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बोर्ड एग्जाम के स्ट्रेस से बचाने के लिए CBSE ने जारी की हेल्पलाइन, अभिभावक ऐसे रखें अपने बच्चों को खास ख्याल

बोर्ड परीक्षा सिर्फ एक चरण है, न कि जीवन का अंतिम पड़ाव. इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है बच्चों के प्रयासों को सराहना. परीक्षा के परिणाम चाहे जो भी हों, याद रखें कि हर बच्चा अनमोल है.

CBSE Board exam (Photo:GettyImages) CBSE Board exam (Photo:GettyImages)
हाइलाइट्स
  • स्कूल भी करे सपोर्ट

  • बच्चों को हो सकता है स्ट्रेस

बोर्ड एग्जाम का नाम सुनते ही कई बच्चों और माता-पिता के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगती हैं. हर साल, लाखों बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में बैठते हैं, और यह समय मेंटल हेल्थ के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है. लेकिन इस बार CBSE ने बच्चों और उनके माता-पिता की मेंटल हेल्थ को लेकर एक सराहनीय पहल की है.

CBSE की हेल्पलाइन और काउंसलिंग सुविधा
सीबीएसई ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को हल करने के लिए 24x7 हेल्पलाइन सेवा शुरू की है. टोल-फ्री IVRS नंबर 1800-118-004 पर छात्र और अभिभावक हिंदी और अंग्रेजी में मदद ले सकते हैं. इसके साथ ही, बोर्ड ने मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन पर पॉडकास्ट भी उपलब्ध कराए हैं. यह सुविधा सोमवार से शनिवार सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक उपलब्ध है.

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CBSE ने मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए 66 प्रोफेशनल को शामिल किया है, जिनमें प्रिंसिपल, काउंसलर, स्पेशल एजुकेटर और साइकोलॉजिस्ट शामिल हैं. भारत के अलावा नेपाल, जापान, कतर, ओमान और यूएई जैसे देशों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है.

स्कूलों का सपोर्ट सिस्टम
कोलकाता के एशियन इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल सिमरन संघेरा ने बताया कि उन्होंने CBSE का सर्कुलर छात्रों को भेजा है और हेल्पलाइन नंबर भी साझा किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डीपीएस रूबी पार्क की प्रिंसिपल जयोति चौधरी का कहना है, "हमने नियमित क्लासवर्क, प्रैक्टिस असाइनमेंट और डाउट-क्लियरिंग सेशन्स के जरिए बच्चों को परीक्षा का आत्मविश्वास दिया है."

बारासात के आदित्य एकेडमी सेकेंडरी की प्रिंसिपल सुमना साहा ने बताया कि उन्होंने काउंसलिंग सेशन्स और ग्रुप थैरेपी क्लासेस आयोजित कीं. वहीं, साइकोलॉजिकल काउंसलर शोवना मुखर्जी ने कहा, "यह एक बेहतरीन कदम है, खासतौर पर उन स्कूलों के लिए जहां ऐसी सुविधाएं नहीं हैं."

बच्चों और अभिभावकों के लिए स्ट्रेस से बचने के टिप्स

1. रूटीन बनाएं
बच्चों के लिए एक नियमित पढ़ाई का समय तय करना जरूरी है, लेकिन इसे लचीला बनाएं. हर एक-डेढ़ घंटे की पढ़ाई के बाद 10-15 मिनट का ब्रेक जरूर लें. यह माइंड को रिफ्रेश करता है और ध्यान केंद्रित रखने में मदद करता है.

2. बच्चों को पॉजिटिव सोचने के लिए प्रेरित करें
नकारात्मक बातें या असफलता के डर को बच्चों से दूर रखें. उनकी मेहनत को पहचानें और छोटी-छोटी उपलब्धियों को सेलिब्रेट करें. 

3. नींद और डाइट का रखें ध्यान
पर्याप्त नींद बच्चों के दिमागी स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. 7-8 घंटे की नींद के साथ-साथ पोषणयुक्त भोजन भी दें. बच्चों के खानपान में फल, सब्जियां और हेल्दी स्नैक्स शामिल करें. कैफीन और जंक फूड से बचें. 

4. स्ट्रेस मैनेजमेंट एक्टिविटीज में शामिल हों
योग, ध्यान (मेडिटेशन), डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, और हल्की एक्सरसाइज तनाव को कम करने में मददगार हो सकती हैं. इन गतिविधियों में बच्चे और माता-पिता दोनों शामिल हो सकते हैं.

5. ओपन कम्युनिकेशन रखें
बच्चों से उनकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति के बारे में खुलकर बात करें. उनकी चिंताओं को सुनें और बिना जजमेंट के उनकी भावनाओं को समझें. 

बता दें, बोर्ड परीक्षा सिर्फ एक चरण है, न कि जीवन का अंतिम पड़ाव. इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है बच्चों के प्रयासों को सराहना. परीक्षा के परिणाम चाहे जो भी हों, याद रखें कि हर बच्चा अनमोल है. सही सपोर्ट और प्यार के साथ बच्चे न सिर्फ परीक्षा में, बल्कि जीवन में भी सफल होंगे.