प्रावधान है  अगर अध्यक्ष के तौर पर ऐसी नियुक्ति  सिबिएसई को गैरमंजूर  हो जाए"

पुछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति के बारे में नियम क्या कहते हैं?

  • इसके लिए सीबीएसई ने उप-नियम बनाए हैं. जो पेपर सेटर्स और मॉडरेटर के लिए निर्देशों का एक सेट  तैयार करता है. जो कुछ इस तरह हैं. 
  • यह तय करना कि  पुछे जाने वाले प्रत्येक प्रश्न पत्र में  विषय का पाठ्यक्रम, खाका, डिजाइन और पाठ्यपुस्तकों को  ध्यान में रख कर किया जा रहा है. ये भी तय करना कि कोई भी प्रश्न गलत या अस्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है. यानी कि पुछे गए सवाल का मतलब एकदम साफ समझ में आना चाहिए. 

पेपर सेटिंग प्रोसेस क्या है?

प्रत्येक परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों के कई सेट तैयार किए जाते हैं. इसके लिए पेपर सेटर्स की संख्या अलग हो सकती है. जब पेपर सेटर्स सवाल तैयार कर देते हैं तो शीट को फिर मॉडरेशन चरण में भेजा जाता है. प्रश्न पत्रों का मॉडरेशन  मॉडरेटर की एक टीम करती है.

सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली के बताते हैं कि  मॉडरेटर की भूमिका  बहुत खास होती है.  “मॉडरेटर्स को यह देखना  चाहिए कि प्रश्न सही हैं, इस्तेमाल की गई भाषा सही है. भाषा एकदम आसानी से समझ में आ रही है या नहीं. अशोक गांगुली  आगे बताते हैं कि  पुछे गए सवालों का खाका देखने के अलावा , डिजाइन और  टाइपोलॉजी की भी जांच कराई जाती है. टाइपोलॉजी और डिजाइन ऐसा होना चाहिए कि वे  युवा दिमाग को उत्तेजित न करें. उन्होंने हालिया मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि मॉडरेटर का इस तरह से गैरजिम्मेदाराना बरताव परेशान करने वाला है. क्योकिं मॉडरेटर  ही प्रश्न पत्रों को अंतिम रूप देतें हैं और बोर्ड के पास जमा करते हैं. अशोक गांगुली ने आगे कहा कि गुजरात  में 2002 वाला मामाला ये बताने के लिए काफी है कि CBSE खुद  परीक्षा प्रश्न पत्रों के जरिए देश की अखंडता और स्वायत्तता को कमजोर कर रहा है. 

प्रश्न पत्र बनाने में सीबीएसई अधिकारियों की क्या भागीदारी है?

गोपनीयता को देखते हुए  प्रश्न पत्र लिमिटेड लोगों की आंखों से गुजरते हैं. मॉडरेटर जिस सवाल को मॉडरेट कर बोर्ड को देता है , बोर्ड के किसी भी अधिकारी इनकी जांच नहीं करती.गांगुली ने कहा कि परीक्षा नियंत्रक बेतरतीब ढंग से प्रश्नपत्रों के सेट उठाते हैं और वही सवाल एग्जाम में पुछ लिए जाते हैं. हाल की घटनाओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि  “नियंत्रक प्रश्न पत्र नहीं पढ़ता है.  

क्या इस साल परीक्षा में कोई महत्वपूर्ण बदलाव  हुए हैं?

2021-2022 सत्र में पूरे बोर्ड परीक्षा ढांचे को बदल दिया गया है.  जबकि शैक्षणिक वर्ष के अंत में एक अंतिम बोर्ड परीक्षा हुआ करती थी, इस वर्ष पाठ्यक्रम में थोड़ा बदलाव करते हुए  आधे-आधे भाग में बांटा गया है. इस आदे भाग की ही जांच के लिए दो अंतिम परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं.  जबकि अंतिम बोर्ड परीक्षा आमतौर पर फरवरी-मार्च में आयोजित की जाती थी, इस साल, टर्म 1 की परीक्षा नवंबर में शुरू हुई थी. टर्म 2 की परीक्षा मार्च-अप्रैल 2022 में होनी तय की गई है. पेपर के प्रारूप में भी पूर्ण परिवर्तन किया गया है, और पूरा पेपर अब बहुविकल्पीय प्रश्नों के रूप में है.