scorecardresearch

IIT Dhanbad में दाखिला लेना चाहता था दलित युवक, वेबसाइट बंद होने की वजह से नहीं भर सका फीस... अब सुप्रीम कोर्ट ने जगाई मदद की उम्मीद

अतुल को आईआईटी धनबाद (IIT Dhanbad) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में दाखिला मिला था. जैसे ही उन्हें इस चीज की खबर मिली उनके परिवार ने लोगों से उधार लेकर पैसे जोड़ना शुरू कर दिया. फीस जमा करने की आखिरी तारीख तक अतुल ने पैसे जोड़ भी लिए लेकिन आखिरी मिनटों में वेबसाइट की खराबी के कारण वह फीस जमा नहीं कर सके.

अतुल को आईआईटी धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सीट मिली थी. अतुल को आईआईटी धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सीट मिली थी.

उत्तर प्रदेश के एक 18 साल के दलित लड़के का आईआईटी जाने का सपना तब चकनाचूर हो गया जब सर्वर डाउन होने के कारण वह एडमीशन फीस का भुगतान नहीं कर सका. मुज़फ्फरनगर के टिटोरा गांव के रहने वाले अतुल के सपनों की उड़ान यहीं खत्म हो सकती थी, लेकिन भारत के मुख्य न्यायाधीश धनन्जय चंद्रचूड़ ने उसे मदद का आश्वासन दिया है.

क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के टिटोरा गांव के रहने वाले अतुल ने नौ जून को अपने बड़े भाई के लैपटॉप पर अपना जेईई (JEE) का रिजल्ट देखा. अतुल के पिता मेरठ में मजदूरी करते हैं और जरूरत पड़ने पर दर्जी का काम भी करते हैं. जब अतुल के परिवार को पता चला कि वह आईआईटी में जगह बनाने में कामयाब रहा है तो उन्होंने गांववासियों से एडमीशन फीस के लिए उधार मांगना शुरू कर दिया. लेकिन समय पर फीस जमा नहीं कर सके. 

अतुल ने इंडिया टुडे को बताया कि उन्हें आईआईटी धनबाद (IIT Dhanbad) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में दाखिला मिला था. इसके लिए उन्हें 17,500 रुपए जमा करने थे. अतुल ने फीस जमा करने की आखिरी तारीख 24 जून तक इस रकम का इंतजाम कर लिया था. लेकिन जब वह आखिरी मिनटों में सब डॉक्युमेंट जमा कर चुके थे तब शाम 4:56 मिनट पर आईआईटी धनबाद की वेबसाइट रिफ्रेश होने के कारण उनका अकाउंट लॉगआउट हो गया. और अतुल फीस जमा नहीं कर सके. 

सम्बंधित ख़बरें

चीफ जस्टिस ने दिया मदद का आश्वासन 
इस घटना के बाद अतुल ने कानूनी सहारा लेने का फैसला किया. शुरुआत में उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की सलाह दी. हालांकि मद्रास हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद उनके वकील ने प्रतिवादी की ओर से हुई देरी के कारण मामले को वापस लेने का सुझाव दिया. 

नतीजतन अतुल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सर्वोच्च न्यायालय में 24 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अतुल को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. शीर्ष अदालत ने कहा, "जहां तक ​​संभव होगा हम आपकी मदद करेंगे. लेकिन आप पिछले तीन महीनों से क्या कर रहे थे? क्योंकि शुल्क जमा करने की समय सीमा 24 जून को समाप्त हो गई थी." मामले पर अगली सुनवाई सोमवार 30 सितंबर को होनी है. 

आर्थिक चुनौतियों से घिरा है अतुल का जीवन 
अतुल के पिता राजेंद्र एक कारखाने में मजदूरी करते हैं. आईआईटी में पहुंचने तक परिवार की वित्तीय स्थिति अतुल के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है. अतुल चार भाइयों में सबसे छोटे हैं. खतौली में अपनी हाई स्कूल की शिक्षा और शिशु शिक्षा निकेतन में अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा पूरी करने के बाद अतुल ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए कानपुर के गहलोत सुपर 100 इंस्टीट्यूट में तैयारी की. यहां से पढ़ाई कर वह आईआईटी धनबाद में दाखिला लेने में कामयाब रहे. 

अतुल की मां राजेश देवी ने परिवार के संघर्षों के बारे में कहा कि उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कई जगहों से कर्ज लिया था. कई चुनौतियों के बावजूद सभी चार भाई अपनी पढ़ाई के प्रति समर्पित हैं. उनमें से दो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. एक एनआईटी हमीरपुर से और दूसरा आईआईटी खड़गपुर से. अगर राजेश देवी के परिवार के ये बेटे पढ़ाई पूरी कर लेते हैं तो ये न सिर्फ इस परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे.