स्कूल में एडमिशन के लिए बच्चों की उम्र क्या होनी चाहिए? ये हमेशा से ही बहस का मुद्दा रहा है. भारत सरकार ने इसको लेकर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में भी बदलाव किया था और स्कूल में एडमिशन के लिए बच्चों की उम्र 6 साल तय की थी. अब इसको लेकर सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किया है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को क्लास-1 में एडमिशन के लिए कम से कम 6 साल की उम्र तय करने को कहा है.
बच्चों के एडमिशन की एक जैसी व्यवस्था नहीं-
शिक्षा का विषय संविधान के समवर्ती सूची में है और ये राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इसपर रिपोर्ट मांगी गई. पिछले साल लोकसभा में राज्य सरकार ने इसको लेकर एक रिपोर्ट पेश की. सरकार ने बताया कि 14 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में बच्चों को 5 साल की उम्र में क्लास-1 में दाखिल हो रहा है. जबकि 22 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 6 साल के बाद कक्षा एक में दाखिला हो रहा है. दिल्ली, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु सीमा 5 साल है. जबकि यूपी, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में एडमिशन की उम्र 6 साल है.
कोर्ट ने भी कम उम्र में एडमिशन को सही नहीं माना-
भारत में कई स्कूलों में अभी 2.5 साल से कम उम्र के बच्चों का एडमिशन होता है. लेकिन इस उम्र में बच्चे पढ़ने के लिए तैयार नहीं होते हैं. भारत में पिछले साल कोर्ट ने कहा था कि बच्चों के मनोवैज्ञानिक और मानसिक सेहत के लिए जरूरी है कि उनको कम उम्र में स्कूल नहीं भेजना चाहिए.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्टडी के मुताबिक जिन बच्चों का एडमिशन 6 साल की उम्र में हुआ, उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. उन बच्चों ने 7 साल और 11 साल की उम्र तक पहुंचने पर टेस्ट में अच्छा स्कोर किया और उनका खुद पर ज्यादा कंट्रोल था.
नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में क्या है-
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के मुताबिक मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए 5 साल के सीखने के मौके शामिल हैं. इसमें तीन साल प्री स्कूल एजुकेशन और फिर कक्षा 1 और कक्षा 2 शामिल है. नई शिक्षा नीति प्री स्कूल से कक्षा 2 तक के बच्चों को सीखने और विकास को बढ़ावा देता है.
नई शिक्षा नीति के पहले स्टेज में 3 से 8 साल के कक्षा 2 तक पढ़ने वाले बच्चे शामिल हैं. जबकि दूसरे स्टेज में 8 से 11 साल तक के बच्चे शामिल हैं. दूसरा स्टेज कक्षा 3 से 5वीं तक के बच्चों के लिए है. जबकि 11 साल से 14 साल के स्टेज में कक्षा 6 से कक्षा 8वीं तक के बच्चे शामिल हैं. अंतिम स्टेज 14 साल से 18 साल तक के बच्चों के लिए है. जिसमें 9वीं से 12वीं तक के बच्चे शामिल हैं.
दुनिया के देशों में स्कूल जाने की उम्र क्या है-
ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के स्कूल जाने की उम्र 6 साल है. इस देश में 6 साल की उम्र के बाद ही बच्चे स्कूल जाते हैं. नॉर्वे में बच्चों के स्कूल जाने की न्यूनतम उम्र 6 साल है. जबकि ब्रिटेन में 3 साल के बाद प्री स्कूलिंग शुरू करते हैं, जबकि 5 साल की उम्र में कक्षा-1 में जाते हैं. फ्रांस में बच्चे स्कूल जाना 3 साल की उम्र से शुरू कर देते हैं.
यूरोप के हंगरी में 3 साल में बच्चे स्कूल जाने लगते हैं. जबकि स्विजटरलैंड, नॉर्दर्न आयरलैंड और लक्जमबर्ग में बच्चों के स्कूल जाने की उम्र 4 साल है. बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, डेनमार्क, जर्मनी, आइसलैंड, इटली, पुर्तगाल, रोमानिया, स्पेन, टर्की, स्लोवाकिया में बच्चे 6 साल की उम्र में स्कूल जाते हैं.
7 साल में स्कूल जाते हैं इन देशों के बच्चे-
दुनिया में कई ऐसे देश भी हैं, जहां 7 साल की उम्र में बच्चे स्कूल जाते हैं. बुल्गारिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, लिथुआनिया, सर्बिया और स्वीडन ऐसे देश हैं, जहां बच्चे 7 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू करते हैं.
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