हजारों बच्चे अक्सर छोटे बड़े शहरों में सड़क किनारे लगे कोचिंग सेंटरों की फोटो और फोटो पर चमकते चेहरों को देखकर सपना बुनते हैं कि वह भी DM कलेक्टर या डॉक्टर इंजीनियर बन सकते हैं. लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें इन कोचिंग सेंटरों का दरवाजा खटखटाना होता है. बच्चों के सपने पूरा करने के लिए मां-बाप जमीन-जायदाद तक बेच देते हैं. लेकिन अक्सर साल बीतने के बाद निराशा हाथ लगती है.
इसकी एक बड़ी वजह है ऐसे कोचिंग सेंटरों द्वारा भ्रामक विज्ञापन दिया जाना. इनमें अक्सर सिर्फ भ्रम की तस्वीरें पोस्टर पर दिखाई देती हैं. इसी को लेकर भारत सरकार ने इन कोचिंग सेंटरों की मनमानी और भ्रामक विज्ञापन पर लगाम लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं.
कोचिंग सेंटर मनमाना विज्ञापन जारी नहीं कर सकते
उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जो दिशा निर्देश जारी किए गए हैं उसके बाद देश के किसी भी शहर में कोचिंग सेंटर वाले मनमानी या भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं कर पाएंगे. उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे कहती हैं कि उपभोक्ताओं और छात्रों के हित में यह फैसला लिया गया है. अगर कोचिंग सेंटर इन दिशा निर्देशों के बाद भी गलत विज्ञापन जारी करते हैं, या अपनी सुविधाओं, कोचिंग की फैकल्टी से जुड़ी तमाम जानकारियां स्पष्ट रूप से नहीं देते हैं तो उन पर 10 लाख रु से लेकर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा. इसके बावजूद अगर वो मनमानी करते हैं तो उनके विज्ञापन बनवाने और जारी करने का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.
क्या है दिशा निर्देश?
-इन दिशा निर्देशों के मुताबिक कोचिंग सेंटरों की परिभाषा स्पष्ट कर दी गई है. इसके मुताबिक कोचिंग का अर्थ है एकेडमिक सपोर्ट, शिक्षा संबंधी गाइडेंस, किसी तरह के निर्देश स्टडी प्रोग्राम ट्यूशन या इससे जुड़ा हुआ कोई भी कार्य. नियम के तहत कोचिंग सेंटर का अर्थ होगा ऐसा कोई भी सेंटर जो बनाया, चलाया या जिस पर किसी एक व्यक्ति या अधिक लोगों द्वारा प्रशासन किया गया है और जहां 50 छात्र पढ़ते हैं.
-नए नियम के तहत कोचिंग सेंटरों को अपनी सेवाओं और गुणवत्ता को लेकर भी स्पष्ट जानकारी देनी होगी. इसमें ट्यूशन सेंटर द्वारा कोर्स के बारे में, उस कोर्स के पूरा करने की अवधि, उस कोर्स को पढ़ाए जाने वाले फैकल्टी, कोर्स की फीस, रिफंड आदि के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. साथ ही उस कोचिंग सेंटर द्वारा लोगों के सेलेक्शन परीक्षा में रैंक या उसकी सफलता के बारे में भी बरामद विज्ञापन इस नियम के दायरे में आएंगे.
-कोचिंग सेंटरों को इस बारे में भी बताना होगा कि बैच भरने वाला है या नहीं. ऐसे में छात्रों को किसी तरह का भ्रम नहीं होगा. नहीं तो आनन फानन में बच्चे कोचिंग सेंटर में दाखिला ले लेते हैं.
-कोचिंग सेंटर को अपने विज्ञापन में सेवाओं संबंधी और सुविधाओं संबंधी जानकारियों को भी स्पष्ट करना होगा और ये बताना होगा कि उनके यहां कितने बच्चों के बैठने की व्यवस्था है. साथ ही किस तरह की सुविधाएं हैं? एंट्री और एग्जिट कितने हैं? जगह कितनी है? कोचिंग संस्थान को अपने पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन सुविधाओं और सेवाओं के बारे में सही जानकारी देनी होगी और इसके साथ यह भी बताना होगा कि जिस तरह के कोर्स वो पढ़ा रहे हैं क्या वो UGC या ऐसी किसी संस्था के साथ मान्यता प्राप्त है या नहीं है.
उपभोक्ता सचिव निधि खरे का कहना है कि जिस तरह के भ्रामक विज्ञापन कोचिंग सेंटर देते रहे हैं, ऐसे पर हमने पहले कार्रवाई की है और ऐसे में छात्रों को भ्रम से न गुजरना पड़े इसके लिए ये नियम लागू हो रहे हैं.
कई कोचिंग सेंटर को भेजा है नोटिस
इस मामले में उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आने वाले CCPA ने कई कोचिंग सेंटरों को नोटिस भेजा था. इनमें Unacademy, Vajirao & Reddy Institute, Seekers Education Services, Vision IAS 2024, IQRA IAS, Chahel Academy, Akash educational service, vision IAS, Khan study group IAS, Narayan medical Academy, Shubh Ranjan IAS, Allen carrier Institute, IAS Baba, Yojana IAS, Abhimanyu IAS, Sandesh Academy, Shri Ram's, IAS, BYJU'S IAS -2022, Rau's IAS study study Circle, greater Noida Institute of technology, Drishti IAS, Maluka IAS शामिल हैं.