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CUET से बदल जाएगा DU समेत 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले का तरीका, नए नियमों से छात्र खुश लेकिन बने हुए हैं कई सवाल

अच्छी बात यह है कि कॉमन एंट्रेंस टेस्ट अंग्रेजी और हिन्दी के अलावा मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ समेत 13 भाषाओं में लिया जाएगा. यानी कोई भी छात्र पीछे नहीं छूटेगा. इसलिए अब डीयू का सपना वे छात्र भी देख सकते हैं जो बोर्ड एग्जाम में 90 फीसदी अंक नहीं ला पाते हैं. 

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हाइलाइट्स
  • सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) के तहत होगा दाखिला

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब नहीं होगा कट-ऑफ का बोलबाला

देश के कई राज्यों में 12वीं की परीक्षाएं शुरु हो चुकी हैं तो कई जगह परीक्षाओं की तैयारी चल रही है. इसके बाद कॉलेज- यूनिवर्सिटी में दाखिले की दौड़ शुरु हो जाएगी. हालांकि, इस बार सेंट्रल यूनिवर्सिटी में दाखिले की तस्वीर बदली- बदली सी होगी. 

खासकर कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में, जिसमें भारत तो क्या बाहर के छात्र भी दाखिला लेना चाहते हैं. आपको बता दें कि इस बार दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले कट ऑफ से नहीं, बल्कि कॉमन एंट्रेस परीक्षा के जरिए होंगे. अब 12वीं के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए न तो मार्क्स की टेंशन होगी और न कट ऑफ की अड़चन. 12वीं पास छात्र बस अपनी योग्यता के दम पर अपने मनपसंद कॉलेज और कोर्स में एडमिशन ले सकेंगे. 

आखिर क्या है ये कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट

यूजीसी के मुताबिक अब सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन कट ऑफ के आधार पर नहीं बल्कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) के तहत होगा.

  • इस सत्र से 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए एक टेस्ट होगा 
  • अगर आपको 2022-23 शैक्षिक सत्र में एडमिशन लेना है तो आपको ये कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देना होगा 
  • नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत इस साल से CUET को लाया गया है 
  • कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेस टेस्ट,  नेशनल टेस्ट एजेंसी ही कराएगी 
  • CUET परीक्षा के आवेदन अप्रैल से शुरु होंगे 
  • जुलाई के पहले हफ्ते में CUET परीक्षा हो सकती है  
  • CUET परीक्षा के लिए आवेदन ऑनलाइन होगा 
  • हर यूनिवर्सिटी CUET के हिसाब से मेरिट बनाएंगे  

DU में दाखिले की नई प्रक्रिया:

  • कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया जाएगा जिसके आधार पर छात्रों को एडमिशन मिलेगा. 
  • छात्रों को इसी सत्र से कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देना होगा,
  • परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा किया जाएगा. 
  • इसके लिए फॉर्म एनटीए की वेबसाइट nta.ac.in से डाउनलोड किए जा सकेंगे.
  • अब कट-ऑफ मार्क्स का नियम खत्म कर दिया गया है. 
  • अब बोर्ड रिजल्ट मान्य नहीं होगा हालांकि मिनिमम मार्क्स का नियम यूनिवर्सिटी चाहें तो रख सकती हैं.

अच्छी बात यह है कि कॉमन एंट्रेंस टेस्ट अंग्रेजी और हिन्दी के अलावा मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ समेत 13 भाषाओं में लिया जाएगा. यानी कोई भी छात्र पीछे नहीं छूटेगा. इसलिए अब डीयू का सपना वे छात्र भी देख सकते हैं जो बोर्ड एग्जाम में 90 फीसदी अंक नहीं ला पाते हैं. 

  • छात्रों को कॉलेज के ऊंचे कट ऑफ की टेंशन से अब मुक्ति मिल जाएगी 
  • 12वीं के अंकों की कॉलेज एडमिशन में कोई भूमिका नहीं होगी 
  • 12वीं के अंकों को इस्तेमाल केवल एलिजबिलिटी तय करने तक सीमित हो जाएगा  
  • स्किल कोर्सेज के लिए CUET के साथ प्रैक्टिकल और इंटरव्यू का आयोजन हो सकता है
  • एक खास बोर्ड के छात्रों का डीयू में दबदबा अब खत्म हो जाएगा.
  • इतना ही नहीं 12वीं में हाई पर्सेंट वाले छात्रों की धमक भी CUET के जरिए खत्म हो जाएगी  

हालांकि नई शिक्षा नीति के तहत नए नियम तय कर दिये गए हैं लेकिन नए दाखिला नियम को कई तरह के सवाल बने हुए हैं. जैसे,

1. क्या नए नियम से देश भर के छात्रों को एक समान अवसर मिलेंगे?

दरअसल अलग अलग राज्यों के बोर्ड की मार्किंग के तरीके में फर्क होता है. नए नियम में सबको परीक्षा देनी होगी. यानि बोर्ड की मार्किंग की असमानता का असर नहीं होगा.

2. विषय के चुनाव की आजादी होगी या नहीं? 

दरअसल नए नियम के मुताबिक छात्र अपने स्ट्रीम के विषयों की ही परीक्षा दे पाएंगे. ऐसे में अगर छात्र बारहवीं के बाद अपने सबजेक्ट्स चेंज करना चाहता है तो उसके पास क्या रास्ता है? 

3. 12वीं की परीक्षा में आए नंबर का एडमिशन में वेटेज होगा या नहीं? 

अगर 12वीं की परीक्षा में आए नंबर का एडमिशन में वेटेज नहीं होगा तो फिर बच्चे 12वीं में सिर्फ पास करने के लिए पढ़ेंगे और उनका पूरा फोकस एंट्रेंस की तैयारी पर होगा इससे स्कूली पढ़ाई पर असर हो सकता है

4. क्या इससे ट्यूशन कल्चर को बढ़ावा मिलेगा? 

किसी भी एग्जाम की तैयारी के लिए ढेरों प्राइवेट ट्यूशन्स चलते हैं, ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या अब नए यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए ट्यूशन लेना होगा?

इन सवालों पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश सिंह का कहना है कि, 

  • सबको एक समान प्लेटफॉर्म मिलेगा, अलग-अलग स्टेट बोर्ड की मार्किंग अलग है ऐसे में ये टेस्ट सबको एक समान अवसर देगा.
  • डीयू में सभी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया हटा दिए गए है, अब केवल cucet के बेसिस पर एडमिशन होंगे.
  • टेस्ट में सब्जेक्ट चुने जा सकते है.
  • केवल एनसीईआरटी का ही सिलेबस इसमें पूछा जाएगा.
  • आगे भविष्य में कोशिश है की 2 बार ये टेस्ट कराए जाए जिसमें से बेस्ट की मेरिट के हिसाब से एडमिशन हो सके.

CUET से पहले डीयू में क्या था हाल

  • पिछले साल की बात करें तो 95 प्रतिशत पाने वाले 24 हजार से ज्यादा छात्रों को डीयू में एडमिशन मिला था 
  • वहीं 90 से 94 फीसदी पाने वाले 16 हजार से ज्यादा छात्रों ने डीयू ने एडमिशन लिया था  
  • जबकि 85 से 89 प्रतिशत हासिल करने वाले 8 हजार से ज्यादा छात्र ही डीयू में एडमिशन ले पाए थे  
  • वहीं 80 से 84 फीसदी पाने वाले 5 हजार से कुछ ज्यादा बच्चों का दाखिला डीयू में हुआ था 

इन आंकड़ों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं है कि कॉमन एंट्रेस टेस्ट अच्छा कदम है. कुछ सवाल है लेकिन मोटे तौर पर शिक्षक और छात्र सभी कॉमन एंट्रेस टेस्ट से खुश हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे दाखिले की समस्याएं दूर हो जाएंगी. अब दाखिले के लिए योग्यता ही एकमात्र पैमाना होगा.

(Inputs from Shrutika, Tejshree Purandare)