सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ने एक अहम फैसला सुनाया है. जिससे देश के बहुत से छात्र उम्मीदवारों को राहत मिलेगा. दरअसल, कैट ने स्पष्ट किया है कि B.Ed स्पेशल और B.Ed, दोनों डिग्री को समान महत्व दिया जाएगा. जिन उम्मीदवारों के पास बीएड की जगह बीएड स्पेशल डिग्री है, उन्हें भी सामान्य शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है.
ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएड स्पेशल डिग्री धारक उम्मीदवार भी सामान्य शिक्षक बनने के पात्र हैं.
एक शिक्षक ने डाली थी याचिका
बात अगर पूरे मामले की करें तो बताया जा रहा है कि एक महिला, उमा रानी ने यह याचिका डाली थी. दरअसल, साल 2010 में इस महिला ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के एक सरकारी स्कूल में टीजीटी हिंदी के पद के लिए आवेदन किया था और परीक्षा में भी शामिल हुई थीं. लेकिन साल 2015 में परीक्षा का रिजल्ट आने पर उनका रिजल्ट जारी नहीं किया गया था.
वजह पूछने पर बोर्ड ने उनसे कहा कि वह टीजीटी हिंदी के लिए योग्य नहीं है क्योंकि उसके पास बी.एड की डिग्री नहीं है, जबकि उनके पास बी.एड स्पेशल में डिग्री थी. इसके बाद उन्होंने बोर्ड के फैसले को चुनौती दी और इसे रद्द करने की मांग की.
औरों को भी होगा फायदा
उमा रानी की इस याचिका पर आखिरकार फैसला सुना दिया गया है. ट्रिब्यूनल के सदस्यों, जस्टिस आरएन सिंह और तरुण श्रीधर की पीठ ने बोर्ड के फैसले को रद्द करते हुए कहा है कि बीएड और बीएड स्पेशल, दोनों डिग्री धारकों को समान महत्व दिया जाएगा और इस आधार पर किसी का आवेदन अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है.
आपको बता दें कि इस फैसले से देशभर के करीब एक लाख बीएड स्पेशल डिग्री होल्डर्स को फायदा होगा. अब वे भी सामान्य बीएड डिग्री धारकों की तरह सामान्य शिक्षक पदों पर आवेदन कर सकेंगे.